पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लरेशन की ओर से कहा गया है कि प्रचार से रोककर उनके उम्मीदवारों को सुरक्षा के नाम पर सुरक्षित स्थानों पर ले जाया रहा है. अलायंस में शामिल पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने आरोप लगाया कि डीडीसी चुनावों में ग़ैर-भाजपा दलों की भागीदारी को भारत सरकार ने नुकसान पहुंचा रही है. माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ़ तारिगामी ने भी प्रचार न करने देने की बात कही है.
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नवगठित गुपकर गठबंधन के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनावों में खड़े गठबंधन के उम्मीदवारों के साथ ‘किए जा रहे व्यवहार’ पर आपत्ति जताते हुए शनिवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में लोकतंत्र को बाधित करने के लिए बहाने के रूप में सुरक्षा का उपयोग किया जा रहा है.
श्रीनगर से लोकसभा सदस्य अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर के चुनाव आयुक्त केके शर्मा को लिखे दो पृष्ठों के पत्र में कहा कि कुछ चुनिंदा लोगों को सुरक्षा प्रदान करना और बाकी को वस्तुत: नजरबंद करना लोकतंत्र में व्यापक हस्तक्षेप के समान है.
उन्होंने पत्र में लिखा है, ‘मैं आगामी डीडीसी चुनावों के बारे में आपको लिख रहा हूं. एक अजीब और अनोखी विशेषता सामने आई है. गुपकर गठबंधन द्वारा उतारे गए उम्मीदवारों को सुरक्षा के नाम पर सुरक्षित स्थानों पर ले जाया रहा है. उन्हें चुनाव प्रचार करने की अनुमति नहीं है, वे उन लोगों के संपर्क से पूरी तरह से दूर हैं, जिनसे उन्हें वोट मांगना है.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, यह उम्मीदवारों को लेकर किसी खास चिंता के बजाय लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप का प्रयास है. सुरक्षा को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप करने के लिए एक उपकरण या बहाने के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है और नहीं किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि गुपकर गठबंधन में शामिल पार्टियां विगत में सत्ता में रही हैं और उन्हें सरकार चलाने का अवसर मिला है और वे हिंसा से घिरे स्थान पर सुरक्षा को लेकर उत्पन्न चुनौतियों से वाकिफ हैं.
अब्दुल्ला ने कहा, ‘ये चुनौतियां नई नहीं हैं, बल्कि पिछले तीन दशकों से दुखद रूप से बनी हुई हैं. लेकिन सरकार के पास ऐसी व्यवस्था थी, जो सभी उम्मीदवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करती थी, चाहे वे किसी भी विचारधारा के हों या वे किसी भी दल का प्रतिनिधित्व करते हों.’
The evolution of democracy has been a bloodied journey – soaked in the blood of thousands of workers who have laid down their lives for democracy. It is a desecration of those sacrifices when the very conflict that consumed their lives is used as an alibi to customize democracy. pic.twitter.com/5HiYvGurtP
— PAGD (@JKPAGD) November 21, 2020
उन्होंने जोर दिया कि जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र का विकास देश के किसी अन्य हिस्से की तुलना में विशिष्ट है और यह रक्तरंजित यात्रा रही है, जो हजारों राजनीतिक कार्यकर्ताओं के खून से सनी है, जिन्होंने लोकतंत्र की खातिर अपनी जान दे दी.
उन्होंने लिखा, ‘जिन संघर्षों में उन्होंने अपनी जान दी उनका इस्तेमाल लोकतंत्र को तोड़ने-मरोड़ने के लिए करना उन शहादतों का अपमान है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र अभी भी नाजुक स्थिति में है. सरकारें आती और जाती हैं. हजारों राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बलिदान से पोषित जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र की संस्थागत नींव को बदलने का अधिकार किसी सरकार को नहीं है.’
इस बीच, पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लरेशन (पीएजीडी) की उपाध्यक्ष और पीडीपी अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती ने भी मामले को उठाते हुए जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से हस्तक्षेप की मांग की.
GOI sabotaging participation of non BJP parties in DDC polls. PDPs Bashir Ahmed despite having adequate security has been detained at Pahalgam on the pretext of security. Today is the last day for filing nominations & have spoken to
DC Anantnag for his release @manojsinha_— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) November 21, 2020
मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा, ‘डीडीसी चुनावों में गैर-भाजपा दलों की भागीदारी को भारत सरकार ने नुकसान पहुंचा रही है. पीडीपी के बशीर अहमद के पास पर्याप्त सुरक्षा के बावजूद सुरक्षा के बहाने पहलगाम में हिरासत में लिया गया है. नामांकन दाखिल करने का आज आखिरी दिन है और उनकी रिहाई के लिए डीसी अनंतनाग से बात की है.’
इससे पहले दक्षिण कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित कुलगाम जिले के पूर्व विधायक और माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को सूचित किया था कि नामांकन दाखिल करने के बाद ‘जान का खतरा होने के मद्देनजर’ उम्मीदवारों को प्रचार की अनुमति नहीं दी जा रही है और ‘एक जगह उन्हें इकट्ठा रखा गया है.’
उन्होंने पत्र में कहा था, ‘उम्मीदवारों को उनकी इच्छा के विपरीत आवाजाही और प्रचार से रोककर रखा गया है. कुछ मामलों में तो उन्हें पार्टी की बैठकों में भी जाने की इजाजत नहीं दी गई.’
तारिगामी ने कहा था कि ऐसे भी मामले हुए कि प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों को एक ही वाहन से भेज दिया गया और साथ में प्रचार करने को कहा गया.
उन्होंने कहा, ‘कई उम्मीदवारों को पिछले सप्ताह नामांकन दाखिल करने के बाद श्रीनगर में होटलों में भेज दिया गया. मतदाता ही नहीं बल्कि उम्मीदवारों के परिवारों को भी इसे लेकर भी चिंताएं हैं.’
तारिगामी के एक पत्र का जवाब देते हुए उपराज्यपाल ने राजनीतिक दलों को आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए सुगम अभियान का आश्वासन दिया था और कहा था कि चुनाव से केंद्र शासित क्षेत्र में पंचायती राज संस्थाओं को मजबूती मिलेगी.
माकपा नवगठित गुपकर घोषणा-पत्र गठबंधन (पीएजीडी) का हिस्सा है. इस गठबंधन में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और चार अन्य स्थानीय दल भी हैं.
बता दें कि डीडीसी चुनाव 28 नवंबर से 22 दिसंबर तक आठ चरणों में होंगे.
डीडीसी चुनाव का पहला चरण 28 नवंबर को होगा, जिसमें घाटी के 10 जिलों में 167 उम्मीदवार हैं. दूसरे चरण के लिए 227 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है, जबकि तीसरे चरण के लिए अभी भी नामांकन दाखिल किए जा रहे हैं.
यह चुनाव पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों के निरस्त होने के बाद पहली बड़ी राजनीतिक गतिविधि है.
पिछले साल अगस्त में पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा समाप्त कर और दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के करीब 15 महीने बाद इन चुनावों में जम्मू कश्मीर की मुख्यधारा की पार्टियों की भागीदारी से केंद्र शासित प्रदेश में राजनीतिक माहौल के दोबारा बहाल होने की संभावना जताई जा रही है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)