मुंबईः अस्पताल के शौचालय में मिला दो हफ़्तों से लापता कोरोना संक्रमित मरीज़ का शव

मामला मुंबई के सेवरी के टीबी अस्पताल का है, जहां टीबी पीड़ित 27 साल का एक कोरोना संक्रमित मरीज़ चौदह दिनों से लापता था. बीएमसी ने मामले में उच्चस्तरीय जांच के आदेश देते हुए वॉर्ड में काम कर रहे अस्पताल के 40 कर्मचारियों को नोटिस जारी किया है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

मामला मुंबई के सेवरी के टीबी अस्पताल का है, जहां टीबी पीड़ित 27 साल का एक कोरोना संक्रमित मरीज़ चौदह दिनों से लापता था. बीएमसी ने मामले में उच्चस्तरीय जांच के आदेश देते हुए वॉर्ड में काम कर रहे अस्पताल के 40 कर्मचारियों को नोटिस जारी किया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

मुंबईः मुंबई के सेवरी के एक अस्पताल के शौचालय से 14 दिनों से लापता कोरोना संक्रमित एक शख्स का शव बरामद किया गया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला सेवरी के टीबी अस्पताल का है, जहां टीबी से पीड़ित 27 साल का एक युवक 14 दिनों से लापता था. वह कोरोना संक्रमित भी था.

बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने मामले में उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और वॉर्ड में काम कर रहे अस्पताल के 40 कर्मचारियों को नोटिस जारी किया है.

बताया जा रहा है कि ब्लॉक के शौचालयों की नियमित तौर पर सफाई की जाती है और अन्य मरीजों द्वारा इसका इस्तेमाल भी नियमित तौर पर किया जाता है तो ऐसे में आखिर किस तरह शव 14 दिनों तक शौचालय में पड़ा रहा?

शव इतनी बुरी तरह से सड़ गया था कि अस्पताल शुरुआत में शव के जेंडर का पता नहीं लगा सका. इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने रिकॉर्ड खंगाले और 27 वर्षीय मरीज सूर्यभान यादव के चार अक्टूबर से उसी वॉर्ड से लापता होने का पता चला.

अस्पताल के अधीक्षक डॉ. ललित कुमार आनंदी का कहना है, ‘हमने गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज कराई थी लेकिन टीबी मरीजों का अस्पताल से भाग जाना सामान्य बात है.’

बता दें कि यादव गोरेगांव के मेडिकल अधिकारी द्वारा रेफर किए जाने के बाद 30 सितंबर को इस अस्पताल में पहुंचे थे. वह कोरोना संक्रमित थे.

अस्पताल के एक डॉक्टर का कहना है, ‘यादव ने भर्ती होते समय अपना पूरा पता नहीं दिया था. अस्पताल में 11 कोरोना संक्रमित मरीज हैं. यादव को पहली मंजिल पर पुरुष मरीजों के लिए बनाए गए वॉर्ड में रखा गया था. ऐसा अंदेशा है कि चार अक्टूबर को वह शौचालय गए और सांस लेने में बैचेनी के कारण वहीं बेहोश हो गए.’

अस्पताल प्रशासन का कहना है कि किसी मरीज या स्टाफ को 18 अक्टूबर तक दुर्गंध का पता नहीं चला. 18 अक्टूबर को एक वॉर्ड ब्वॉय को तीन बंद क्यूबिकल्स में से एक से बदबू आने का एहसास हुआ तो उसने दीवार फांदकर देखा, तो उसे अंदर शौचालय के फर्श पर शव का पता चला.

इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को इसकी सूचना दी और शव को पोस्टमार्टम के लिए केईएम अस्पताल भेज दिया.

यह पूछने पर कि अस्पताल के किसी भी स्टाफ ने सफाई के दौरान बंद क्यूबिकल की छानबीन क्यों नहीं की? इस पर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. ललित ने कहा, ‘शौचालयों की दिन में तीन बार सफाई की जाती है. कई बार शौचालय के समय अंदर मरीज होता है तो सफाईकर्मी वापस लौट जाता है लेकिन मरीजों ने नियमित तौर पर इन शौचालयों का इस्तेमाल किया है इसलिए उन्हें दुर्गंध आनी चाहिए थी. हमने वॉर्ड में ड्यूटी पर तैनात सभी कर्मचारियों को नोटिस जारी किया है.’

अस्पताल के एक डॉक्टर का कहना है कि स्टाफ कोविड-केयर वॉर्ड में जाने से कतराते हैं. जब गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई तो एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि वे भी कोरोना वॉर्ड होने की वजह से वॉर्ड में जाने और शौचालयों की चेकिंग से बचते हैं.

वहीं, केईएम अस्पताल के फॉरेंसिक विभाग के प्रमुख डॉ हरीश पाठक ने कहा कि यादव की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है.

आरएके मार्ग पुलिस थाने के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सुनील सोहोनी का कहना है, ‘हम यह समझने के लिए अस्पताल के कर्मचारियों को पूछताछ के लिए बुलाएंगे कि यह कैसे हुआ? हमने किसी तरह की साजिश का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है.’