एमेज़ॉन को अंतरिम राहत, रिलायंस-फ्यूचर ग्रुप सौदे पर लगी रोक

बीते साल एमेज़ॉन फ्यूचर समूह की एक असूचीबद्ध कंपनी की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने पर सहमत हुई थी, इसी बीच फ्यूचर ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के साथ 24,713 करोड़ रुपये का सौदा कर लिया. सिंगापुर की एक अदालत ने इस सौदे पर अंतरिम रोक लगा दी है.

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(फोटो: रॉयटर्स)

बीते साल एमेज़ॉन फ्यूचर समूह की एक असूचीबद्ध कंपनी की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने पर सहमत हुई थी, इसी बीच फ्यूचर ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के साथ 24,713 करोड़ रुपये का सौदा कर लिया. सिंगापुर की एक अदालत ने इस सौदे पर अंतरिम रोक लगा दी है.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: एमेजॉन को अपने भारतीय साझेदार फ्यूचर ग्रुप के खिलाफ रविवार को एक अंतरिम राहत मिली है.

सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत ने फ्यूचर ग्रुप को अपना खुदरा कारोबार रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को बेचने से अंतरिम रूप से रोक दिया है.

फ्यूचर समूह ने रिलायंस के साथ 24,713 करोड़ रुपये का सौदा कर रखा है. एमेजॉन पिछले साल फ्यूचर समूह की एक असूचीबद्ध कंपनी की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने पर सहमत हुई थी.

इसके साथ ही यह शर्त भी थी कि एमेजॉन को तीन से 10 साल की अवधि के बाद फ्यूचर रिटेल लिमिटेड की हिस्सेदारी खरीदने का अधिकार होगा.

इस बीच कर्ज में दबे किशोर बियानी के समूह ने अपने खुदरा स्टोर, थोक और लाजिस्टिक्स कारोबार को हाल में रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेचने का करार कर लिया. इसके विरुद्ध एमेजॉन ने मध्यस्थता अदालत का दरवाजा खटखटाया है.

एमेजॉन बनाम फ्यूचर बनाम रिलायंस इंडस्ट्रीज के इस मामले में एकमात्र मध्यस्थ वीके राजा ने एमेजॉन के पक्ष में अंतरिम फैसला सुनाया. उन्होंने फ्यूचर ग्रुप को फिलहाल सौदे को रोकने को कहा.

उन्होंने कहा कि जब तक इस मामले में मध्यस्थता अदालत अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंच जाती है, तब तक सौदा नहीं किया जा सकता है.

एमेजॉन के एक प्रवक्ता ने भी मध्यस्थता अदालत के इस निर्णय की पुष्टि की है. उसने कहा कि मध्यस्थता अदालत ने कंपनी के द्वारा मांगी गई राहत प्रदान की है. उसने कहा कि एमेजॉन मध्यस्थता प्रक्रिया के तेजी से संपन्न होने की उम्मीद करती है.

एमेजॉन के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम आपातकालीन मध्यस्थ के निर्णय का स्वागत करते हैं. हम इस आदेश के लिए आभारी हैं, जो सभी अपेक्षित राहत देता है. हम मध्यस्थता प्रक्रिया के त्वरित निस्तारण के लिए प्रतिबद्ध हैं.’

एमेजॉन का मानना है कि फ्यूचर ग्रुप ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ समझौता कर उसके साथ करार का उल्लंघन किया है. यदि यह सौदा पूरा होता है तो रिलायंस को भारत के खुदरा क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को करीब दोगुना करने में मदद मिलती.

एक सूत्र ने कहा कि तीन सदस्यों वाली एक मध्यस्थता अदालत 90 दिन में इस मामले में अंतिम निर्णय लेगी. अंतिम निर्णय सुनाने वाली समिति में फ्यूचर और एमेजॉन के द्वारा नामित एक-एक सदस्य होंगे तथा एक तटस्थ सदस्य होंगे.

सूत्रों ने कहा कि एमेजॉन की टीम का पक्ष गोपाल सुब्रमण्यम, गौरव बनर्जी, अमित सिब्बल और एल्विन येओ ने रखा. फ्यूचर रिटेल के पक्ष में हरीश साल्वे खड़े थे.

इससे पहले मध्यस्थता अदालत ने सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र में 16 अक्टूबर को सुनवाई पूरी की थी.

बता दें कि एमेजॉन ने पिछले साल फ्यूचर समूह के फ्यूचर कूपंस लिमिटेड में 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी. फ्यूचर कूपंस का फ्यूचर समूह में 7.3 फीसदी हिस्सेदारी है. फ्यूचर समूह देशभर में ग्रॉसरी चेन बिग बाजार सहित 1500 से अधिक स्टोर चलाती है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, एमेजॉन ने यह आरोप लगाते हुए फ्यूचर ग्रुप को एक कानूनी नोटिस भेजा था कि फ्यूचर ग्रुप द्वारा रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ किया गया 24,713 करोड़ रुपये का करार उसके साथ किए गए करार का उल्लंघन है और वह कंपनी को मध्यस्थता में ले गया था.

इससे पहले 29 अगस्त, 2020 को फ्यूचर ग्रुप ने अपने रिटेल, होलसेल और लॉजिस्टिक आदि की बिक्री रिलायंस इंडस्ट्रीज के रिटेल शाखा, रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (आरआरवीएल) को बेचने की घोषणा की थी.

भारत के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस रिटेल वेंचर्स फंड जुटाने में लगी है और इस साल सितंबर तक उसने अपनी रिटेल कंपनियों में से अपनी हिस्सेदारी बेचकर 37,710 करोड़ रुपये जुटाए हैं.

आरआरवीएल भारत के सबसे बड़े, सबसे तेजी से विकसित और सबसे अधिक लाभदायक खुदरा व्यापार फैलाने वाले सुपरमार्केट, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स चेन स्टोर, कैश और कैरी होलसेल व्यवसाय, फास्ट-फैशन आउटलेट और ऑनलाइन किराने की दुकान जियो मार्ट को संचालित करता है.

यह लगभग 7,000 शहरों में 12,000 स्टोर संचालित करता है, जिसके किराना, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और परिधान की मुख्य श्रेणियों में 640 मिलियन उपभोक्ता हैं. वित्त वर्ष 2015 में रिलायंस रिटेल का राजस्व 1.63 लाख करोड़ रुपये था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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