भारतीय सशस्त्र बल के 114 पूर्व सैनिकों ने हाल ही में संविधान में बताए गए धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक मूल्यों के उलट देश में हो रही हिंसा की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र-शासित प्रदेशों के लेफ्टिनेंट-गवर्नर को एक पत्र लिखा है.
हम भारतीय सेना के पूर्व सैनिकों का एक समूह हैं, जिन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी देश की रक्षा में बितायी है. एक समूह के बतौर हम किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े हैं. हम सबकी प्रतिबद्धता सिर्फ भारतीय संविधान के प्रति है.
ये पत्र लिखना दुखद है, लेकिन हिंदुस्तान में हो रही घटनाओं ने हमें देश को बांटने वाली इन कोशिशों पर अपनी हताशा ज़ाहिर करने पर मजबूर कर दिया. हम #नॉटइनमायनेम अभियान के साथ भी खड़े हैं, जिसने देश के नागरिकों को डर, नफ़रत और शक़ भरे वर्तमान माहौल के ख़िलाफ़ एक साथ लाकर खड़ा कर दिया.
सशस्त्र बल ‘विविधता में अनेकता’ का प्रतीक हैं. धर्म, भाषा, जाति, संस्कृति या इस तरह की कोई भिन्नता सशस्त्र बलों की एकजुटता के आड़े नहीं आतीं. अलग-अलग पृष्ठभूमियों से आने वाले सैनिक देश की सुरक्षा के लिए कंधे से कंधा मिलाकर लड़ते रहे हैं और आज भी लड़ते हैं.
अपनी सर्विस के दौरान हमने खुलेपन, न्याय और निष्पक्षता की भावना से ही काम किया है. हमारी विरासत एक रंग-बिरंगी चादर जैसी है, जिसे हम भारत कह सकते हैं, और हम अलग-अलग रंगों से बुनी इस चादर की विविधता की कद्र करते हैं.
हालांकि आज देश में जो हो रहा है, वो उन सब भावनाओं पर हमला है, जिसके लिए सशस्त्र बल और हमारा संविधान खड़े हैं. हम हिंदुत्व के स्वयंभू संरक्षकों द्वारा समाज के बड़े हिस्से पर हो रहे लगातार निर्मम हमलों के गवाह हैं.
हम मुस्लिमों और दलितों को निशाना बनाए जाने की निंदा करते हैं. हम मीडिया संस्थानों की स्वतंत्रता पर हमले, नागरिक संगठनों, विश्वविद्यालयों, पत्रकारों और शिक्षाविदों को ‘देशद्रोही’ क़रार दिए जाने के अभियान और उनके ख़िलाफ़ हुई हिंसा की निंदा करते हैं, जिन पर सरकार चुप्पी साधे रही.
हम अब और चुप नहीं रह सकते. अगर अब हमने उन उदार और सेक्युलर मूल्यों के लिए आवाज़ नहीं उठाई, जिनकी बात हमारा संविधान करता है तो ये देश का नुकसान होगा. हमारी विविधता ही हमारी ताकत है. असहमति देशद्रोह नहीं है; यही तो असल में लोकतंत्र का सार है.
हम केंद्र और राज्य सरकारों से गुज़ारिश करते हैं कि हमारी बातों पर गौर करें और संविधान की मर्यादा बचाए रखने के लिए तत्काल कोई कदम उठाएं.
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