नई कर व्यवस्था में सैनिटरी नैपकिन को 12 प्रतिशत कर दर के दायरे में रखा गया है.

सरकार ने शुक्रवार को कहा कि सैनिटरी नैपकिंस पर लगाए गए माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को हटाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है. वित्त राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि वर्तमान में सैनिटरी नैपकिंस को जीएसटी के दायरे से हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं है.
सैनिटरी नैपकिंस पर रियायती उत्पाद शुल्क छह प्रतिशत और पांच प्रतिशत वैट लगता था और इस तरह जीएसटी पूर्व अनुमानित कुल कर लगभग 12 प्रतिशत था. इसे ध्यान में रखते हुए और जीएसटी परिषद के सुझावों के आधार पर सैनिटरी नैपकिंस पर जीएसटी की 12 प्रतिशत दर निर्धारित की गई है.
गौरतलब है कि सैनिटरी पैड से जीएसटी हटाने की मांग करने वाली एक याचिका पर जवाब मांगते हुए बंबई हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस भेजा है.
मुंबई के एक गैर सरकारी संगठन शेट्टी वूमन वेल्फेयर फाउंडेशन ने 29 जून को सैनिटरी नैपकिंस से जीएसटी हटाने की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था.
न्यायमूर्ति मंजूला चेल्लूर और न्यायमूर्ति एमएम जमादार वाली एक खंड पीठ ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को इस संबंध में नोटिस जारी किया है. इस मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी . नई कर व्यवस्था में सैनिटरी नैपकिंस को 12 प्रतिशत कर दर के दायरे में रखा गया है.
इससे पहले ऐसी ही एक याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट भी केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चुके हैं. देश भर के तमाम संगठन सैनिटरी पैड पर जीएसटी लगाए जाने का विरोध कर रहे हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)