गायों के लिए एंबुलेंस के दौर में कोई इंसानी शव कंधे पर ले जाने को क्यों मजबूर है?

मध्य प्रदेश में एक पिता को बेटे का शव ले जाने के लिए अस्पताल ने वाहन देने से इनकार कर दिया.

9 वर्षीय बेटे अभिषेक का शव ले जाते ग्यासी (फोटो: हिंदुस्तान टाइम्स)

मध्य प्रदेश में एक पिता को बेटे का शव ले जाने के लिए अस्पताल ने वाहन देने से इनकार कर दिया.

बेटे का शव मोटर साइकिल पर ले जाते पिता (फोटो साभार : हिंदुस्तान टाइम्स)
बेटे का शव मोटर साइकिल पर ले जाते पिता (फोटो साभार : हिंदुस्तान टाइम्स)

इंसानों के लिए अक्सर ज़रूरत के वक़्त एंबुलेंस न होने की ख़बरें सामने आती रहती हैं, वहीं कुछ राज्य सरकारें घायल और मृत गायों और मवेशियों के लिए हाईटेक एंबुलेंस की निःशुल्क सुविधा शुरू कर रही हैं.

पिछले साल उड़ीसा के कालाहांडी जिले के दाना माझी को कोई वाहन न मिलने की स्थिति में अपनी पत्नी का शव कंधे पर रखकर तकरीबन 10 किलोमीटर तक ले जाना पड़ा था. दाना माझी की शव ले जाती तस्वीर ने देश में स्वास्थ्य सुविधाओं और सरकारी संवेदनशीलता की हक़ीक़त सामने लाकर रख दी थी. उस घटना के बाद से उस तरह की तस्वीरें अक्सर ही अख़बार की सुर्खियां बनती रहीं.

हालिया मामला मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ का है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार रविवार को टीकमगढ़ के मौकरा खिरिया गांव के 9 साल के अभिषेक की कुएं में डूबने से मौत के बाद एंबुलेंस न मिलने पर पिता को शव मोटर साइकिल पर ले जाने को मजबूर होना पड़ा. पुलिस ने बच्चे का शव को कुएं से बाहर निकालकर बड़ा गांव समुदाय स्वास्थ्य केंद्र पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया था.

पोस्टमॉर्टम के बाद उसके पिता ग्यासी को अस्पताल प्रशासन ने एंबुलेंस देने से इनकार कर दिया था. मजबूरन उन्हें अपने बेटे की लाश को प्लास्टिक में लपेटकर मोटर साइकिल से घर ले जाना पड़ा. उन्होंने स्थानीय मीडिया को बताया कि उनके पास कोई विकल्प ही नहीं था. उन्हें अपने बेटे का शव को मोटर साइकिल पर ले जाना पड़ा, क्योंकि अस्पताल के अधिकारियों ने उन्हें वाहन देने से इनकार कर दिया था.

ब्लॉक स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आलोक चतुर्वेदी ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि मृत बच्चे के पिता ग्यासी का गांव बड़ा गांव से ज़्यादा दूर नहीं था, इसलिए उन्हें एंबुलेंस या शव वाहन नहीं दिया गया. स्थानीय लोगों का कहना है कि ज़िले में सिर्फ दो शव वाहन है एक ज़िला अस्पताल में और एक जतारा समुदाय स्वास्थ्य केंद्र पर है.

शवों को मोटर साइकिल या कंधे पर उठाकर ले जाने वाली देश में यह पहली घटना नहीं है.

एनडीटीवी के अनुसार 15 जून को मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर में एक 6 वर्षीय बालक को उसके पिता पोस्टमॉर्टम रूम तक मोटर साइकिल पर ले गए थे. 21 जुलाई को सिद्दीकीगंज में एक शख्स का शव गांव वालों को चारपाई पर ले जाना पड़ा था.

मानव शवों को लिए एंबुलेंस और शव वाहन न मिले की घटना देश भर से आती रहती है.

इन ख़बरों के बीच ख़बर यह भी है कि मध्यप्रदेश सरकार घायल और मृत गायों और मवेशियों के लिए हाईटेक एंबुलेंस की योजना शुरू कर रही है. इस योजना की शुरुआत जबलपुर, रीवा और महू से होगी, जिसके बाद इसे पूरे राज्य में लागू किया जाएगा.

बताया जा रहा है कि गायों के लिए एंबुलेंस में डॉक्टर और सहायक तैनात होंगे और एक फ़ोन कॉल पर एंबुलेंस घटना स्थल पर पहुंच जाएगी. मवेशियों का इलाज घटना स्थल पर होगा, लेकिन हालत गंभीर होने पर अस्पताल लाया जाएगा. सरकार ने इस सुविधा को निःशुल्क रखा है और इसके लिए हर ज़िले में कॉल सेंटर भी खोलने की भी योजना है.

7 करोड़ की आबादी वाले मध्य प्रदेश में 96 लाख गायें हैं. सरकार मवेशियों के लिए हाईटेक एंबुलेंस का इंतज़ाम तो कर रही है, लेकिन नागरिकों के स्वास्थ्य लिए आज भी सरकार के पास कोई ठोस योजना नहीं है.

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने रविवार को एलान किया है कि उनकी सरकार गायों के लिए जल्द एंबुलेंस की सेवा शुरू करने वाली है. कुछ महीनों के भीतर 10 ज़िलों में योजना शुरू की जाएगी.