दुनिया भर में दो करोड़ 90 लाख लड़कियां और महिलाएं आधुनिक दासता की शिकार: रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र के एक संवाददाता सम्मेलन में दासता के ख़िलाफ़ काम करने वाले संगठन ‘वॉक फ्री’ की सह संस्थापक ग्रेस फ्रोरेस ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन के साथ किए गए सर्वे से यह निष्कर्ष निकला है कि 130 महिलाओं और लड़कियों में से एक आधुनिक दासता की शिकार है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

संयुक्त राष्ट्र के एक संवाददाता सम्मेलन में दासता के ख़िलाफ़ काम करने वाले संगठन ‘वॉक फ्री’ की सह संस्थापक ग्रेस फ्रोरेस ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन के साथ किए गए सर्वे से यह निष्कर्ष निकला है कि 130 महिलाओं और लड़कियों में से एक आधुनिक दासता की शिकार है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

संयुक्त राष्ट्र: एक नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दुनिया में कम से कम दो करोड़ 90 लाख महिलाएं आधुनिक दासता की शिकार हैं. यह जबरन श्रम, जबरदस्ती विवाह, बंधुआ मजदूरी और घरेलू दासता आदि के रूप में मौजूद है.

दासता के खिलाफ काम करने वाले संगठन ‘वॉक फ्री’ की सह संस्थापक ग्रेस फ्रोरेस ने शुक्रवार को कहा कि इसका मतलब है कि 130 महिलाओं और लड़कियों में से एक आधुनिक दासता की शिकार है और संख्या ऑस्ट्रेलिया की कुल आबादी से अधिक है.

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हकीकत यह है कि जितने लोग दासता में आज के वक्त में जी रहें हैं उतने मानव इतिहास में कभी नहीं रहे.’

उन्होंने कहा कि वॉक फ्री आधुनिक दासता की व्याख्या, ‘एक व्यक्ति की स्वतंत्रता को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना, जहां एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का व्यक्तिगत अथवा आर्थिक लाभ के लिए शोषण करता हो’ के तौर पर करता है.

उन्होंने कहा कि वॉक फ्री और संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों- अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन तथा इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन द्वारा किए गए कार्यों (सर्वे) से यह निष्कर्ष निकला है कि 130 महिलाओं और लड़कियों में से एक आधुनिक दासता की शिकार है.

‘स्टैग्ड ऑड्स’ रिपोर्ट में कहा गया है कि यौन उत्पीड़न के सभी पीड़ितों में 99 प्रतिशत महिलाएं हैं, जबरदस्ती विवाह के सभी पीड़ितों में 84 प्रतिशत और जबरदस्ती श्रम के सभी पीड़ितों में 58 प्रतिशत महिलाएं हैं.

ग्लोबल न्यूज के मुताबिक फ्रोरेस ने कहा कि आधुनिक गुलामी की परिभाषा पूरी तरह से बदल गई है. उन्होंने कहा, ‘हम अपनी अर्थव्यवस्था में सामान्य आपूर्ति शृंखलाओं और पलायन में सामान्यीकृत शोषण देख रहे हैं. कोरोना महामारी दुनिया के सबसे कमजोर वर्गों को आधुनिक गुलामी की इस प्रथा में और अधिक धकेल दिया गया है.’

उन्होंने कहा कि आधुनिक दासता में फंसी महिलाओं और लड़कियों की अनुमानित संख्या कम ही होगी, क्योंकि इसमें यह हिसाब शामिल नहीं है कि महामारी के दौरान क्या हुआ. दरअसल महामारी के दौरान दुनिया भर में जबरन और बाल विवाहों में और काम की शोषणकारी परिस्थितियों में बेहद बढ़ोतरी देखी गई.

फ्रोरेस ने कहा, ‘हम जानते हैं कि कपड़े, कॉफी, प्रौद्योगिकी जैसी वस्तुओं, जो हम हर दिन खरीदते और उपयोग करते हैं, की सप्लाई शृंखलाओं में महिलाओं और लड़कियों को अभूतपूर्व स्तर पर शोषण का सामना करना पड़ रहा है.’

उन्होंने कहा कि वॉक फ्री और संयुक्त राष्ट्र का ‘एवरी वीमेन एवरी चाइल्ड’ कार्यक्रम आधुनिक दासता को समाप्त करने के लिए एक वैश्विक अभियान शुरू कर रहा है. उन्होंने कहा यह अभियान बहुराष्ट्रीय कंपनियों से पारदर्शिता और जवाबदेही की भी मांग करता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)