इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में नगालैंड, त्रिपुरा, असम, मेघालय, मणिपुर, सिक्किम, मिज़ोरम और अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख समाचार.
कोहिमा: अंदरूनी कलह से जूझ रहे नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने मुख्यमंत्री पद से हटाए जा चुके शुरहोजेली लिजित्सु के प्रति करीबी माने जा रहे 19 विधायकों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया दिया गया है.
इसके अलावा मौजूदा मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग के खेमे के 10 विधायकों को निलंबित कर दिया है.
राज्यपाल पीबी आचार्य की ओर से तत्कालीन मुख्यमंत्री लिजित्सु को पद से बर्खास्त किए जाने के बाद जेलियांग को गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी.
लिजित्सु विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने के लिए सदन में ही नहीं आए थे. जेलियांग ने शनिवार को सदन में अपना बहुमत साबित कर दिया. उनके पक्ष में 59 में से 47 विधायकों ने वोट दिया.
सदन में आठ नए कैबिनेट मंत्री एनपीएफ से जबकि दो भाजपा से हैं.
बहरहाल, शनिवार को विधानसभा में बहुमत परीक्षण में एनपीएफ के 36 विधायकों ने लिजित्सु का समर्थन किया था. भाजपा के चार और सात निर्दलीय विधायकों ने भी उनका समर्थन किया था.
एनपीएफ के कार्यकारी अध्यक्ष हुस्खा येपथोमी और अपोंग पोंजेनेर ने शनिवार को कहा था कि 19 विधायकों को अनुशासनिक कार्रवाई समिति की सिफारिश पर अनिश्चित अवधि के लिए पार्टी से निकाला गया है.
मिज़ोरम: मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ एसीबी जांच कराने की मांग
आइजोल: मिज़ोरम भाजपा ने 18 जुलाई को राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से आग्रह किया कि कुछ सत्तारूढ़ कांग्रेस विधायकों के ख़िलाफ़ जांच शुरू कराए जिनकी संपत्ति सरकार में कार्यकाल के दौरान कई गुना बढ़ गई है.
पार्टी इकाई की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि मुख्यमंत्री लाल थनहवला सहित सत्तारूढ़ दल के नेताओं की संपत्ति में काफी बढ़ोतरी हुई है जो भ्रष्टाचार के कारण बढ़ी है.
बयान में 2008 के बाद पांच वर्षों में नौ विधायकों की संपति का ब्यौरा है. इसमें बताया गया है कि डाम्पा सीट से निर्वाचित लालरोबियाका की संपत्ति इस दौरान 2306 फीसदी बढ़ गई जबकि लाल थनहवला की संपत्ति इसी दौरान 311 फीसदी बढ़ी है.
इसमें बताया गया है कि 2008 में मुख्यमंत्री की संपत्ति दो करोड़ रुपये से ज्यादा थी जो 2013 में नौ करोड़ रुपये हो गई.
मणिपुर: मुख्यमंत्री के बेटे के ख़िलाफ़ अपील गोहाटी उच्च न्यायालय भेजी गई
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने 2011 में रोडरेज़ के एक मामले में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के पुत्र को दोषी ठहराने के अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली अपील 18 जुलाई को मणिपुर से गोहाटी उच्च न्यायालय स्थानांतरित कर दी.
शीर्ष अदालत ने रोडरेज़ की इस वारदात में मारे गए युवक के माता-पिता को केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल और इन दोनों का अदालत में प्रतिनिधित्व करने वाले वकील को पुलिस की सुरक्षा प्रदान की है. इन सभी ने न्यायालय में दावा किया था कि उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं.
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एल. नागेर राव और न्यायमूर्त नवीन सिन्हा की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि पीड़ित इरोम रॉज़र के माता-पिता, सामाजिक कार्यकर्ता बीना लक्ष्मी और वकील उत्सव बैंस की सुरक्षा न्यायालय का दायित्व है और इस मामले के तथ्यों और संवेदनशीलता को देखते हुए ऐसा किया जाएगा.
पीठ ने केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल और चंडीगढ़ पुलिस को निर्देश दिया कि दो सप्ताह के भीतर इस पर अमल के बारे में रिपोर्ट पेश की जाए. उत्सव बैंस चंडीगढ़ के रहने वाले हैं और रॉज़र के माता-पिता के इस मामले में वकील हैं.
रोडरेज़ में मारे गए रोजर के माता-पिता ने दावा किया है कि मणिपुर में उन्हें और उनके वकील की जान को खतरा है.
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मामले की सुनवाई के दौरान आरोप लगाया गया था कि मणिपुर उच्च न्यायालय में इस मामले में कोई भी वकील पेश होने और मुख्यमंत्री के पुत्र एन. अजय मेईतेई की पांच साल की सज़ा के ख़िलाफ़ दायर अपील पर बहस के लिए तैयार नहीं है.
रोडरेज़ की इस वारदात में निचली अदालत ने अजय को ग़ैर इरादतन हत्या के अपराध में पांच साल की सजा सुनाई थी.
इस मामले में अजय ने 20 मार्च 2011 को रॉज़र की गोली मारकर उस समय हत्या कर दी थी जब कथित रूप से उसने मुख्यमंत्री के बेटे की एसयूवी को ओवरटेक नहीं करने दिया था. इसी से क्रूद्ध होकर अजय ने उस पर गोली चला दी थी.
इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि उसने अजय मेईतेई को दी गई कम सज़ा के ख़िलाफ़ अपील दायर क्यों नहीं की.
याचिकाकर्ता की ओर से वकील कामिनी जायसवाल ने कहा कि मृतक के माता-पिता ने अपील दायर की थी परंतु इसे कुछ आरोपियों की वजह से लौटा दिया गया जबकि राज्य सरकार ने कोई अपील दायर नहीं की क्योंकि यह मामला सीबीआई को सौंपा जा चुका था.
मिज़ोरम: एमजेडपी ने प्रस्तावित बंद का फैसला वापस लिया
आइजोल: मिज़ोरम के प्रमुख छात्र संगठन एमजेडपी (मिज़ो ज़िरलई पॉल) ने मेडिकल कॉलेजों में मिज़ोरम कोटे में चकमा विद्यार्थी को दाखिला नहीं देने पर सरकार के सहमत होने के बाद अपना प्रस्तावित बंद वापस ले लिया है.
एमजेडपी ने 21 जुलाई से अनिश्चितकालीन राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया था लेकिन राज्य सरकार ने चिकित्सा क्षेत्र में अध्ययन को लेकर चकमा विद्यार्थियों की काउंसलिंग रद्द करने का फैसला कर लिया.
एमजेडपी की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि समझौते के अनुसार अब केवल मिज़ो समुदाय के 11 विद्यार्थियों को एमबीबीएस और बीडीएस का अध्ययन करने के लिए तीन मेडिकल कॉलेजों में भेजा जाएगा और चार चकमा छात्र समेत चुने गए विद्यार्थियों की काउंसलिंग रद्द कर दी गई है.
पुलिस ने 20 जुलाई को राजधानी आइजोल में छात्रों के आंदोलन को तितर-बितर करने के लिए लाठी और आंसूगैस का इस्तेमाल किया था जिसमें कई छात्र घायल हो गए थे.
चकमा समुदाय से सबंध रखने वाले चार विद्यार्थियों ने 20 जुलाई को पुलिस सुरक्षा में काउंसलिंग के लिए प्रवेश किया था तो एमजेडपी से जुड़े छात्रों ने उनका विरोध किया था.
मणिपुर: पहली बार राजधानी से बाहर हुई कैबिनेट बैठक
चूराचांदपुर: मणिपुर के इतिहास में पहली बार 14 जुलाई को कैबिनेट की बैठक राजधानी इम्फाल से बाहर हुई. मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने अपने मंत्रिमंडल की बैठक राज्य के चूराचांदपुर में रखी, जहां 2015 में पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा पारित किए गए तीन विवादित बिलों के ख़िलाफ़ हिंसक प्रदर्शन हुए थे.
स्थानीय मीडिया की ख़बरों के अनुसार मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद के साथ चूराचांदपुर के संसदीय सचिव थे. इम्फाल से 70 किलोमीटर दूर इस शहर में मुख्यमंत्री का काफिला दो जगहों पर रुका जहां स्थानीय लोगों ने उनका अभिवादन किया.
गौरतलब है कि मार्च में राज्य की सत्ता संभालने के बाद इन इलाकों में यह बीरेन सिंह का पहला दौरा है. बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री के इस कदम से स्थानीय लोग ख़ुश हैं.
एन. बीरेन सिंह ने इस दिन को ‘ऐतिहासिक दिन’ और चूराचांदपुर में कैबिनेट बैठक रखने को ‘सराहनीय कदम’ बताते हुए कहा, ‘ये नई सरकार की शुरुआत है, जो पहाड़ी क्षेत्र के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है. महज 100 दिनों की हमारी सरकार ने अच्छा और समावेशी शासन देने की कोशिश की है.’
ज्ञात हो कि 2015 में चूराचांदपुर में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा पारित तीन बिलों के ख़िलाफ़ हो रहे एक प्रदर्शन के दौरान हुई कथित पुलिस फायरिंग में मारे गए 8 लोगों के शव बीते 24 मई को करीब 632 दिन के प्रदर्शन के बाद दफनाये गए हैं.
प्रदर्शन कर रहे लोगों की एक जॉइंट एक्शन कमेटी ने बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय के सौतेले व्यवहार करने के चलते पहाड़ी लोगों के लिए अलग राज्य बनाने की मांग भी की थी. इसे देखते हुए कैबिनेट की यह बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
इससे पहले राज्य में विधानसभा चुनाव (6 मार्च) के दो दिन पहले गृहमंत्री राजनाथ सिंह द्वारा 2015 में हुए कथित पुलिस फायरिंग के इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे पर इस पर अब तक कोई प्रगति नहीं हुई है.
असम: अफ्रीकी गैंडे की मौत
गुवाहाटी: राजधानी स्थित असम राज्य चिड़ियाघर में रह रहे इकलौते अफ्रीकी गैंडे की अधिक उम्र होने के कारण 18 जुलाई की रात में मौत हो गई.
चिड़ियाघर के अधिकारियों ने 19 जुलाई को बताया कि दो सींग वाले अफ्रीकी सफेद गैंडे मोहन को वर्ष 1974 में अमेरिका से यहां लाया गया था. नर गैंडे की उम्र करीब 47 वर्ष थी जबकि गैंडों का सामान्य जीवनकाल 35 से 45 वर्ष का होता है. मोहन चिड़ियाघर में बहुत ही लोकप्रिय था.
सफेद गैंडे जमीन पर सबसे अधिक समय तक जीवित रहने वाले प्राणी होते हैं. इनके शरीर की लंबाई 335 से 420 सेंटीमीटर के बीच होती है और पूंछ की लंबाई 50 से 70 सेमी. होती है.
चिड़ियाघर ने एक सप्ताह के भीतर दूसरे प्राणी को खो दिया है. इससे पहले बीते 15 जुलाई को देश की सबसे उम्रदराज बाघिन 21 वर्षीय स्वाति की अधिक आयु होने के कारण मौत हो गई थी.
हालांकि स्वाति ने बाघों की औसतन उम्र से काफी पहले दम तोड़ दिया. रॉयल बंगाल प्रजाति की बाघिन को मैसूर से गुवाहाटी स्थित असम राज्य चिड़ियाघर में 2005 में लाया गया था. स्वाति ने मैसूर में पांच बच्चों को जन्म दिया था.
गुवाहाटी आने बाद स्वाति ने छह और बच्चों को जन्म दिया, जिनमें से एक बाघिन गुवाहाटी के चिड़ियाघर में ही है.
पिछले दो साल से स्वाति की तबीयत नाज़ुक होने से उसे चलने-फिरने में भी काफी दिक्कत होती थी, जिसके कारण उसे विशेष देखभाल में लोगों से दूर ही रखा जाता था.
त्रिपुरा: अलग राज्य की मांग पर की गई नाकेबंदी ख़त्म
इंडीजिनस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने गुरुवार को राज्य के प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग और एक मात्र रेललाइन की नाकेबंदी ख़त्म कर दी. आईपीएफटी ने 10 जुलाई को इस नाकेबंदी का ऐलान किया था. इससे खाद्य अनाज सहित ज़रूरी सामानों की गंभीर कमी हो गई थी.
समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक पश्चिमी ज़िला पुलिस प्रमुख अभिजीत सप्तर्षि ने नाकेबंदी स्थल खमतिनगबारी में कहा, ‘नाकाबंदी बिना किसी बड़ी दिक्कत के 20 जुलाई की सुबह हटा ली गई. हालांकि हम पूरी तरह से आईपीएफटी के लोगों को हटाने के लिए तैयार थे, लेकिन हमने उन पर बल प्रयोग नहीं किया क्योंकि उन्होंने नाकेबंदी ख़ुद वापस ले ली.’
आईपीएफटी अध्यक्ष नरेंद्र चंद्रा देबबर्मा ने नाकेबंदी वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के अगले सप्ताह उनकी मांगों को लेकर पार्टी नेताओं के साथ एक बैठक करने की उम्मीद है.
देबबर्मा ने कहा, राज्यपाल तथागत रॉय ने केंद्र सरकार को हमारी मांग के बारे में बताया. हम जनजातीय लोगों के लिए अलग राज्य हासिल करने के प्रयास में एक कदम आगे बढ़े हैं. हमें अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए अभी लंबी दूरी तय करनी है.
सिक्किम: राज्य के पंजीकृत ट्रकों को एनएच 10 पर सुरक्षा दे रही है पश्चिम बंगाल पुलिस
गंगटोक: सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद पश्चिम बंगाल पुलिस ने सिक्किम में पंजीकृत ट्रकों को राष्ट्रीय राजमार्ग 10 पर सिलिगुड़ी से सिक्किम तक सुरक्षा मुहैया करानी शुरू कर दी है. यह एकमात्र सड़क है जो पहाड़ी राज्य को देश के बाकी हिस्से से जोड़ती है.
ऑल सिक्किम ट्रक ड्राइवर्स एसोसिएशन (एएसटीडीए) के अध्यक्ष मिंगमा शेरपा ने कहा कि पश्चिम बंगाल पुलिस ने 17 जुलाई से गाड़ियों को सुरक्षा प्रदान करनी शुरू कर दी है और 18 जुलाई की दोपहर तक सामान से लदे 130 ट्रक सिलिगुड़ी से सिक्किम पहुंचे.
सिलिगुड़ी से सामान लेकर सिक्किम जाने वाले ट्रकवालों के लिए यह एक बड़ी राहत की बात है क्योंकि राज्य सरकार द्वारा दार्जिलिंग के पहाड़ी क्षेत्र में गोरखालैंड आंदोलन के समर्थन का विचार व्यक्त किए जाने के बाद जून के अंत से ही सिक्किम के पंजीकरण वाली गाड़ियों में सिलिगुड़ी के आसपास के इलाकों में लूटपाट और तोड़फोड़ की जा रही थी.
शेरपा ने कहा कि खाद्य पदार्थों और सब्ज़ियों से लदे ये ट्रक सिक्किम के सभी चार ज़िलों के लिए हैं.
उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने 14 जुलाई को अधिकारियों से कहा था कि वह यातायात के सुगम आवागमन के साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग 10 पर चलने वाले वाहनों में सवार यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करे.
असम: बाढ़ मरने वालों की संख्या 73 पहुंची
गुवाहाटी: असम में बाढ़ से चार और लोगों की मौत के साथ ही मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 73 पर पहुंच गई है और बाढ़ के कारण 14 ज़िलों में करीब पांच लाख लोग प्रभावित हुए हैं. हालांकि स्थिति में सुधार आ रहा है.
असम प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) ने बताया कि मध्य असम के मोरीगांव ज़िले में दो लोगों की मौत हो गई और बरपेटा में एक और दक्षिण सल्मारा ज़िले में एक व्यक्ति की मौत हो गई.
इसके साथ ही इस साल बाढ़ से संबंधित घटनाओं में मरने वालों की संख्या बढ़कर 73 हो गई है. इनमें से आठ लोग गुवाहाटी के हैं.
एएसडीएमए ने बताया कि लखीमपुर, बिस्वनाथ, नलबाड़ी, बरपेटा, बंगाईगांव, धुबरी, गुआलपाड़ा, मोरीगांव, नौगांव, गोलाघाट, ज़ोरहाट, शिवसागर, करीमगंज और कछार ज़िलों में करीब पांच लाख लोग प्रभावित हैं.
राज्य के 16 ज़िलों में बाढ़ से 18 जुलाई तक नौ लाख लोग प्रभावित थे. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में 10 फीसदी इलाका जलमग्न है.
एएसडीएमए ने बताया कि 583 गांव और 27,000 हेक्टेयर से ज़्यादा कृषि भूमि जलमग्न है. बाढ़ से सबसे ज्यादा मोरीगांव प्रभावित हुआ है. वहां 80,000 से ज़्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हैं और इसके बाद बरपेटा में 55,000 से ज़्यादा लोग प्रभावित हैं.
अधिकारियों ने 12 ज़िलों में 78 राहत शिविर और वितरण केंद्र बनाए हैं जहां 8,523 लोगों ने आश्रय ले रखा है. राज्य भर में 1,98,848 पशु और मुर्गे-मुर्गियां बाढ़ से प्रभावित हुए हैं.
गोलाघाट के नुमलीगढ़ में धानसिरी और करीमगंज शहर में कुशियारा नदियां ख़तरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. बाढ़ के कारण विभिन्न ज़िलों में कई सड़कें, तटबंध और पुलों को नुकसान पहुंचा है.
असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने बीते 18 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उन्हें अपने राज्य में बाढ़ के हालात के बारे में जानकारी दी.
एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को बताया कि बाढ़ की वजह से राज्य के 29 ज़िलों के 25 लाख लोग प्रभावित हुए हैं और 1,098 राहत शिविर और वितरण केंद्र बनाए गए हैं.
सोनोवाल ने कहा कि वैसे तो बाढ़ की भयावता कम हुई है, लेकिन 21 ज़िले अब भी बाढ़ की वजह से जलमग्न हैं और 60 लोगों की मौत हो गई है.
उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि राज्य में 5,000 किलोमीटर की दूरी तक सड़कों के विकास के लिए प्रधानमंत्री बाढ़ एवं भूक्षरण नियंत्रण विशेष कार्यक्रम शुरू किया जाए.
प्रधानमंत्री मोदी ने सोनोवाल को विश्वास दिलाया कि केंद्र सरकार राज्य की मांगों पर सक्रियता से विचार करेगी.
अरुणाचल और नगालैंड: बाढ़ राहत के लिए 132 करोड़ रुपये जारी
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर के राज्यों में बाढ़ के संकट की समीक्षा करने के बाद अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड में वित्त वर्ष 2016-17 में बाढ़ और भूस्खलन से हुए नुकसान की भरपाई के लिए सहायता और राहत राशि के रूप में 132 करोड़ रुपये जारी करने की अनुशंसा कर दी है.
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में मंत्रालय की उच्चस्तरीय समिति की 18 जुलाई को हुई बैठक में अरुणाचल प्रदेश के लिए 103.30 करोड़ रुपये जारी करने को मंज़ूरी दी गई.
इसमें राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कोष (एनडीआरएफ) द्वारा जारी किए गए 81.69 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) के तहत 21.61 करोड़ रुपये भी शामिल हैं.
समिति ने नगालैंड के लिए 28.60 करोड़ रुपये जारी करने की अनुमति दी है. इसमें एनडीआरएफ से 25.29 करोड़ रुपये और एनआरडीडब्ल्यूपी के तहत 2.71 करोड़ रुपये शामिल हैं.
बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली, कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह, गृह सचिव राजीव महर्षि सहित मंत्रालय के अन्य अधिकारी भी शामिल थे.
मणिपुर: महत्वपूर्ण बराक पुल ध्वस्त, राज्य का यातायात संपर्क कटा
इंफाल: राज्य का महत्पवूर्ण बराक पुल बीते 17 जुलाई को सुबह ध्वस्त हो गया जिसकी वजह से मणिपुर का संपर्क देश के बाकी हिस्सों से कट गया है.
परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि यह पुल उस समय ध्वस्त हुआ, जब माल से लदा दस पहियों वाला एक वाहन पुल के ऊपर से गुज़र रहा था. उन्होंने बताया कि पुल 16 जुलाई की कल रात से ही नाज़ुक स्थिति में था.
अधिकारी ने बताया कि पुल टूटने के बाद जिरिबाम से इंफाल जाने वाले माल लदे करीब 200 ट्रक फंस गए हैं. टूटे हुए पुल की मरम्मत का काम युद्धस्तर पर जारी है.
उल्लेखनीय है कि बराक पुल इंफाल-जिरिबाम राजमार्ग पर स्थित है और पहाड़ी ज़िले तमेंगलांग से गुज़रता है.
पड़ोसी राज्य नगालैंड के विस्वेमा में भीषण भूस्खलन के बाद इंफाल-दीमापुर राष्ट्रीय राजमार्ग से संपर्क कट जाने की वजह से बराक पुल को सीमावर्ती राज्य मणिपुर की दूसरी जीवन रेखा माना जाता है.
सिक्किम: पूर्व मुख्यमंत्री भंडारी निधन
गंगटोक: सिक्कम के पूर्व मुख्यमंत्री नर बहादुर भंडारी का बीते 16 जुलाई को दिल्ली में हो गया.
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सिक्किम सरकार ने 17 जुलाई से 23 जुलाई के बीच राजकीय शोक की घोषणा की है और इस दौरान सभी सरकारी संस्थानों में राष्ट्रध्वज आधा झुका रहेगा.
एलडी काज़ी के बाद भंडारी प्रदेश के दूसरे मुख्यमंत्री बने थे. वह इस छोटे हिमालयी राज्य में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले शख़्स थे. 1975 में सिक्किम को आधिकारिक रूप से भारत में शामिल किया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा और आईएएनएस से सहयोग के साथ)