अयोग्य व्यक्तियों के नाम एनआरसी में कैसे शामिल हुए, हलफ़नामा दायर कर बताएं: गुवाहाटी हाईकोर्ट

एक महिला को असम के नलबाड़ी ज़िले की विदेशी अधिकरण ने साल 2019 को विदेशी घोषित किया था, उन्होंने अदालत में याचिका दायर कर इसे चुनौती दी थी. मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने एनआरसी के राज्य समन्वयक से एक विस्तृत हलफ़नामा दायर करने का कहा है.

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Guwahati: Data entry operators of National Register of Citizens (NRC) carry out correction of names and spellings at an NRC Seva Kendra at Birubari in Guwahati, Wednesday, Jan 2, 2019. The correction works are scheduled to end on January 31, 2019. (PTI Photo) (PTI1_2_2019_000037B)
(फोटो: पीटीआई)

एक महिला को असम के नलबाड़ी ज़िले की विदेशी अधिकरण ने साल 2019 को विदेशी घोषित किया था, उन्होंने अदालत में याचिका दायर कर इसे चुनौती दी थी. मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने एनआरसी के राज्य समन्वयक से एक विस्तृत हलफ़नामा दायर करने का कहा है.

Guwahati: Data entry operators of National Register of Citizens (NRC) carry out correction of names and spellings at an NRC Seva Kendra at Birubari in Guwahati, Wednesday, Jan 2, 2019. The correction works are scheduled to end on January 31, 2019. (PTI Photo) (PTI1_2_2019_000037B)
(फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी: गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने एनआरसी के राज्य समन्वयक से कहा कि वह इस बात को लेकर एक व्यापक हलफनामा दायर करें कि कैसे अयोग्य व्यक्तियों के नाम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में शामिल हो गए.

अदालत ने एनआरसी राज्य समन्वयक से तीन सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने को कहा और मामला उसके तुरंत बाद सूचीबद्ध कर दिया.

नलबाड़ी जिला विदेश अधिकरण द्वारा विदेशी घोषित करने के खिलाफ रहीमा बेगम की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मनोजीत भुइयां और जस्टिस सौमित्र सैकिया की पीठ ने कहा कि उन्होंने देखा है कि नियमों का उल्लंघन करके कई नाम एनआरसी में शामिल किए गए हैं.

आदेश में कहा गया है कि असम एनआरसी के राज्य समन्वयक एक व्यापक हलफनामा दायर करें और रिकॉर्ड पर वह स्थिति और जरूरी ब्योरा लाएं, जिसके तहत गैर पात्र लोगों ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में प्रवेश करने के लिए रास्ता बनाया, जो इसमें शामिल होने के लिए कानूनी तौर पर हकदार नहीं थे.

पीठ ने 19 अक्टूबर के आदेश में कहा कि यह हलफनामा सिर्फ नलबाड़ी जिले तक सीमित नहीं होगा, बल्कि इसमें राज्य के सभी अन्य जिलों का ब्योरा होगा.

यह आदेश हाल में अपलोड किया गया है.

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता का नाम एनआरसी में आ गया जबकि नलबाड़ी के पुलिस अधीक्षक (सीमा) के संदर्भ के आधार पर उनके खिलाफ कार्यवाही शुरू की गई थी और चल रही थी.

उच्च न्यायालय ने कहा कि इस तरह से नाम का शामिल होना कानून के खिलाफ है.

रहीमा बेगम को नलबाड़ी जिले की विदेश अधिकरण संख्या तीन ने आठ नवंबर 2019 को विदेशी घोषित किया था और उन्होंने इस साल 14 अगस्त को गुवाहाटी उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर इसे चुनौती दी थी.

बता दें कि एनआरसी की अंतिम सूची 31 अगस्त, 2019 में प्रकाशित हुई थी, जिसमें 1,906,657 लोगों के नाम नहीं थे. कुल 33,027,661 आवेदकों में से 31,121,004 लोगों के नाम शामिल किए गए थे.

एनआरसी के नियमों के मुताबिक, विदेशी घोषित किए जा चुके, डाउटफुल वोटर और जिनके खिलाफ विदेश अधिकरण में मामले लंबित हैं, उन्हें और उनके वंशजों को नागरिक रजिस्टर में शामिल नहीं किया जा सकता है.

एनआरसी राज्य समन्वयक हितेश देव सरमा ने 13 अक्टूबर को सभी जिला उपायुक्तों एवं जिला नागरिक पंजीकरण के रजिस्ट्रारों (डीआरसीआर) को 13 अक्टूबर को पत्र लिखकर उन्हें निर्देश दिया था कि वे एनआरसी की सूची में से अयोग्य लोगों और उनके वंशजों के नामों को हटाने के लिए मौखिक आदेश जारी करें.

शर्मा ने कहा था, ‘वेबफॉर्म के माध्यम से आपकी तरफ से प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार डीएफ (डिक्लेयर्ड फॉरेनर्स यानी घोषित विदेशी)/ डीवी (डाउटफुल यानी संदिग्ध मतदाता)/पीएफटी (पेंडिंग एट फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल यानी विदेशी न्यायाधिकरण में लंबित) श्रेणियों के अपात्र लोग और उनके वंशजों के कुछ नाम एनआरसी में पाए गए हैं.’

पत्र में इस बात का जिक्र नहीं था कि कितनों लोगों को एनआरसी की अंतिम सूची से हटाया जाएगा.

सूत्रों ने दावा किया था कि करीब 10,000 लोगों की पहचान की गई है जिनके नाम गलत तरीके से अंतिम एनआरसी में शामिल किए गए हैं और अब उन्हें सूची से हटाया जाएगा.

एनआरसी की अंतिम सूची को पिछले साल सार्वजनिक किया गया था लेकिन भारत के रजिस्ट्रार जनरल ने इसे अब तक अधिसूचित नहीं किया है.

वहीं, असम सरकार बांग्लादेश की सीमा से सटे जिलों में 20 प्रतिशत नाम और बाकी हिस्से में 10 प्रतिशत नामों के पुन: सत्यापन यानी रीवेरिफिकेशन की मांग पर कायम है. इसके लिए राज्य सरकार पुनर्विचार याचिका दायर करने की तैयारी कर रही है.

असम के गृह और राजनीतिक विभाग के आयुक्त और सचिव जीडी त्रिपाठी ने कहा था, ‘राज्य सरकार का मानना है कि सीमावर्ती जिलों 20 फीसदी और अन्य जगहों पर 10 फीसदी नामों का फिर से सत्यापन होना चाहिए. हम पुनर्विचार याचिका दायर करने की संभावना तलाश रहे हैं.’

असम के संसदीय कार्य मंत्री चंद्र मोहन पटवारी ने इस साल 31 अगस्त को विधानसभा में बताया था कि राज्य सरकार ने इस बारे में उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाखिल किया है.

हालांकि कोर्ट ने इस मांग को स्वीकार नहीं किया क्योंकि पूर्व एनआरसी राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला ने न्यायालय को बताया था कि 27 फीसदी नामों का पहले ही पुन: सत्यापन किया जा चुका है, लेकिन राज्य सरकार अभी भी इस मांग पर अड़ी हुई है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)