बिना शर्त माफ़ी मांगने पर गुजरात हाईकोर्ट ने पत्रकार के ख़िलाफ़ राजद्रोह के मामले को रद्द किया

गुजराती समाचार पोर्टल फेस ऑफ द नेशन के संपादक धवल पटेल के ख़िलाफ़ राज्य में बढ़ते कोरोना वायरस मामलों की आलोचना के कारण गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन का सुझाव देने वाली एक रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए 11 मई को राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था.

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गुजरात हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

गुजराती समाचार पोर्टल फेस ऑफ द नेशन के संपादक धवल पटेल के ख़िलाफ़ राज्य में बढ़ते कोरोना वायरस मामलों की आलोचना के कारण गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन का सुझाव देने वाली एक रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए 11 मई को राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था.

गुजरात हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)
गुजरात हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय ने एक रिपोर्ट के लिए बिना शर्त माफी मांगने पर एक पत्रकार के खिलाफ राजद्रोह के मामले को रद्द कर दिया.

पत्रकार ने एक रिपोर्ट लिखी थी, जिसमें कयास लगाए गए थे कि गुजरात में कोरोना वायरस महामारी से निपटने में नाकामी के कारण मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को हटाया जा सकता है .

जस्टिस आरपी ढोलारिया ने छह नवंबर को अपने आदेश में वेब पोर्टल ‘फेस ऑफ द नेशन’ के लिए लिखने वाले पत्रकार धवल पटेल (30) के खिलाफ प्राथमिकी को खारिज कर दिया.

पत्रकार ने वेब पोर्टल पर प्रकाशित इस रिपोर्ट के खिलाफ बिना शर्त माफी मांग ली, जिसके बाद अदालत ने मामले को रद्द करने का आदेश दिया.

पटेल ने कहा कि उन्होंने ‘बिना किसी पूर्वाग्रह के और बिना किसी अपराधबोध’ के माफी मांग ली.

सीआईडी (अपराध) ने इस आलेख के लिए पटेल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. आलेख में अटकलें लगाई गई थीं कि रूपाणी के स्थान पर केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया को मुख्यमंत्री बनाए जाने की संभावना है.

अदालत ने कहा कि वह युवा पत्रकार द्वारा खेद प्रकट किए जाने से संतुष्ट है, जिसने अभी अपना करिअर शुरू ही किया है और प्राथमिकी को खारिज करने का आदेश दिया.

उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि आगे भविष्य में जब भी वह कोई रिपोर्ट प्रकाशित करेंगे किसी भी संवैधानिक पद पर तैनात लोगों के खिलाफ बिना सत्यापन के इस तरह की टिप्पणी नहीं करेंगे और वह फिर से ऐसी गलती नहीं करेंगे.

बता दें कि गुजराती समाचार पोर्टल के संपादक धवल पटेल पर राज्य में बढ़ते कोरोना वायरस मामलों की आलोचना के कारण गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन का सुझाव देने वाली एक रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए 11 मई को राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया और हिरासत में लिया गया था.

पटेल के खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए (राजद्रोह) और आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 54 (झूठी चेतावनी के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने गुजराती समाचार पोर्टल फेस ऑफ द नेशन के संपादक पर राजद्रोह का मामला दर्ज किए जाने की निंदा की थी और कहा था कि यह विशेष कानूनों का दुरुपयोग है.

बाद में एक स्थानीय अदालत ने धवल पटेल को बाद में जमानत दे दी थी. अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि पुलिस द्वारा पेश किए गए दस्तावेज और एफआईआर पत्रकार को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार करने के लिए कोई आरोप स्थापित नहीं करते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)