यूपीएससी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, सिविल सेवा परीक्षा स्थगित करना संभव नहीं

देशभर में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के मद्देनजर कुछ छात्रों ने यूपीएससी परीक्षा स्थगित कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. अदालत ने यूपीएससी से 29 सितंबर तक हलफ़नामा दायर कर परीक्षा नहीं टालने को लेकर कारण बताने को कहा है.

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New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
(फोटो: पीटीआई)

देशभर में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के मद्देनजर कुछ छात्रों ने यूपीएससी परीक्षा स्थगित कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. अदालत ने यूपीएससी से 29 सितंबर तक हलफ़नामा दायर कर परीक्षा नहीं टालने को लेकर कारण बताने को कहा है.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि देश में चार अक्टूबर को हो जा रही सिविल सेवा (प्रीलिम्स) परीक्षा को स्थगित करना संभव नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट अब इस याचिका पर 30 सितंबर को सुनवाई करेगा. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यूपीएससी से 29 सितंबर तक हलफनामा दायर कर परीक्षा स्थगित नहीं करने के कारणों के बारे में पूछा है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट कोविड-19 के मामलों में लगातार बढ़ोतरी के मद्देनजर यूपीएससी की परीक्षा स्थगित करने की याचिका पर सुनवाई कर रहा है.

यूपीएससी की तरफ से मामले की पैररी कर रहे वकील ने अदालत को बताया कि सिविल सेवा (प्रीलिम्स) परीक्षा पहले 30 सितंबर को होनी थी, लेकिन इसे बाद में चार अक्टूबर के लिए स्थगित कर दिया गया था, इसलिए अब परीक्षा अपने तय शेड्यूल पर चार अक्टूबर को ही होगी.

मालूम हो कि सिविल सेवा (प्रीलिम्स) परीक्षा 2020 के विरोध में यूपीएससी के 20 अभ्यर्थियों ने याचिका  दायर की है.

वासिरेड्डी गोवर्धन साईं प्रकाश और अन्य द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया है कि संशोधित कैलेंडर के अनुसार परीक्षाएं आयोजित कराने का यूपीएससी का फैसला याचिकाकर्ताओं के अधिकारों और संविधान के अनुच्छेद 19(1) जी के तहत कोई भी व्यवसाय या पेशा अपनाने या व्यापार करने के अधिकार का उल्लंघन है.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह सात घंटे लंबी ऑफलाइन परीक्षा है, जो देश के 72 शहरों के परीक्षा केंद्रों में आयोजित होगी और जिसमें लगभग छह लाख उम्मीदवार हिस्सा लेंगे.

याचिका में कहा गया कि सिविल सेवा परीक्षा किसी तरह की अकादमिक परीक्षा से पूरी तरह अलग है और इसके स्थगित होने की स्थिति में किसी भी शैक्षणिक सत्र में देर या नुकसान का सवाल ही नहीं उठता.

(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)