छत्तीसगढ़ के कांकेर ज़िले का मामला. पत्रकार कमल शुक्ला ने कांग्रेस नेताओं पर मारपीट और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया है. वहीं एक कांग्रेस नेता ने कमल शुक्ला पर जान से मारने की धमकी देने की शिकायत पुलिस से की है. पुलिस इसे आपसी रंज़िश का मामला बता रही है.
नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के एक पत्रकार कमल शुक्ला के साथ राज्य के कांकेर (उत्तर बस्तर) जिले में मारपीट करने का मामला सामने आया है. कमल शुक्ला भूमकाल समाचार के संपादक होने के साथ ही ‘पत्रकार सुरक्षा कानून संयुक्त संघर्ष समिति’ के प्रमुख भी हैं.
स्थानीय पत्रकारों के अनुसार, घटना शनिवार दोपहर में तब हुई जब कमल शुक्ला स्थानीय पुलिस स्टेशन गए हुई थे. उन्हें पता चला था कि सतीश यादव नाम के एक अन्य एक स्थानीय पत्रकार पर सत्ताधारी कांग्रेस से जुड़े स्थानीय नगरपालिका पार्षदों द्वारा हमला किया गया है.
कांकेर से शुक्ला ने द वायर से बातचीत में कहा, ‘यह बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से किया गया है, क्योंकि हम कांग्रेस से जुड़े स्थानीय नेताओं के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और उनके गलत कामों के बारे में रिपोर्टिंग कर रहे हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं जैसे ही पुलिस स्टेशन से बाहर निकला, वैसे ही उन लोगों ने मुझ पर हमला कर दिया.’
शुक्ला ने दावा किया कि हमलावर उनकी रिपोर्टिंग और सोशल मीडिया लेखों से परेशान थे, क्योंकि इससे उन्हें नुकसान हो रहा था.
कलम शुक्ला और सतीश यादव के अलावा एक अन्य पत्रकार जीवंद हलधर पर भी हमला किया गया.
शुक्ला ने आरोप लगाया कि थाने में कांग्रेस विधायक शिशुपाल शोरी के एक प्रतिनिधि गफ्फार मेमन ने उनके पिस्तौल दिखाते हुए कहा कि कमल शुक्ला की हत्या होनी चाहिए, क्योंकि वही असली दोषी हैं.
शुक्ला ने आरोप लगाया, ‘मुझे इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि मैंने रेत की तस्करी में शोरी के शामिल होने के बारे में लिखा है और इस काम में गफ्फार और अन्य लोग शोरी की मदद कर रहे हैं.’
हमले का विरोध करते हुए स्थानीय पत्रकारों ने कांकेर कस्बे के अंबेडकर चौक पर धरना प्रदर्शन किया.
हमले की पुष्टि करते हुए पुलिस अधीक्षक एमआर अहिरे ने द वायर से कहा कि इस मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 294 (अश्लीलता का सार्वजनिक कृत्य), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 506 (आपराधिक धमकी) और 34 (सामान्य इरादे से कई व्यक्तियों द्वारा किया गया कृत्य) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
स्थानीय पुलिस के अनुसार, जितेंद्र सिंह ठाकुर, गफ्फार मेमन, गणेश तिवारी, मकबूल खान और अन्य का नाम एफआईआर में शामिल किया गया है. हालांकि, पुलिस ने इस हमले को आपसी रंजिश के कारण दो समूहों के बीच झड़प बताया है.
एक आरोपी गफ्फार मेमन द्वारा एक जवाबी शिकायत भी दर्ज कराई गई है. कांकेर एसपी ने द वायर को बताया, ‘हमें शुक्ला के खिलाफ एक जवाबी शिकायत भी मिली है, लेकिन इस पर अभी एफआईआर दर्ज नहीं की गई है.
मेमन ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि यह कमल शुक्ला थे, जिन्होंने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें जान से मारने की धमकी दी.
मेमन के अनुसार, यह घटना तब शुरू हुई जब शुक्ला ने उनकी पत्रिका में प्रकाशित विज्ञापन का भुगतान न करने के लिए उनके साथ दुर्व्यवहार किया.
पुलिस में दर्ज कराई अपनी शिकायत में पत्रकार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए मेमन कहते हैं, यह देखते हुए कि शुक्ला एक अपराधी दिमाग वाले शख्सियत हैं और उनके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा लंबित है, मुझे डर है कि वह मेरे खिलाफ कुछ गड़बड़ कर सकते हैं. मेमन ने कमल शुक्ला के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है.
पत्रकार शुक्ला राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने की मांग करने के अभियान में आगे रहे हैं.
अप्रैल 2018 में राज्य पुलिस ने शुक्ला पर फेसबुक पर एक कार्टून साझा करने के लिए राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया था, जिसमें कथित रूप से न्यायपालिका और सरकार के लिए अपमानजनक टिप्पणी की गई थी. हालांकि, शुक्ला जोर देकर कहते हैं कि उन पर झूठा आरोप लगाया गया था.
इस बीच इसे कांग्रेस नेताओं द्वारा पत्रकारों पर जानलेवा हमला बताते हुए स्थानीय पत्रकारों ने छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके को पत्र लिखकर उनसे मामले में हस्तक्षेप का अनुरोध किया है.
वैश्विक प्रेस स्वतंत्रता संगठन कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) ने हमले की निंदा की है और अपराधियों के खिलाफ जांच की मांग की है.
Journalist Kamal Shukla was brutally attacked this afternoon in Kanker, Chhattisgarh. He told CPJ that the attack was in retaliation to his reporting on illegal sand mining in the area. @cg_police must investigate and bring the perpetrators to justice @bhupeshbaghel #pressfreedom pic.twitter.com/V6TXnh6iAO
— CPJ Asia (@CPJAsia) September 26, 2020
इस घटना की निंदा करते हुए पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की छत्तीसगढ़ इकाई ने मांग की है कि कांकेर प्रशासन पत्रकारों को सुरक्षा प्रदान करे.
इसके साथ ही इस मानवाधिकार संस्था ने मामले की स्वतंत्र जांच और हमलावरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है. पीयूसीएल ने राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक प्रभावी कानून पारित करने के अलावा स्थानीय पुलिस की भूमिका की जांच की भी मांग की है.
द वायर ने कांग्रेस विधायक शिशुपाल शोरी से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका. उनका जवाब आने पर उसे इस खबर में शामिल किया जाएगा.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)