मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बिल भुगतान न होने पर एक निजी अस्पताल द्वारा वृद्ध मरीज को बिस्तर से बांधने के मामले पर संज्ञान लेते हुए अस्पतालों के रिसेप्शन पर फीस की सूची लगाने आदेश दिया था. अब अदालत ने इसके अमल को लेकर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.
जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज़ों का उपचार कर रहे अस्पतालों के रिसेप्शन पर उपचार शुल्क सूची लगाए जाने के पूर्व में दिए गए अपने आदेश के अनुपालन के संबंध में प्रदेश सरकार ने क्या कदम उठाए हैं, इस पर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है.
मामले में कोर्ट मित्र अधिवक्ता नमन नागरथ ने शनिवार को बताया कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस संजय यादव तथा जस्टिस बीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने बुधवार को यह निर्देश जारी किए हैं. याचिका पर अगली सुनवाई एक अक्टूबर को निर्धारित की गई है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, नागरथ ने कहा कि राज्य सरकार ने अदालत के 7 सितंबर के निर्देश के अनुपालन के बारे में स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की थी जिसमें अस्पतालों में रिसेप्शन केंद्रों पर कोरोना वायरस रोगियों के लिए उपचार दरों की सूची लगाने के लिए कहा गया था.
अदालत ने कहा, ‘यद्यपि यह अतिरिक्त महाधिवक्ता द्वारा कहा गया है कि आदेश का अनुपालन किया जा रहा है और 14 सितंबर को इस संबंध में स्थिति रिपोर्ट दायर की गई है लेकिन राज्य सरकार द्वारा निजी सहित हर अस्पताल के रिसेप्शन केंद्र पर कोविड-19 रोगियों के उपचार की दरें प्रदर्शित करने के संबंध निर्देश जारी करने की कार्रवाई का खुलासा नहीं करता है.’
अदालत ने आगे कहा, ‘न ही इसमें यह दिख रहा है कि राज्य ने उक्त आदेश के संबंध में अखबारों में बड़े स्तर पर विज्ञापन दिया है.’
गौरतलब है कि प्रदेश के शाजापुर जिले स्थित एक निजी अस्पताल के प्रबंधन ने बिल का भुगतान नहीं होने पर एक वृद्ध मरीज को बिस्तर से बांधकर रखा हुआ था. इस संबंध में अखबारों में फोटो सहित समाचार प्रकाशित हुए थे.
इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने 11 जून को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को पत्र लिखा था. जिसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के महासचिव डॉ. अश्वनी कुमार द्वारा उक्त घटना का उल्लेख करते हुए शीर्ष न्यायालय को आठ जुलाई को एक पत्र लिखा था. जिसमें उक्त घटना को मानव अधिकारों का उल्लंघन बताया गया था.
खंडपीठ ने प्रदेश सरकार को निर्देशित किया था कि कोविड- 19 मरीजों के उपचार से संबंधित शुल्क सूची अस्पतालों में चस्पा की जाए. निर्धारित से अधिक राशि लेने पर पीड़ित पक्ष जिला प्रशासन तथा हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर शिकायत कर सकता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)