दिल्ली विश्वविद्यालय की एडहॉक शिक्षक प्रिंसिपल पर जातिगत भेदभाव का आरोप क्यों लगा रही हैं?

दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग में एडहॉक शिक्षक डॉ. ऋतु सिंह ने दावा किया है कि बीते अगस्त महीने में पढ़ाने के लिए उनकी जॉइनिंग हो गई थी, लेकिन जातिगत आधार पर उन्हें पढ़ाने से मना कर दिया गया. वहीं कॉलेज की प्रिंसिपल का कहना है कि अगर ऐसा है तो वे प्रमाण दिखाएं. विवाद के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने डीयू के कुलपति को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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​दौलत राम कॉलेज. (फोटो साभार: फेसबुक)

दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग में एडहॉक शिक्षक डॉ. ऋतु सिंह ने दावा किया है कि बीते अगस्त महीने में पढ़ाने के लिए उनकी जॉइनिंग हो गई थी, लेकिन जातिगत आधार पर उन्हें पढ़ाने से मना कर दिया गया. वहीं कॉलेज की प्रिंसिपल का कहना है कि अगर ऐसा है तो वे प्रमाण दिखाएं. विवाद के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने डीयू के कुलपति को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

डॉ. ऋतु सिंह. (फोटो: फेसबुक)
डॉ. ऋतु सिंह. (फोटो: फेसबुक)

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग में एडहॉक शिक्षक डॉ. ऋतु सिंह ने प्रिंसिपल सविता रॉय पर उन्हें जातिगत कारणों से निशाना बनाने और बीते 10 अगस्त से शुरू हुए शैक्षणिक सत्र में क्लास अटेंड करने से रोकने का आरोप लगाया है.

इस मामले में सोशल डेमोक्रेटिक टीचर्स एसोसिएशन (एसडीटीएफ) के चेयरपर्सन डॉ. एसके सागर की 19 अगस्त की शिकायत पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) ने 1 सितंबर को दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को नोटिस जारी कर 15 दिन में जवाब देने के लिए कहा है.

डॉ. ऋतु सिंह के साथ भेदभाव पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपित को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का नोटिस. (फोटो: द वायर)
डॉ. ऋतु सिंह के साथ भेदभाव पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का नोटिस. (फोटो: द वायर)

वहीं, एसडीटीएफ के महासचिव डॉ. एसएस बरनवाल की शिकायत पर 11 सितंबर को लोकसभा सचिवालय ने 25 सितंबर तक शिक्षा मंत्रालय से रिपोर्ट मांगी है और उसे अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) कल्याण मामलों की संसदीय समिति के समक्ष भी पेश करने के लिए कहा है.

मूल रूप से पंजाब की रहने वाली सिख दलित डॉ. सिंह ने कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. सविता रॉय पर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्हें दलित होने के कारण परेशान किया जा रहा है.

द वायर  से बात करते हुए डॉ. सिंह ने कहा, ‘मैंने 5 अगस्त, 2019 से दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज में एडहॉक शिक्षक के रूप में पढ़ा रही हूं. पिछले साल जून में मेरी पीएचडी पूरी हुई थी. मैं स्टूडेंट एक्टिविस्ट रही हूं और अभी भी सामाजिक मुद्दे उठाती रहती हूं.’

डॉ. सिंह का दावा है, ‘10 अगस्त (2020) को लिखित तौर पर मेरी जॉइनिंग हो गई थी और टीचर्स इंचार्ज ने उस पर साइन भी कर दिया था, लेकिन फिर 11 अगस्त को अचानक मुझे क्लास करने से रोक दिया गया.’

डॉ. सिंह कहती हैं, ‘10 अगस्त (2020) को कॉलेज खुलने पर मुझे छोड़कर सभी का नाम लिस्ट में होता है. मैं जब शैक्षणिक अधिकारी (एओ) से पूछती हूं कि विभाग में पांच एडहॉक टीचर हैं, चार का नाम है और मेरा नाम नहीं है, तब वे कहते हैं एक घंटे पहले ही हमें प्रिंसिपल ने बताया कि आपका नाम लिस्ट में नहीं रखना है, आपको जॉइनिंग नहीं दी जाएगी. उन्होंने कोई कारण बताने से इनकार कर दिया.’

बता दें कि दौलत राम कॉलेज के मनौविज्ञान विभाग में पांच एडहॉक शिक्षक हैं जिनमें से दो अन्य पिछड़ा वर्ग और दो सामान्य वर्ग से हैं. एकमात्र ऋतु अनुसूचित जाति से आती हैं.

उन्होंने कहा, ‘मैं जब प्रिंसिपल से पूछती हूं कि मैम ऐसा क्यों है तब वह कहती हैं हमारे पास वर्कलोड नहीं है. कारण पूछने पर उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि अभी फर्स्ट ईयर के छात्र नहीं आए हैं.’

हालांकि, डॉ. सिंह कहती हैं कि मैं पहले थर्ड ईयर ऑनर्स, थर्ड ईयर प्रोग्राम और सेकंड ईयर प्रोग्राम के बच्चों को पढ़ाती थी.

डॉ. सिंह ने कहा, ‘मेरे बार-बार जवाब मांगने पर उन्होंने कहा कि मैं एक अच्छे इंसान को बचाने के लिए कुछ भी करूंगी. इसके बाद उन्होंने कहा कि तुम क्लास में भाषणबाजी करती हैं और छात्रों ने शिकायत की है.’

ऋतु सिंह का दावा है कि प्रिंसिपल ने उनसे कहा कि अगर एक्टिविज्म करना है तो कॉलेज के बाहर जाकर करिए, यहां मत करिए, इस्तीफा दे दीजिए. आपकी वजह से मेरे कॉलेज का बहुत नाम खराब हो रहा है.

ऋतु सिंह ने कहा, ‘जातिगत मुद्दों पर जहां-जहां सरकार का विरोध करना चाहिए वहां-वहां मैंने विरोध किया है. यह मेरा संवैधानिक अधिकार और मेरी आजादी है. कॉलेज से बाहर निकलने के बाद मेरी समाज के लिए भी कुछ जिम्मेदारी है जिसको मैं निभाती हूं. ये बातें प्रिंसिपल को पसंद नहीं आती हैं और इसी कारण मुझे प्रताड़ित कर रही हैं.’

डॉ. सिंह के आरोपों पर द वायर  से बात करते हुए दौलत राम कॉलेज की प्रिंसिपल सविता रॉय ने कहा कि डॉ. ऋतु सिंह को नियुक्ति नहीं दी गई है.

हालांकि, डॉ. सिंह के अन्य आरोपों पर प्रिंसिपल ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि आप उन्हीं से पूछिए कि इस शैक्षणिक सत्र में उन्हें किसने जॉइन कराया है और कराया है तो वह उसका प्रमाण दिखाएं.

बता दें कि किसी एडहॉक शिक्षक को नए शैक्षणिक सत्र में अपनी जॉइनिंग के लिए एक आवेदन पत्र लिखकर देना पड़ता है जिस पर टीचर्स इंचार्ज के हस्ताक्षर होते हैं. इसके बाद प्रिंसिपल उसे मंजूर करती हैं.

हालांकि, ऋतु सिंह के मामले में प्रिंसिपल ने उनकी जॉइनिंग को मंजूरी नहीं दी है.

बता दें कि अस्थायी शिक्षकों को एडहॉक कहा जाता है, जिनका स्तर असिस्टेंट प्रोफेसर के बराबर होता है. डीयू की कार्यकारी परिषद द्वारा 2007 में बनाए गए नियम के मुताबिक, अतिरिक्त वर्कलोड होने या किसी शिक्षक के छुट्टी पर जाने से खाली हुए पदों पर एडहॉक नियुक्त किए जाएंगे.

डीयू के नियमों के अनुसार, एडहॉक शिक्षक की नियुक्ति अधिकतम चार महीने यानी 120 दिन के लिए की जाती है और इनकी संख्या विश्वविद्यालय के कुल शिक्षकों की 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होगी और इनके प्रदर्शन के अनुरूप हर चार महीने पर इन्हें रिन्यू किया जाता रहेगा.

दौलत राम कॉलेज की एक अन्य एडहॉक शिक्षक राखी सिंह कहती हैं, ‘मैं करीब पिछले तीन साल से कॉलेज से जुड़ी हूं. ऋतु और प्रिंसिपल दोनों को जानती हूं और दोनों ही अच्छे हैं. इस मामले में मुझे दोनों की ही बातें सही लगती हैं.’

ऋतु के साथ जातिगत आधार पर भेदभाव के सवाल पर वह कहती हैं, ‘जहां तक मैं प्रिंसिपल मैडम को जानती हूं वह ऐसी नहीं हैं. मैं नहीं मानती हूं कि जाति के आधार पर ऋतु को निशाना बनाया जा रहा है. जहां तक मैं मामले को समझती हूं और मैंने दूसरों से सुना है तो ऐसा हो सकता है कि ऋतु के साथ उनकी एक्टिविज्म के कारण यह हो रहा हो.’

वहीं, एसडीटीएफ के चेयरपर्सन डॉ. एसके सागर अनुसूचित जाति के लोगों को निशाना बनाए जाने का आरोप लगाते हुए कहते हैं कि आखिर विश्वविद्यालय में सामान्य वर्ग के लोगों के साथ ऐसी घटनाएं क्यों सामने नहीं आती हैं?

वह कहते हैं, ‘गार्मी कॉलेज में भी अनुसूचित जाति के इतिहास और भौतिकी विभाग के एक-एक एडहॉक शिक्षकों को भी प्रताड़ित करने का मामला सामने आया है, जिसको लेकर मैं जल्द ही आयोग को पत्र लिखने वाला हूं. विश्वविद्यालय में अनुसूचित जाति के लोगों को प्रताड़ित किए जाने के कम से कम आठ से नौ मामले हैं.’

ऋतु आगे कहती हैं कि मुझे तब तक नहीं हटाया जा सकता है जब तक कि किसी स्थायी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हो जाती है.

द वायर  से बात करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के अध्यक्ष राजीब रे डॉ. सिंह की बात की पुष्टि करते हुए कहते हैं कि यहां पर सभी एडहॉक शिक्षक की नियुक्ति तब तक के लिए हुई है, जब तक कोई स्थायी नियुक्ति नहीं होती है. किसी शिक्षक को निकालना इस नियम का उल्लंघन होगा. इसके साथ ही यह कोविड नियमों का भी उल्लंघन है.

दरअसल, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के संबंध में जारी 5 दिसंबर, 2019 के रिकॉर्ड ऑफ डिस्कशन के अनुसार सभी एडहॉक शिक्षकों की नियुक्ति स्थायी शिक्षक की नियुक्ति होने तक के लिए हुई है.

रिकॉर्ड ऑफ डिस्कसन में कहा गया है, ‘ऐसी उम्मीद की जाती है कि मौजूदा शैक्षणिक सत्र में काम करने वाले सभी एडहॉक शिक्षकों को स्थायी फैकल्टी की नियुक्ति तक जारी रखा जाएगा. ’

रिकॉर्ड ऑफ डिस्कशन की प्रति. (फोटो: द वायर)
रिकॉर्ड ऑफ डिस्कशन की प्रति. (फोटो: द वायर)

रे आगे कहते हैं कि प्रिंसिपल का कहना है कि उनके (डॉ. ऋतु) खिलाफ फीडबैक मिला है. अगर फीडबैक की ही बात है तो सविता रॉय को लेकर बहुत से शिक्षकों और छात्रों का फीडबैक उनके खिलाफ हो सकता है. फीडबैक एक तरफा नहीं होना चाहिए.

वह कहते हैं, ‘यह बात सही है कि फिलहाल उतना अधिक वर्कलोड नहीं है लेकिन 4500 एडहॉक शिक्षकों में से 99.99 फीसदी की जॉइनिंग हो चुकी है. ’

उन्होंने कहा कि एडहॉक शिक्षकों को जॉइनिंग करने के बाद ही पिछले वेतन मिलते हैं. अगर 10 अगस्त से किसी की जॉइनिंग नहीं कराई जाएगी तो उन्हें जून से अब तक का वेतन भी नहीं मिलेगा.

वेतन के सवाल पर ऋतु कहती हैं कि शैक्षणिक सत्र शुरू हुए कई महीने बीतने के बाद भी उन्हें जून से अब तक का वेतन नहीं मिला है, जबकि बाकी सभी एडहॉक शिक्षकों का वेतन आ गया है.

रे ने आगे कहा, ‘इस मामले के समाधान के लिए हमने चेयरमैन से बोलकर कार्यकारी परिषद की मौजूदगी में कई बार बैठक कराई मगर कोई समाधान नहीं निकला. ’

उन्होंने कहा, ‘सबसे दुखद बात यह है कि एक युवा दलित स्कॉलर ऋतु को प्रताड़ित किया जा रहा है. मैं यह नहीं कह सकता कि यह उनकी जाति के कारण है या उनकी विचारधारा के कारण लेकिन वह एक दलित कार्यकर्ता हैं और पूरी दुनिया जानती है कि जातिगत भेदभाव एक सच्चाई है. इसके अलावा ऐसा कोई और कारण तो दिखाई नहीं देता है.’

ऋतु सिंह के लिए न्याय की गुहार लगाते हुए डूटा ने 15 सितंबर को एक धरना प्रदर्शन भी बुलाया है और कहा है कि यह शिक्षकों की अस्मिता का सवाल है.

ऋतु सिंह के खिलाफ निगेटिव फीडबैक होने के प्रिंसिपल के दावों पर जाकिर हुसैन कॉलेज में पढ़ाने वाले एडहॉक शिक्षक लक्ष्मण यादव कहते हैं कि हो सकता है कि एडहॉक में कोई दिक्कत हो लेकिन स्थायी शिक्षकों के खिलाफ भी सैकड़ों शिकायतें आती हैं तो क्या आप उन्हें नौकरी से निकाल देंगे? इसका मतलब है कि आप एक सिस्टम के तहत इस व्यवस्था को बनाए रखना चाहते हैं ताकि जब चाहे इन्हें निकाल दें, जब चाहे अपने मनपसंद का, अपनी पार्टी कैडर का और अपनी विचारधारा के व्यक्ति को नौकरी पर रख लें.

डॉ. सिंह के साथ हो रहे भेदभाव के मुद्दे को सोशल मीडिया पर भी लोग उठा रहे हैं. ट्राइबल आर्मी के संस्थापक हंसराज मीणा उनके साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ ट्विटर पर मुहिम चला रहे हैं.

ट्राइबल आर्मी के संस्थापक हंसराज मीणा लिखते हैं, ‘डॉ. ऋतु सिंह को प्रिंसिपल सविता राय क्लास नहीं लेने दे रही हैं. कारण सिर्फ दलित और सामाजिक मुद्दों पर मुखर आवाज होना है. आखिर ये भेदभाव कब तक चलेगा?’

वहीं, पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह लिखते हैं, ‘ये देश सभी का है. दिल्ली यूनिवर्सिटी में एक टीचर को केवल इसलिए नहीं पढ़ाने दिया जा रहा है कि वह दलित हैं, यह अन्याय है. रोजगार और जीने का हक सभी का है.’