इस साल फरवरी में एनएससीएन-आईएम प्रमुख टी. मुईवाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में मांग की थी कि वार्ता सीधे प्रधानमंत्री स्तर पर बिना किसी पूर्व शर्त के हो. संगठन ने अब यह पत्र जारी करते हुए कहा कि वे चाहते हैं कि लोग जानें कि नगा समूहों के साथ पीएमओ का रवैया कितना अनुत्तरदायी था.
नई दिल्ली: नगा शांति वार्ता में सरकार के वार्ताकार आरएन रवि और नगा संगठनों के बीच हुई तनातनी के बाद सामने आया है कि इस साल फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए एक पत्र में नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-इसाक मुईवाह (एनएससीएन-आईएम) प्रमुख टी. मुईवाह ने नगा शांति बातचीत को किसी तीसरे देश में ले जाने के लिए कहा था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने यह भी मांग की थी कि वार्ता सीधे प्रधानमंत्री स्तर पर और बिना किसी पूर्व शर्त के आयोजित की जाए.
सोमवार को एनएससीएन-आईएम ने मुईवाह का पत्र यह कहते हुए जारी किया कि वह चाहता है कि नगा लोग जानें कि नगा समूहों के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का कितना अनुत्तरदायी रवैया था.
मुईवाह ने लिखा था, ‘यदि हमारे भारत में रहने का स्वागत नहीं है, तो भारत छोड़ने के लिए हमारे लिए सभी आवश्यक प्रबंध किए जाने चाहिए और तीसरे देश में राजनीतिक वार्ता फिर से शुरू की जानी चाहिए.’
पिछले साल अक्टूबर में शांति समझौते के औपचारिक समाप्ति के बाद पिछले साल भर में केंद्र सरकार के वार्ताकार आरएन रवि और एनएससीएन-आईएम के बीच संबंध खराब होने के बाद बातचीत को जारी रखने के लिए एनएससीएन-आईएम को दिल्ली बुलाया गया था जिसे इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) के वरिष्ठ अधिकारियों ने संचालित किया था.
ये अनौपचारिक बातचीत सितंबर में समाप्त हुए थे और एनएससीएन-आईएम नेता वापस नगालैंड के दीमापुर चले गए थे.
उसने एक बयान में कहा, ‘हमने पूरे विश्वास के साथ इंतजार किया कि भारत के प्रधानमंत्री सकारात्मक प्रतिक्रिया देंगे. आज एनएससीएन-आईएम ने नगा लोगों के प्रति जवाबदेह होने के कारण हमारे लोगों को भारतीय प्रधानमंत्री के कार्यालय से देरी और प्रतिक्रिया की कमी के बारे में सूचित करने के लिए पत्र जारी किया.’
एनएससीएन-आईएम एक तरफ तो भारत सरकार के दबाव का सामना कर रही है, वहीं दूसरी तरफ नगा मुद्दे का जल्द से जल्द समाधान चाहने वाले नगालैंड के लोगों का.
नगालैंड में सिविल सोसाइटी और जनजाति के नेताओं के संगठनों ने भी बयान जारी कर कहा है कि अगर समझौते में यह संभव नहीं है तो लोग अब अलग झंडा और संविधान नहीं चाहते हैं.
बता दें कि केंद्र सरकार और एनएससीएन-आईएम के बीच विवाद का यह एक केंद्र बिंदु है. सूत्रों ने कहा है कि एनएससीएन-आईएम के पत्र जारी करने का उद्देश्य समाधान में हो रही देरी की जिम्मेदारी भारत सरकार पर डालना है.
प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में मुईवाह ने लिखा था कि 22 साल की बातचीत के बाद एक गंभीर गतिरोध एक अलग झंडे और संविधान पर उभरा था.
उन्होंने दावा किया कि 1997 में जब युद्ध विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे तो यह तय किया गया था कि राजनीतिक बातचीत उच्चतम स्तर (प्रधानमंत्री स्तर) पर पूर्व शर्त के बिना और भारत से बाहर तीसरे देश में होगी.
इससे पहले नगा बातचीत पेरिस, ज्यूरिख, जिनेवा, विएना, मिलान, हेग, न्यूयॉर्क, बैंगकॉक, कुआलालंपुर और ओसाका में हुई थी.