दिल्ली में स्वास्थ्य विभाग की ओर से अगस्त महीने में लगभग 15,000 लोगों पर दूसरे दौर का सेरोलॉजिकल सर्वे किया गया. सर्वे में कोरोना से ठीक हो चुके 257 लोगों के सैंपल लिए गए थे, लेकिन इनमें से 79 लोगों यानी 30.7 फीसदी लोगों में ठीक होने के बाद एंटीबॉडी नहीं मिली.
नई दिल्लीः दिल्ली में अगस्त के पहले हफ्ते में किए गए सेरोलॉजिकल सर्वेक्षण से पता चला कि कोरोना से ठीक हो चुके 257 लोगों में से 79 लोगों के शरीर में एंटीबॉडी नहीं मिली.
राज्य के स्वास्थ्य विभाग की ओर से कराए गए दूसरे दौर के सर्वे की रिपोर्ट से इसका पता चला है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के कंटेनमेंट जोन में रह रहे या रह चुके लोगों में कंटेनमेंट जोन में नहीं रहने वाले लोगों की तुलना में कहीं अधिक सीरो प्रेवीलेंस था.
दरअसल सीरो सर्वेक्षण अध्ययन में लोगों के ब्लड सीरम की जांच करके किसी आबादी या समुदाय में ऐसे लोगों की पहचान की जाती है, जिनमें किसी संक्रामक रोग के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो जाती हैं.
रिपोर्ट में कहा गया कि दूसरे दौर का यह सर्वेक्षण लगभग 15,000 लोगों पर किया गया.
सूत्रों का कहना है कि पहले कोरोना संक्रमित पाए गए और कोरोना से ठीक हो चुके 257 लोगों के खून के सैंपल को भी यह जानने के लिए सर्वे में शामिल किया कि उनके शरीर में एंटीबॉडी था या नहीं.
विशेषज्ञों का कहना है कि जो लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं, लेकिन उनके शरीर में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडी नहीं हैं, वे शायद कई महीने पहले महामारी के शुरुआती चरण में ही इससे ग्रसित हो गए हो, इसलिए उनके शरीर में एंटीबॉडी खत्म हो गए हों.
स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘लेकिन अधिकतर मामलों में शरीर के मेमोरी सेल वायरस को याद रखेंगे और कोरोना से उबर चुका कोई शख्स दोबारा इसकी चपेट में आएगा तो वे प्रतिरोधक क्षमता को दोबारा सक्रिय कर देंगे.’
बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री सत्येंद्र जैन ने पिछले महीने सीरो सर्वेक्षण के पहले दौर के नतीजों का ऐलान करते हुए कहा था कि अगस्त के सीरो सर्वेक्षण में 29.1 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी पाई गई थी.