किसान आंदोलन: पंजाब में तकरीबन दो महीने बाद ट्रेन सेवा आंशिक तौर पर बहाल

नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पंजाब में किसान संगठन सितंबर महीने से रेलवे स्टेशनों और पटरियों पर प्रदर्शन कर रहे थे, जिसके चलते ट्रेन सेवाएं स्थगित थीं. संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर उनके मुद्दों का हल नहीं निकाला गया तो वो दोबारा ट्रैक पर लौट आएंगे.

Kanyakumari: District administration officers DRO Revathi and RDO Mayil flag off a train carrying migrants to send them back to their native places in Assam, during the ongoing COVID-19 lockdown, in Kanyakumari, Tuesday, June 2, 2020. (PTI Photo)(PTI02-06-2020 000201B)

नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पंजाब में किसान संगठन सितंबर महीने से रेलवे स्टेशनों और पटरियों पर प्रदर्शन कर रहे थे, जिसके चलते ट्रेन सेवाएं स्थगित थीं. संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर उनके मुद्दों का हल नहीं निकाला गया तो वो दोबारा ट्रैक पर लौट आएंगे.

Lucknow: Passengers onboard a train at Charbagh railway station during COVID-19 lockdown 5.0, in Lucknow, Monday, June 1, 2020. Railways started its operation with 200 new trains from Monday, the first day of the 'Unlock 1' phase of the nationwide lockdown imposed to limit the spread of the Covid-19 coronavirus. (PTI Photo/ Nand Kumar)(PTI01-06-2020_000350B)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

चंडीगढ़/मुंबई: पंजाब में किसानों के आंदोलन की वजह से करीब दो महीने से बंद ट्रेन सेवा फिर से आंशिक तौर पर बहाल कर दी गई है. यहां के किसान केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लगाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.

पश्चिमी रेलवे (डब्ल्यूआर) ने सोमवार को कहा कि उसने 11 आउट-स्टेशन ट्रेनों को बहाल कर दिया, जो पंजाब में किसानों के आंदोलन के कारण या तो रद्द थीं या कम दूरी तक ही चल रही थीं.

पश्चिम रेलवे की विज्ञप्ति के अनुसार, चार रद्द ट्रेनें और सात अल्प-दूरी पर रोकी जाने वाली ट्रेनें सोमवार से बहाल हो गई हैं.

रेलवे ने शनिवार को कहा था कि पंजाब में मालगाड़ियों और यात्री ट्रेनों को फिर से शुरू किया जाएगा, क्योंकि किसानों ने सेवाओं की अनुमति देने का फैसला किया है और राज्य सरकार ने कहा है कि रेल पटरियां अब खाली हो चुकी हैं.

हालांकि इस बीच अमृतसर में रेलवे लाइन ब्लॉक करने की सूचना है. द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, करीब दो महीने बाद पंजाब में ट्रेनों के आंशिक तौर पर बहाल होने के 24 घंटे के भीतर मंगलवार को अमृतसर जिले के जंडियाला गुरु रेलवे स्टेशन पर किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा (केएमएसएम) के सदस्यों ने रेलवे ट्रैक को फिर से ब्लॉक कर दिया.

अमृतसर दिल्ली रेलवे लाइन अमृतसर से 10 किलोमीटर दूर जंडियाला गुरु स्टेशन पर बंद रही है, जिसके कारण रेलवे को ब्यास और तरनतारण से ट्रेनों को अमृतसर भेजना पड़ा.

ट्रैक पर किसान मजदूर संघर्ष कमेटी (केएमएससी) के कार्यकर्ता भी मौजूद रहे. संगठन के सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि रेल रोको आंदोलन 62वें दिन में प्रवेश कर गया.

पंजाब केसरी के मुताबिक किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के किसानों ने देर रात को यात्री गाड़ियों लिए फिर से रास्ता बंद कर दिया. किसान पैसेंजर ट्रेनों को रास्ता न देने पर अड़े हुए हैं.

किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के किसान जंडियाला गुरु रेलवे ट्रैक पर देर रात फिर से बैठ गए. जिसके कारण मुंबई से आने वाली स्वर्ण मंदिर मेल (गोल्डन एक्सप्रेस) का रास्ता बदलना पड़ा.

रिपोर्ट के मुताबिक किसानों ने सिर्फ मालगाड़ी के लिए ट्रैक खाली कर दिया था, मालगाड़ी के गुजरने के बाद फिर से पटरियों पर बैठ गए. इस मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस भी तैनात की गई थी.

आजतक के मुताबिक किसानों ने 15 दिनों के लिए रेलवे ट्रैक को खाली कर दिया है. साथ ही किसान संगठनों ने चेतावनी भी दी है कि अगर उनके मुद्दों का हल नहीं निकाला गया तो वो दोबारा ट्रैक पर लौट आएंगे.

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में किसान बीते 24 सितंबर से लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.

बीते एक अक्टूबर से अनिश्चितकालीन ‘रेल रोको’ आंदोलन शुरू किया था. राज्य में कई जगहों पर ट्रेन की पटरियों को अवरुद्ध कर दिया गया था.

बीते 27 सितंबर को विरोध के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीन कृषि विधेयकों को मंज़ूरी दी थी. ये विधेयक हैं- किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020.

सरकार का दावा है कि नए कानूनों के जरिये कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी मंडियों) के बाहर भी कृषि उत्पाद बेचने और खरीदने की व्यवस्था तैयार की जाएगी. हालांकि किसानों एवं विशेषज्ञों को इस बात को लेकर चिंता है कि यदि ये कानून लागू किया जाता है तो एपीएमसी (कृषि उपज विपणन समितियों) और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) व्यवस्था खत्म हो जाएगी.

मालूम हो कि रेलवे ने 20 नवंबर को कहा था कि केंद्र के कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा जारी विरोध के कारण उसे यात्री राजस्व में 67 करोड़ रुपये सहित 2,220 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

उसने कहा कि 24 सितंबर से शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के कारण 3,850 मालगाड़ियों का संचालन प्रभावित हुआ है. अब तक 2,352 यात्री ट्रेनों को रद्द किया गया या उनके मार्ग में परिवर्तन किया गया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)