केरल के पत्रकार की हिरासत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस भेजा

पत्रकार सिद्दीक कप्पन की गिरफ़्तारी पर केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्टस ने सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है. सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि अदालत के सामने मौलिक अधिकारों के हनन के लिए दायर होने वाली अनुच्छेद 32 वाली याचिकाओं बाढ़-सी आ गई है और वे इन्हें हतोत्साहित कर रहे हैं.

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पत्रकार सिद्दीकी कप्पन. (फोटो साभार: ट्विटर/@vssanakan)

पत्रकार सिद्दीक कप्पन की गिरफ़्तारी पर केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्टस ने सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है. सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि अदालत के सामने मौलिक अधिकारों के हनन के लिए दायर होने वाली अनुच्छेद 32 वाली याचिकाओं बाढ़-सी आ गई है और वे इन्हें हतोत्साहित कर रहे हैं.

केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन. (फोटो साभार: ट्विटर/@vssanakan
केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन. (फोटो साभार: ट्विटर/@vssanakan

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के हाथरस जा रहे केरल के एक पत्रकार सिद्दीक कप्पन की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया.

हाथरस में एक दलित लड़की से कथित सामूहिक बलात्कार की घटना हुई थी और बाद में उनकी मृत्यु हो गई थी.

दरअसल, पत्रकार सिद्दीक कप्पन को पांच अक्टूबर को हाथरस जाते समय रास्ते में गिरफ्तार किया गया था. वह हाथरस में सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई दलित युवती के घर जा रहे थे. इस युवती की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मृत्यु हो गई थी.

सीजेआई एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामासुब्रमणियन की पीठ ने केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्टस की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से जानना चाहा कि वे इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने की बजाय सीधे यहां क्यों आए.

कपिल सिब्बल ने पत्रकार को जमानत देने का अनुरोध किया और कहा कि उसके खिलाफ कुछ भी नहीं है. उन्होंने कहा, ‘प्राथमिकी में उसका नाम नहीं है. किसी तरह के अपराध का आरोप नहीं है. वह पांच अक्टूबर से जेल में हैं.’

पीठ ने कहा, ‘हम नोटिस जारी करेंगे. इस मामले को शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध कर रहे हैं.’

इस मामले में हाईकोर्ट नहीं जाने के बारे में सवाल करते हुए पीठ ने कहा, ‘हम इस मामले के मेरिट पर नहीं है. आप हाईकोर्ट क्यों नहीं गए?’

इस पर सिब्बल ने कहा कि कप्पन को उनके वकील और परिवार के सदस्यों  से नहीं मिलने दिया जा रहा है. याचिका में इस बात की ओर भी इशारा किया गया कि हाईकोर्ट में मामले में प्रगति नहीं हो पाई.

मामले में 12 अक्टूबर की पिछली सुनवाई को याद करते हुए बोबड़े ने पूछा कि क्या पिछली सुनवाई में दिए गए निर्देश के अनुसार उन्होंने संशोधित याचिका दाखिल की है. उस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हैबियस कॉर्पस याचिका स्वीकार करने में अनिच्छा जताई थी और हाईकोर्ट जाने के लिए कहा था.

बार एंड बेंच के अनुसार, इस पर सिब्बल ने कहा, ‘हम पत्रकार से मिल नहीं पा रहे हैं. हम कैसे संशोधित करें? इस संबंध में हमने एक हलफनामा दाखिल किया है.’

इस पर अदालत ने कहा कि वह उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर रही है और उसे शुक्रवार को अगली सुनवाई पर पेश होने के लिए कहा.

हम अनुच्छेद 32 वाली याचिकाओं को हतोत्साहित कर रहे हैं: सीजेआई

सिद्दीक कप्पन मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई बोबड़े ने कहा कि अदालत अनुच्छेद 32 के साथ आने वाली याचिकाओं को ऐसा करने से हतोत्साहित कर रही है.

सीजेआई ने कहा कि शीर्ष अदालत के समक्ष अनुच्छेद 32 वाली याचिकाओं बाढ़-सी आ गई है.

बता दें कि अनुच्छेद 32 वाली याचिकाएं किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों के हनन के लिए उपाय किए जाने से संबंधित है.

इस पर सिब्बल ने कहा कि ये असाधारण परिस्थितियां हैं और एक पत्रकार जेल में रखा है. उन्होंने अदालत से विचार करने का अनुरोध किया.

बता दें कि केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्टस ने कप्पन की हिरासत को संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए चुनौती दी है. कप्पन यूनियन की दिल्ली इकाई के सचिव हैं.

वहीं, इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, मथुरा की एक अदालत ने बीते शुक्रवार को हाथरस जाने के दौरान कप्पन के साथ आरोपी बनाए गए तीन अन्य लोगों की जमानत याचिका खारिज कर दी.

अतिरिक्त जिला न्यायाधीश मयूर जैन ने अतीकुर रहमान, आलम और मसूद की जमानत याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि चूंकि आरोपियों के खिलाफ आरोप गंभीर हैं, इसलिए जब मामले की जांच जारी है, तो उन्हें वर्तमान समय में जमानत पर नहीं छोड़ा जा सकता.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)