पीडीपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती को 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने से कुछ घंटे पहले एहतियातन हिरासत में लिया गया था, लेकिन उनकी छह महीने की हिरासत अवधि समाप्त होने से पहले ही उन पर पीएसए लगा दिया गया. तब से लगातार उनकी हिरासत अवधि को बढ़ाया जा रहा है.
नई दिल्लीः जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत अपनी मां की अवैध नजरबंदी को चुनौती दी है.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) नेता महबूबा पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही नजरबंद हैं.
वकील आकर्ष कामरा की ओर से दायर की गई याचिका में इल्तिजा ने पीएसए आदेश और प्रशासन द्वारा बार-बार उनकी हिरासत अवधि को बढ़ाए जाने को चुनौती दी है.
पिछले साल जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने से कुछ घंटे पहले ही अन्य नेताओं के साथ महबूबा मुफ्ती को भी एहतियातन हिरासत में लिया गया था, लेकिन उनकी छह महीने की हिरासत अवधि समाप्त होने से पहले ही उन पर पीएसए लगा दिया गया था.
बीते 31 जुलाई को जम्मू कश्मीर प्रशासन ने पीएसए के तहत महबूबा की नजरंबदी को तीन महीने और बढ़ा दिया था.
इल्तिजा ने कहा, ‘उन्हें हिरासत में रखना गैरकानूनी है. एक प्रमुख विपक्षी नेता को बिना किसी मुकदमे के एक साल से अधिक समय से जेल में रखा गया है.’
इल्तिजा की ओर से दायर की गई पहली याचिका में उनकी हिरासत को चुनौती दी गई है, जो 26 फरवरी से सुप्रीम कोर्ट में लंबित पड़ी है.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इल्तिजा ने अपनी नई याचिका में जम्मू कश्मीर प्रशासन से जवाब मांगा है. याचिका में कहा गया, ‘अब तक जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कोई जवाब या कोई जवाबी हलफनामा दायर नहीं किया है.’
इल्तिजा ने द वायर को बताया,’इससे पता चलता है कि उनका (प्रशासन) अदालतों और सुप्रीम कोर्ट के लिए कितना सम्मान है.’
उनकी पिछली याचिका पर 18 मार्च को सुनवाई होनी थी, लेकिन तभी कोविड-19 के चलते कई पाबंदियां लागू हो गयीं.
इल्तिजा ने अब अपनी याचिका में कहा है कि महबूबा मुफ्ती को लगातार नजरबंदी में रखने के आदेश पुराने आधारों पर आधारित हैं और अब और पुराने हो चुके हैं.
Mehbooba Mufti writ petition by The Wire
याचिका में महबूबा की तत्काल रिहाई की मांग के साथ-साथ उनके खिलाफ लगाए गए सभी हिरासत आदेशों को रद्द करने और लंबे समय से उन्हें हिरासत में रखने के लिए उनके लिए उपयुक्त मुआवजे की मांग की गई है.
महबूबा फिलहाल अपने आधिकारिक निवास फेयरव्यू बंगले में नजरबंद हैं, जिसे ही सब्सिडरी जेल घोषित किया गया है.
इल्तिजा ने कहा, ‘उन्हें जानबूझकर पार्टी के लोगों की पहुंच से बाहर रखा गया है और पीडीपी के अध्यक्ष के तौर पर उनके कर्तव्यों को निर्वहन करने से रोका गया है.’
महबूबा जम्मू कश्मीर की मुख्यधारा की राजनीति की आखिरी नेता हैं, जिन्हें अभी भी जेल में रखा गया है.
दो पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक और उमर अब्दुल्ला दोनों को इस साल मार्च महीने में रिहा किया गया. वहीं, जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (जेकेपीसी) के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन को एक साल बाद नजरबंदी से रिहा किया गया था.
कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज को भी हाल ही में रिहा किया गया है. सैफुद्दीन सोज के बारे में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि सोज कभी नजरंबंद नहीं थे लेकिन इसके एक दिन बाद ही सोज का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह श्रीनगर स्थित अपने घर दीवार से बाहर झांकते हुए कह रहे थे कि वह आजाद नहीं हैं.