ओडिशा के पुरी और सुंदरगढ़ ज़िलों में कथित तौर पर पुलिस हिरासत में मौत के मामले सामने आए हैं, जिसे लेकर ओडिशा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन हंगामा हुआ. अदालत की निगरानी में जांच के लिए ओडिशा हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई है.
भुवनेश्वरः ओडिशा में बीते दो दिनों में कथित तौर पर पुलिस हिरासत में दो लोगों की मौत के मामले सामने आए हैं. ये दोनों मौतें पुरी और सुंदरगढ़ जिलों में हुई हैं. इन मामलों की जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इन मौतों को लेकर भाजपा और कांग्रेस पार्टियों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भी किए.
ओडिशा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन (शुक्रवार को) हिरासत में हुई इन कथित मौतों को लेकर हंगामा हुआ और विपक्षी दलों ने राज्य में इन कथित हिरासत में हुई मौतों को लेकर सख्त कार्रवाई की मांग की.
इसके बाद विधानसभा स्पीकर ने मामले को सुलझाने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसमें विपक्षी नेता प्रदीप्त नाइक ने शिरकत करने से इनकार कर दिया.
नाइक ने कहा, ‘हमने ओडिशा हाईकोर्ट के मौजूदा जज द्वारा मामले की न्यायिक जांच, एसपी के तबादले, इन पुलिस थानों के जांच अधिकारी (आईआईसी) के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने और पीड़ित के परिवार को एक करोड़ का मुआवजा देने की मांग की है.’
पहला मामला पुरी जिले का है, जहां के हिस्ट्रीशीटर के. रमेश (32) की गिरफ्तार किए जाने के कुछ ही घंटों के भीतर कथित तौर पर हिरासत के दौरान मौत हो गई थी, जबकि दूसरी घटना सुंदरगढ़ जिले के बीरमित्रपुर की है, जहां पुलिस ने एक कारोबारी को अगवा किए जाने के आरोप में एक युवक को हिरासत में लिया था, जिसकी गुरुवार को मौत हो गई.
इन मौतों के बाद दोनों जिलों में तनाव व्याप्त हो गया. मृतकों के परिवार और दोस्तों ने मामले में कार्रवाई किए जाने और उचित जांच की मांग की.
पुरी के एसपी अखिलेश्वर सिंह ने कहा, ‘रमेश को पुलिस की टीम के साथ झड़प के बाद गिरफ्तार किया गया था. वह तेजधार हथियार के साथ सड़क पर घूम रहा था, जिसके बाद हमारी टीम ने उसे पकड़ने की कोशिश की थी. इस दौरान तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. उसे (रमेश) जिला मुख्यालय अस्पताल शिफ्ट किया गया था, जहां उसकी तबीयत बिगड़ने पर इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.’
सिंह ने कहा, ‘हमने हिरासत में मौत के संबंध में मामला दर्ज किया है और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के द्वारा सभी नियमों का पालन किया जा रहा है. पुलिस के एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और डीएसपी मामले की जांच कर रहे हैं.’
दूसरी ओर हिस्ट्रीशीटर के परिवार का आरोप है कि कोई हाथापाई नहीं हुई थी बल्कि उसे घर से गिरफ्तार किया गया था और हिरासत में यातना देने की वजह से उसकी मौत हुई.
रमेश के चाचा के. अरिया ने कहा, ‘हमें मौत की सूचना नहीं दी गई और अंतिम संस्कार कड़ी सुरक्षा के बीच किया गया.’
वहीं, बीरमित्रपुर में पीड़िता तारिक सलीम को एक कारोबारी प्रदीप कुंडू के अपहरण के मामले में हिरासत में लिया गया था. तारिक बीरमित्रपुर का रहने वाला था और उसे बुधवार को झारखंड के सिमडेगा जिले से पुलिस ने हिरासत में लिया था. उसकी हालत बिगड़ने पर उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई.
उनके परिवार का आरोप है कि उसे हिरासत में प्रताड़ित किया गया था, जिस वजह से उसकी मौत हुई.
सुंदरगढ़ के एसपी सागरिका नाथ ने कहा, ‘ये आरोप सही नहीं है. जब हमने उसे हिरासत में लिया, उसकी तबियत ठीक नहीं थी, उसकी हालत बिगडने पर उसे अस्पताल में भर्ती किया गया.’
उन्होंने कहा कि एनएचआरसी के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए डॉक्टरों की एक टीम द्वारा ऑटोप्सी की गई थी.
इस बीच डीजीपी अभय ने सुनिश्चित किया कि दोनों मामलों की जांच की जाएगी और एनएचआरसी के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘एनएचआरसी के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए पोस्टमार्टम किया गया था. पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई थी. मामले की पूरी जांच की जाएगी.’
इस संबंध में अदालत की निगरानी में जांच के लिए ओडिशा हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई है.
हाईकोर्ट ने मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी और राज्य सरकार को पोस्टमार्टम रिपोर्ट और इस मामले से जुड़े अन्य दस्तावेज जमा कराने के निर्देश दिए हैं.
इस मामले पर सोमवार को अगली सुनवाई की जाएगी.