एमपी: दुर्गा पूजा के लिए 200 रुपये चंदा न देने पर गोंड समुदाय के 14 परिवारों का हुआ था बहिष्कार

मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले की घटना. दुर्गा पूजा कार्यक्रम के आयोजन के लिए 200 रुपये न देने पर इन 14 परिवारों का तीन नवंबर से 17 नवंबर तक सामाजिक बहिष्कार किया गया था. प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद मामले को अब सुलझा लिया गया है.

Allahabad: Hindu devotees carry an idol of Goddess Durga for immersion in a pond near Ganges River, at the end of Navratri festival in Allahabad, Friday, October 19, 2018. (PTI Photo) (PTI10_19_2018_000139B)
(फोटो: पीटीआई)

मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले की घटना. दुर्गा पूजा कार्यक्रम के आयोजन के लिए 200 रुपये न देने पर इन 14 परिवारों का तीन नवंबर से 17 नवंबर तक सामाजिक बहिष्कार किया गया था. प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद मामले को अब सुलझा लिया गया है.

Allahabad: Hindu devotees carry an idol of Goddess Durga for immersion in a pond near Ganges River, at the end of Navratri festival in Allahabad, Friday, October 19, 2018. (PTI Photo) (PTI10_19_2018_000139B)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

भोपालः मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के एक गांव में रह रहे गोंड जनजाति के 14 परिवारों का दो हफ्ते से अधिक समय के लिए सामाजिक बहिष्कार करने का मामला सामने आया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक,  इन 14 परिवारों का सामाजिक बहिष्कार तीन नवंबर से 17 नवंबर तक रहा. हालांकि, अब इस मामले को सुलझा लिया गया है.

ये पीड़ित परिवार गांव में दुर्गा पूजा के कार्यक्रम में 200 रुपये (प्रति परिवार) का योगदान नहीं दे पाए थे, जिस वजह से इनका बहिष्कार किया गया है.

कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन की मार झेल रहे इन परिवारों ने स्वेच्छा से 200 रुपये की बजाय 100 रुपये का योगदान दिया था, जिसे मानने से इनकार कर दिया गया.

इन परिवारों को राशन खरीदने जैसी सभी जरूरी सुविधाओं से वंचित कर दिया गया था, जिसके बाद इन परिवारों ने जिला प्रशासन से संपर्क किया.

यह मामला जिला प्रशासन के संज्ञान में आने के बाद इस हफ्ते सुलझा दिया गया है.

14 अक्टूबर को स्थानीय पूजा आयोजक सार्वजनिक दुर्गा पूजा संस्था ने बालाघाट के लालता गांव में एक बैठक की थी, जिसमें यह फैसला किया गया कि गांव के सभी 170 परिवार कार्यक्रम के लिए 200 रुपये (प्रति परिवार) का भुगतान करेंगे, लेकिन 40 गोंड परिवार, जिनमें से अधिकतर प्रवासी मजदूर हैं, ने यह राशि देने को लेकर अपनी असमर्थता जताई.

सामाजिक दबाव में 26 परिवार राशि का भुगतान करने को तैयार हो गए, जबकि बाकी बचे 14 परिवारों ने 100 रुपये की राशि देने की पेशकश की लेकिन इससे इनकार कर दिया गया.

दुर्गा पूजा के बाद तीन नवंबर को एक और बैठक हुई, जिसमें गांव के प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से इन परिवारों का हुक्का पानी (सामाजिक बहिष्कार) बंद कर दिया. इन 14 परिवारों के घर किसी के नहीं जाने और इनसे बात करने की किसी भी गांववाले को मंजूरी नहीं दी गई थी.

यहां तक कि इन्हें राशन खरीदने और गांव के डॉक्टर आदि से भी मिलने की मनाही थी. इनका इलाज करने वाले डॉक्टरों आदि को भी चेतावनी दी गई थी.

इन पीड़ित परिवारों में से एक सदस्य धन सिंह पर्ते ने कहा कि लकड़ी डिपो में काम कर रहे किसी भी मजदूर को उनके साथ काम करने की मंजूरी नहीं थी.

उन्होंने कहा, ‘डिपो में कोई भी मेरे पिता के करीब नहीं आता था. लकड़ियों के गट्ठर बहुत भारी होते हैं. इन्हें उठाने के लिए लोग समूहों में काम करते हैं, लेकिन मेरे पिता को अकेले काम करने को कहा गया.’

इसी तरह अपने पति के बीमार पड़ने के बाद सात लोगों के अपने परिवार की मदद के लिए काम करने वाली लक्ष्मी वानखेड़े (39) के लिए 200 रुपये का भुगतान करना मुश्किल था.

लक्ष्मी ने कहा, ‘जब मेरे पिता बीमार पड़े, उस समय मैं इलाहाबाद में काम की तलाश कर रही थी. हमारा सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया था. मैं लॉकडाउन के बाद नासिक से घर लौटने के लिए छह दिन पैदल चली. हमारे पास पैसा नहीं था.’

उन्होंने कहा कि हमने 100 रुपये की पेशकश की, लेकिन मना कर दिया गया.

लक्ष्मी ने कहा, ‘पिछले साल भी मेरे परिवार का बहिष्कार कर दिया गया था. तब मुझे काम के लिए शहर लौटना पड़ा था और परिवार के लिए 500 रुपये भेजे थे, ताकि संगठन को भुगतान कर बहिष्कार की पाबंदी हटाई जा सके.’

गोंड समाज महासभा के जिला अध्यक्ष राधेलाल मडसोले की अध्यक्षता में इन परिवारों ने लालता पुलिस थाने के पुलिस इंस्पेक्टर को एक ज्ञापन सौंपा था.

दो दौर की बैठकों के बाद भी ग्रामीण अनिच्छुक रहे. इस वजह से परिवारों ने पुलिस अधीक्षक और सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट के साथ बालाघाट के कलेक्टर से संपर्क किया.

कलेक्टर दीपक आर्य ने बताया, ‘इन परिवारों ने हमसे संपर्क किया और हमने ग्रामीणों के साथ बैठक की. इन्हें चेतावनी दी गई कि अगर ये जारी रहा तो इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अब इस मामले को सुलझा लिया गया है और स्थिति सामान्य हो गई है.’