डीजी वंज़ारा और एमएन दिनेश फर्ज़ी मुठभेड़ मामले में आरोप मुक्त

सोहराबुद्दीन शेख़ और तुलसी प्रजापति कथित फर्ज़ी मुठभेड़ मामलों में विशेष सीबीआई अदालत ने सुनाया फैसला.

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सोहराबुद्दीन शेख़ और तुलसी प्रजापति कथित फर्ज़ी मुठभेड़ मामलों में विशेष सीबीआई अदालत ने सुनाया फैसला.

DJ Vanzara PTI
डीजी वंज़ारा. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: विशेष सीबीआई अदालत ने गुजरात से ताल्लुक रखने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी डीजी वंज़ारा और राजस्थान काडर के आईपीएस अधिकारी एमएन दिनेश को सोहराबुद्दीन शेख़ और तुलसीराम प्रजापति से संबंधित कथित फर्ज़ी मुठभेड़ मामलों में मंगलवार को आरोप मुक्त कर दिया.

विशेष सीबीआई न्यायाधीश सुनील कुमार जे. शर्मा ने वंज़ारा और दिनेश एमएन को आरोप मुक्त करने का फैसला सुनाया.

पुलिस उपमहानिरीक्षक रैंक के अधिकारी वंज़ारा को गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख़ को कथित फर्ज़ी मुठभेड़ में मारने के मामले में 24 अप्रैल 2007 को गिरफ्तार किया गया था.

गुजरात पुलिस का दावा था कि सोहराबुद्दीन शेख़ के संबंध पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से थे.

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने सितंबर 2014 में वंज़ारा को ज़मानत दे दी थी.

अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए वंजारा ने कहा, आख़िरकार न्याय हुआ. समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में डीजी वंज़ारा ने कहा, हम दोनों को निर्दोष घोषित किया गया. भारतीय न्यायपालिका धीमी हो सकती हैं लेकिन न्याय ज़रूर दिलाती हैं.

मामले के अनुसार गुजरात के आतंकवाद रोधी दस्ते ने शेख़ और उसकी पत्नी कौसर बी. का हैदराबाद से कथित तौर पर उस समय अपहरण कर लिया था जब वे महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे. सोहराबुद्दीन के साथ उसका सहयोगी तुलसी प्रजापति भी था.

सोहराबुद्दीन नवंबर 2005 में गांधीनगर के नज़दीक कथित फर्ज़ी मुठभेड़ में मारा गया था. इसके बाद उसकी पत्नी लापता हो गई थी और ऐसा माना गया कि उसे भी मार दिया गया है.

आरोप था कि गैंगस्टर के सहयोगी और मुठभेड़ के प्रत्यक्षदर्शी तुलसी प्रजापति को पुलिस ने दिसंबर 2006 में गुजरात के बनासकांठा ज़िले में चप्री गांव के पास मार दिया था.

रिटायर हो चुके डीजी वंज़ारा उस समय गुजरात एटीएस के प्रमुख थे. इस मामले में कोर्ट की ओर से आरोपमुक्त होने वाले लोगों की संख्या अब 15 हो चुकी है. शुरुआत में इस मामले में 38 लोगों को आरोपी बनाया गया था.

सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामला की निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के सीबीआई के आग्रह पर इसे सितंबर 2012 में मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया था.

उच्चतम न्यायालय ने 2013 में प्रजापति के कथित फर्ज़ी मुठभेड़ मामले को सोहराबुद्दीन के मामले के साथ जोड़ दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)