उत्तर प्रदेश फतेहपुर ज़िले के एक गांव में बीते 16 नवंबर को दो नाबालिग दलित बहनों के शव एक तालाब में मिले थे. पुलिस ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर दावा किया है कि दोनों की मौत डूबने से हुई, जबकि परिजन इस रिपोर्ट को ग़लत ठहरा रहे हैं. पत्रकारों ने उनके साथ बलात्कार होने का दावा किया था.
फतेहपुर (यूपी): फतेहपुर जिले के असोथर क्षेत्र के छिछनी गांव में दो नाबालिग बहनों की मौत के मामले में बुधवार को पुलिस ने एक टीवी चैनल के स्थानीय संवाददाता और फ्रीलांस पत्रकार के खिलाफ ‘झूठी खबर’ प्रसारित कर दो वर्गों के बीच कटुता पैदा करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया है.
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन पत्रकारों पर तालाब में डूब गईं दो लड़कियों के मामले में बलात्कार और उनकी आंखें फोड़ने जैसी झूठी खबर चलाने का आरोप है.
उन्होंने कहा कि ‘ऑटोप्सी’ रिपोर्ट के अनुसार, बारह और आठ साल की दोनों बच्चियों की मौत तालाब में डूबने से हुई थी, जब वे पानी में सिंघाड़ा लाने गई थीं.
अधिकारी ने कहा कि असोथर थाने के प्रभारी निरीक्षक रणजीत बहादुर सिंह की तहरीर पर धारा सिंह यादव और एक अन्य पत्रकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.
इस बारे में पूछे जाने पर फ्रीलांस पत्रकार धारा सिंह यादव ने कहा, ‘जो भी खबर चैनल पर चलाई गई थी, वह पीड़ित परिवार के बयानों पर आधारित है, जिनके साक्ष्य उनके पास मौजूद हैं. पुलिस ने उत्पीड़न करने की नीयत से फर्जी मामला दर्ज किया है.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, धारा सिंह के अलावा एक टीवी चैनल ‘भारत समाचार’ के पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है.
सर्कल अधिकारी (थारियांव) अनिल कुमार के अनुसार, दोनों दलित बहनों के शव सोमवार (16 नवंबर) को तालाब में मिले थे. उन्होंने कहा, ‘तालाब गहरा था. सिंघाड़ा तोड़ने की कोशिश करते हुए लड़कियां डूब गईं. फिर कुछ पत्रकारों ने फर्जी खबरें फैलानी शुरू कर दी कि उनके साथ बलात्कार किया गया और उनकी हत्या कर दी गई. मैं इसकी जांच करूंगा कि कितने पत्रकार फर्जी खबरें फैलाने में शामिल थे.’
असोथर एसएचओ रंजीत बहादुर सिंह द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में कहा गया, ‘मैं छिछनी गांव और बाला बाला कस्बे में गश्त ड्यूटी पर था तभी मुझे पता चला कि भारत समाचार के पत्रकार और एक अन्य पत्रकार धारा सिंह यादव ट्विटर पर थाने के तहत आने वाले क्षेत्र में दो लड़कियों की मौत के बारे में फर्जी खबरें फैला रहे थे.’
उन्होंने कहा, ‘तालाब से सिंघाड़ा तोड़ने की कोशिश में लड़कियों की मौत हो गई, जबकि ये पत्रकार दलित और अन्य समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करने के लिए फर्जी खबरें फैला रहे थे. पत्रकार ट्विटर पर आधारहीन खबरें फैला रहे थे कि लड़कियों के हाथ और पैर बांधकर शव तालाब में फेंक दिए गए. उनके साथ बलात्कार किया गया और उनकी आंखें निकाल ली गईं. इसने लोगों में अराजकता पैदा की और सरकारी काम में बाधा उत्पन्न की.’
शिकायत में आगे कहा गया, ‘ट्विटर पर शेयर की जा रहीं इस तरह की फर्जी खबरें समूहों और दलित समुदाय के बीच दुश्मनी का कारण बन रही हैं.’
इस शिकायत के आधार पर ही एफआईआर दर्ज की गई. यह एफआईआर आईपीसी की धारा 153-ए (विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 353 (सार्वजनिक कर्तव्य के निर्वहन से लोक सेवक को रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) और आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम की धारा 7 के तहत दर्ज की गई है. आरोपियों के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 भी लगाई गई है.
सर्किल ऑफिसर कुमार ने कहा कि दोनों लड़कियों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बलात्कार का उल्लेख नहीं है और रिपोर्ट में उनकी आंखों को कोई नुकसान होने के बारे में भी नहीं कहा गया है.
उन्होंने कहा, ‘पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत डूबने की वजह से हुई है. पोस्टमॉर्टम कराने के लिए एक नेत्र विशेषज्ञ और महिला डॉक्टरों के साथ एक विशेष टीम भी गठित की गई थी.’
क्या है मामला?
बीते 16 नवंबर को दोपहर में खेत से चने का साग तोड़ने गईं 12 और आठ साल की दो सगी बहनों के शव देर रात जंगल में स्थित एक तालाब के पानी में तैरते हुए मिले थे.
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का हवाला देकर पुलिस अधिकारी ‘पानी में डूबने के कारण मौत’ होना बता रहे हैं, जबकि परिजन हत्या किए जाने की आशंका जताकर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को ही गलत ठहरा रहे हैं.
दोनों नाबालिग सगी बहनों के चाचा ने पुलिस अधीक्षक (एसपी) पर शवों का रात में ही अंतिम संस्कार करने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया है.
बुधवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में मृत बच्चियों के चाचा लक्ष्मीकांत कह रहे हैं, ‘एसपी साहब जबरन रात में अंतिम संस्कार करवा रहे हैं और धमकी दे रहे हैं कि अंतिम संस्कार न किया तो तुम्हारे खिलाफ मुकदमा दायर कर जेल में डाल देंगे. डर की वजह से हमने रात में अंतिम संस्कार करना स्वीकार कर लिया है.’
यह वायरल वीडियो मंगलवार की रात मृत बच्चियों के अंतिम संस्कार के समय का बताया जा रहा है.
लक्ष्मीकांत से वीडियो बनाने वाला पूछता है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से संतुष्ट हो तो वह कहते हैं, ‘हम संतुष्ट नहीं हैं, मामले की सीबीआई से जांच कराना चाहते हैं. प्राथमिकी दर्ज करने के लिए भी (शिकायती पत्र) दिया है.’
इस आरोप पर पुलिस अधीक्षक से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन वह सरकारी फोन पर उपलब्ध नहीं हुए.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)