केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर विकास अधिनियम की धारा 17 से ‘राज्य का स्थायी नागरिक’ वाक्यांश हटा लिया है. यह धारा केंद्र शासित प्रदेश में ज़मीन के निस्तारण से संबंधित है और नया संशोधन बाहर के लोगों को जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में ज़मीन खरीदने का अधिकार देने का रास्ता खोलता है.
श्रीनगर: पिछले साल अगस्त में पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के बाद सबसे महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के जमीन मालिकाना अधिकार में बदलाव किया है जिसके अनुसार देशभर से अब कोई भी राज्य में में जमीन खरीद सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने यह कदम लेह में लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (एलएएचडीएसी) चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद उठाया है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (केंद्रीय कानूनों का अनुकूलन) तीसरा आदेश, 2020 के माध्यम से जमीन कानूनों के संबंध में यह बदलाव किया है.
दरअसल, केंद्र सरकार ने एक राजपत्रित अधिसूचना में जम्मू कश्मीर विकास अधिनियम की धारा 17 से ‘राज्य का स्थायी नागरिक’ वाक्यांश हटा लिया है.
यह धारा केंद्र शासित प्रदेश में जमीन के निस्तारण से संबंधित है और नया संशोधन बाहर के लोगों को जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में जमीन खरीदने का अधिकार देने का रास्ता खोलता है.
इसके अनुसार, जहां यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया वहीं, जनरल क्लॉज एक्ट, 1897 इस आदेश की व्याख्या के लिए लागू होता है क्योंकि यह भारत के क्षेत्र में लागू कानूनों की व्याख्या के लिए लागू होता है.
आदेश के तहत जम्मू और कश्मीर विकास अधिनियम में बाहरी लोगों ’को जमीन खरीदने की अनुमति देने के लिए कई संशोधन किए गए हैं.
पिछले साल 5 अगस्त से पहले केवल जम्मू और कश्मीर राज्य के स्थायी निवासी इस क्षेत्र में भूमि सहित खुद की संपत्ति के योग्य थे और नौकरियों के लिए आवेदन कर सकते थे.
इस साल की शुरुआत में केंद्र सरकार स्थायी निवासी प्रमाणपत्र (पीआरसी) को रद्द करते हुए उसकी जगह डोमिसाइल प्रमाणपत्र ले आई थी, जिससे बाहरी लोग जम्मू कश्मीर में नौकरियों के लिए आवेदन कर सकते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू कश्मीर राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि नवीनतम आदेश में जम्मू कश्मीर में जमीन खरीदने के लिए लोगों को अधिवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया गया है.
अधिकारी के अनुसार, जम्मू कश्मीर में गैर-कृषि भूमि पर बाहरी लोगों का स्वामित्व अधिकार हो सकता है, इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि वे कृषि भूमि खरीदने के लिए भी पात्र होंगे.
अधिकारी ने कहा, ‘कृषि भूमि केवल एक कृषक द्वारा खरीदी जा सकती है. लेकिन हम यह नहीं जानते हैं कि क्या कृषक जम्मू कश्मीर का निवासी होना चाहिए या वह देश के किसी भी हिस्से का निवासी हो सकता है.’
बता दें कि नया भूमि कानून केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर के लोगों के भूमि अधिकारों की रक्षा करने का आश्वासन दिए जाने के बावजूद लाया गया है.
बता दें कि एक अप्रैल को डोमिसाइल के साथ ही भर्ती संबंधी नियम जारी होने के बाद नेशलनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस, अपनी पार्टी, पैंथर्स पार्टी समेत कई संगठनों ने विरोध किया था. इसे धोखा बताते हुए वापस लेने की मांग की थी.
राज्य भाजपा इकाई और जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी (जेकेएपी) भी विरोध जता रहे थे. इसी मसले पर जेकेएपी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी मिले थे.
बैठक के बाद गृह मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन के दायरे में आने वाली सभी नौकरियां स्थानीय निवासियों के लिए सुनिश्चित कर दी थी और जमीनों को स्थानीय निवासियों के लिए सुरक्षित रखने का आश्वासन दिया था.
गुपकर गठबंधन ने निंदा की, उमर अब्दुल्ला ने कहा- जम्मू कश्मीर को बिक्री के लिए रख दिया गया
हालांकि, जम्मू कश्मीर में गुपकर घोषणा को लागू करने के लिए बने अनेक राजनीतिक दलों के ‘गुपकर घोषणापत्र गठबंधन’ ने मंगलवार को इन संशोधनों की निंदा की.
नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) समेत जम्मू कश्मीर के अनेक मुख्यधारा के राजनीतिक दलों ने इस विषय पर हर मोर्चे पर लड़ने का संकल्प व्यक्त किया.
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र सरकार के नए कदम से ‘जम्मू कश्मीर को बिक्री’ के लिए रख दिया गया है और नया जम्मू कश्मीर विकास अधिनियम जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख के लोगों के हितों के प्रतिकूल है.
उन्होंने कहा कि इन नए कानूनों के साथ मूल निवास प्रमाणपत्र की प्रतीकात्मकता को समाप्त कर दिया गया है और गैर-कृषि भूमि की खरीद को और आसान बना दिया गया है.
अब्दुल्ला ने कहा कि ये नए कानून जम्मू कश्मीर और लद्दाख की जनता के लिए अस्वीकार्य हैं. उन्होंने भाजपा पर अवसरवादी राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि ‘संशोधित भूमि नियमों की अधिसूचना जारी करने से भाजपा की सस्ती राजनीति की बू आती’ है.
Unacceptable amendments to the land ownership laws of J&K. Even the tokenism of domicile has been done away with when purchasing non-agricultural land & transfer of agricultural land has been made easier. J&K is now up for sale & the poorer small land holding owners will suffer.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 27, 2020
उमर ने कहा, ‘दिलचस्प बात है कि केंद्र सरकार ने लद्दाख को बेचने का कदम उठाने से पहले एलएएचडीसी (लद्दाख) में चुनाव खत्म होने और भाजपा के जीतने का इंतजार किया. भाजपा पर भरोसा करने और उसके आश्वासनों के बदले लद्दाख के लोगों को यह मिला है.’
गुपकर घोषणा के लिए बने पीपुल्स अलायंस (पीएजीडी) के प्रवक्ता सज्जाद लोन ने नए कानूनों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘संशोधन से जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के मूल निवासियों के असंवैधानिक रूप से दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित राज्य में अचल संपत्ति खरीदने और रखने के विशेष अधिकारों को छीन लिया गया है और राज्य से बाहर के लोगों को ये अधिकार प्रदान किए गए हैं.’
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश को ‘बड़ा विश्वासघात’ करार देते हुए लोन ने कहा, ‘यह जम्मू, कश्मीर और लद्दाख की जनता के अधिकारों पर बड़ा हमला है तथा पूरी तरह असंवैधानिक है. गठबंधन ने जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के विरोधी कदमों का सभी मोर्चों पर मुकाबला करने का संकल्प लिया है.’
— Sajad Lone (@sajadlone) October 27, 2020
पीएडीजी में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, माकपा, भाकपा, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स मूवमेंट पार्टियां शामिल हैं.
माकपा नेता एमवाई तारिगामी ने कहा कि यह जम्मू कश्मीर की जनता को और अशक्त बनाने तथा उनकी जमीन को कंपनियों के लिए बेचने की सोच है. उन्होंने कहा, ‘यह एकीकरण, विकास और सुरक्षा के नाम पर जमीनों की दिनदहाड़े लूट है.’
https://t.co/YGIWylxCDR
This is a design to disempower the people of J&K further and put their land on sale for corporations. It is daylight robbery of land in the name of integration, development and security.— M Y Tarigami (@tarigami) October 27, 2020
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह जम्मू कश्मीर की जनता को अधिकारों से वंचित करने का एक और कदम है.
After failing on all fronts to provide roti & rozgar to people, BJP is creating such laws to whet the appetite of a gullible electorate. Such brazen measures reinforces the need of people of all three provinces of J&K to fight unitedly .
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 27, 2020
जेकेएपी के अध्यक्ष बुखारी ने एक अलग बयान में कहा कि उनकी पार्टी जम्मू कश्मीर में भूमि अधिकारों के संबंध में राजपत्रित अधिसूचना का अध्ययन करेगी और देश के शीर्ष नेतृत्व के समक्ष अपनी आपत्तियां दर्ज कराएगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)