केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जारी किए गए ट्रांसजेंडर पर्सन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) नियम 2020 में राज्य सरकारों को ट्रांसजेंडर लोगों के अधिकारों और उनके हितों की सुरक्षा के लिए वेलफेयर बोर्ड का गठन करने का निर्देश दिया है. केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की गईं योजनाओं तक उनकी पहुंच बनने को कहा गया है.
नई दिल्लीः देश में ट्रांसजेंडर लोगों को अब अपने जेंडर को आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक करने के लिए किसी तरह की मेडिकल जांच से नहीं गुजरना पड़ेगा.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नए ट्रांसजेंडर पर्सन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) नियम 2020 से इसका पता चला है.
आपत्ति और सुझावों को आमंत्रित करने के लिए ये नियम जुलाई में एक मसौदे के रूप में जारी किए गए थे, तब एलजीबीटीक्यू समुदाय द्वारा इसकी आलोचना की गई थी.
समुदाय का कहना था कि जिला मजिस्ट्रेट जैसे एक तीसरे व्यक्ति द्वारा किसी व्यक्ति के लिंग का सत्यापन करना उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाना है.
अब 25 सितंबर को अधिसूचित नए नियमों में कहा गया है कि जिला मजिस्ट्रेट आवेदक के आवेदन की जांच करेगा और बिना किसी मेडिकल या शारीरिक जांच के किसी व्यक्ति द्वारा अपने जेंडर की पहचान को लेकर दायर किए गए हलफनामे के आधार पर आवेदन पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
इसके बाद आवेदक को एक पहचान संख्या दी जाएगी, जो उसके आवेदन के प्रमाण के तौर पर चिह्नित होगी.
बता दें कि सिस्टम ऑनलाइन होने से पहले अपना जेंडर घोषित करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष खुद पेश होकर आवेदन करना होता था.
हालांकि, अब अभिभावक भी अपने बच्चे की ओर से आवेदन कर सकते हैं.
ऐसे ट्रांसजेंडर जिन्होंने इन नियमों के लागू होने से पहले ही पुरुष, महिला या ट्रांसजेंडर के रूप में अपना जेंडर आधिकारिक तौर पर दर्ज करा लिया है, उन्हें अपनी पहचान प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने की जरूरत नहीं होगी.
नए नियमों में राज्य सरकारों को ट्रांसजेंडर लोगों के अधिकारों और उनके हितों की सुरक्षा के लिए वेलफेयर बोर्ड का गठन करने का निर्देश दिया है और केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की गईं योजनाओं तक उनकी पहुंच बनने को कहा गया है.
इसके साथ ही सभी मौजूदा शैक्षणिक, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य योजनाओं, कल्याणकारी उपायों, व्यावसायिक प्रशिक्षण और स्वरोजगार योजनाओं में ट्रांसजेंडर लोगों को शामिल करने के लिए इनकी समीक्षा करने को कहा है.
राज्य सरकारों को भी किसी भी सरकारी या निजी संगठन, निजी या सार्वजनिक शैक्षणिक संस्थानों में ट्रांसजेंडर लोगों के साथ किसी तरह के भेदभाव को रोकने के लिए उचित कदम उठाने के साथ-साथ श्मशान स्थलों सहित सभी तरह के सामाजिक और सार्वजनिक स्थानों पर उनके लिए समान पहुंच सुनिश्चित करने को कहा गया है.
केंद्र सरकार ने नियमों के दो साल के भीतर अधिसूचित होने तक अस्पतालों में ट्रांसजेंडर लोगों के लिए अलग वॉर्ड और अलग वॉशरूम जैसे बुनियादी ढांचों का निर्माण अनिवार्य कर दिया है.
ट्रांसजेंडर लोगों के खिलाफ आपराधिक मामलों की जांच के लिए हर राज्य सरकार को राज्य के डीजीपी और जिला मजिस्ट्रेट के तहत ट्रांसजेंडर प्रोटेक्शन सेल के गठन और समय पर आपराधिक मामलों को दर्ज करने, उनकी जांच करने से लेकर कार्रवाई तक को सुनिश्चित करने को कहा गया है.