बिहार: लालू द्वारा विधायक ख़रीदने के आरोपों के बीच भाजपा के विजय सिन्हा विधानसभा अध्यक्ष बने

बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील मोदी ने आरोप लगाया है कि चारा घोटाले में सज़ा काट रहे लालू यादव ने विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले उनके एक विधायक को विधानसभा में अनुपस्थित रहने के एवज में मंत्री पद देने का लालच दिया. इस संबंध में उन्होंने एक ऑडियो क्लिप भी जारी की है. मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं.

लालू यादव. (फोटो: पीटीआई)

बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील मोदी ने आरोप लगाया है कि चारा घोटाले में सज़ा काट रहे लालू यादव ने विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले उनके एक विधायक को विधानसभा में अनुपस्थित रहने के एवज में मंत्री पद देने का लालच दिया. इस संबंध में उन्होंने एक ऑडियो क्लिप भी जारी की है. मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं.

लालू यादव (फोटो: पीटीआई)
लालू यादव (फोटो: पीटीआई)

पटना: राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव पर सरकार गिराने का आरोप लगाने के लिए एक दिन बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने एक ऑडियो क्लिप जारी किया जिसमें लालू यादव कथित तौर पर भागलपुर के पीरपैंती से भाजपा विधायक ललन पासवान को (25 नवंबर को) स्पीकर पद के लिए हुए चुनाव से अनुपस्थित रहने के लिए कहा.

बता दें कि नवगठित विधानसभा के प्रथम बहुमत परीक्षण में बिहार में सत्तारूढ़ राजग बीते बुधवार को विजयी रहा, जिसके उम्मीदवार भाजपा विधायक विजय कुमार सिन्हा भारी मतों के अंतर से विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए.

भाजपा विधायक विजय कुमार सिन्हा को 126 वोट मिले, जबकि विपक्षी महागठबंधन के उम्मीदवार अवध बिहारी चौधरी को 114 मत हासिल हुए.

यह पहली बार है जब बिहार में भाजपा का कोई विधायक विधानसभा अध्यक्ष चुना गया है. साल 2005 के चुनाव के बाद से जदयू का कोई सदस्य ही इस कुर्सी पर बैठता था. जदयू के उदय नारायण चौधरी 2005 से 2010 और 2010 से 2015 के बीच बिहार विधानसभा के अध्यक्ष रहे. वहीं, पार्टी की ओर से विजय कुमार चौधरी 2015 से 2020 तक अध्यक्ष रहे थे.

243 सदस्यीय विधानसभा में वोटिंग प्रक्रिया में 240 सदस्य शामिल हुए. बसपा के एकमात्र विधायक और प्रोटेम स्पीकर जीतन राम मांझी ने भी मतदान में हिस्सा नहीं लिया और विपक्षी महागठबंधन के भी संभवत: एक विधायक मतदान में शामिल नहीं हुए.

हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के पांच विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ वोट दिया.

कथित ऑडियो क्लिप में क्या है?

भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने मंगलवार देर रात ट्वीट किया कि राजद प्रमुख लालू यादव एनडीए विधायकों को मंत्रिपद का लालच देकर खरीदने की कोशिश कर रहे हैं.

आरोप है कि चारा घोटाला मामले में रांची की एक जेल में बंद लालू यादव ने भाजपा विधायक ललन पासवान को मंगलवार को उस समय फोन किया, जब पासवान भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी के साथ एक बैठक कर रहे थे.

मोदी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर डेढ़ मिनट की क्लिप साझा की जिसमें कथित तौर पर लालू को अपने अंदाज में पीरपैंती के विधायक ललन कुमार से बातचीत करते सुना जा सकता है.

ऑडियो में कथित तौर पर लालू यादव को यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘हम लोग तुमको आगे भी बढ़ाएंगे. तुम कल जो स्पीकर का चुनाव है, उसमें हम लोग का साथ दो. हम तुमको मंत्री बनाएंगे. कल तो इनको हम गिरा देंगे.’

ऑडियो में विधायक अपनी पार्टी के खिलाफ वोट करने में अपनी दिक्कतों को बता रहे हैं जिस पर कथित तौर पर लालू कहते हैं, ‘पार्टी में हो तो ऐबसेंट हो जाओ न. कोरोना हो गया था. फिर स्पीकर हमारा हो जाएगा तो हम लोग देख लेंगे.’

भाजपा विधायक का दावा- सुशील मोदी की मौजूदगी में बातचीत हुई

भाजपा विधायक ललन पासवान ने दावा किया कि सुशील कुमार मोदी की मौजूदगी में बातचीत हुई, जिसका भान संभवत: राजद सुप्रीमो को नहीं था.

ललन कुमार ने पटना में संवाददाताओं से कहा, ‘मैं सुशील कुमार मोदी के साथ बैठक में था जब मेरा निजी सचिव आया और सूचित किया कि मेरे मोबाइल पर लालू प्रसाद का फोन है. मुझे आश्चर्य हुआ, लेकिन मैंने सोचा कि कई अन्य लोगों की तरह उन्होंने चुनावी जीत पर बधाई देने के लिए फोन किया होगा.’

विधायक ने कहा, ‘वह काफी वरिष्ठ नेता हैं, इसलिए मैंने उन्हें प्रणाम किया. वह सरकार गिराने की बात करने लगे. मैंने उन्हें बताने का प्रयास किया कि मैं पार्टी के अनुशासन से बंधा हुआ हूं. फोन बीच में रोकते हुए मैंने सुशील मोदी को सूचित किया.’

सुशील  मोदी ने मंगलवार की रात ट्वीट कर दावा किया कि उन्होंने राजद सुप्रीमो को फोन कर ‘गंदे तरीके’ अपनाने के खिलाफ चेतावनी दी. इसके बाद बुधवार को उन्होंने अपनी पार्टी के नेता विजय कुमार सिन्हा के विधानसभा अध्यक्ष निर्वाचित होने पर उन्हें बधाई देते हुए कहा, ‘लालू प्रसाद का षड्यंत्र विफल हो गया.’

जांच की मांग के साथ एनडीए ने की निंदा

भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद ने घटना की कड़ी निंदा की. उन्होंने विधानसभा परिसर में संवाददाताओं से कहा कि वह झारखंड सरकार से कहेंगे कि मामले का संज्ञान ले और जरूरत पड़ने पर इस मामले में उच्चस्तरीय जांच के लिए केंद्र से संपर्क करे.

बिहार के मंत्री मुकेश साहनी ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की. विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के संस्थापक साहनी ने कहा, ‘जो लोग सरकार गिराने की नीयत से विधायकों से बात करते हैं उन्हें लोकतांत्रिक नियमों पर बोलने का अधिकार नहीं है.’

राजद ने साधी चुप्पी

विधानसभा की कार्यवाही के दौरान नदारद रहे राजद नेताओं ने इस मुद्दे पर सोची-समझी चुप्पी साध रखी है, जिससे सत्ता में रहते हुए जंगलराज के आरोप झेलने वाली पार्टी की छवि पर एक और दाग लग सकता है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सदन में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने स्पीकर पद के लिए हो रही वोटिंग के दौरान दोनों सदनों में किसी के भी सदस्य न होने पर मंत्रियों मुकेश साहनी और अनिल कुमार चौधरी की उपस्थिति पर आपत्ति तो जताई मगर उन्होंने टेप से संबंधित आरोपों पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, ‘जैसा कि हमने पहले कहा है कि पूरा राजग हमारे नेता लालू प्रसाद से भयभीत है. हम ऑडियो टेप की विश्वसनीयता से आश्वस्त नहीं हैं.’

पार्टी के कुछ नेताओं ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘यह एक शरारत हो सकती है. लालू प्रसाद की आवाज मशहूर है और कई लोग बहुत सफाई से उनकी आवाज निकाल सकते हैं.’

हालांकि पार्टी नेताओं ने अभी तक इन आरोपों को सिरे से दरकिनार नहीं किया है.

बहरहाल, महुआ सीट से नवनिर्वाचित विधायक मुकेश रौशन ने दावा किया, ‘मार्च में आप बड़ा उलटफेर देखेंगे. यह सरकार गिर जाएगी और तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनेंगे. सभी दलों के विधायक हमारे संपर्क में हैं. देखिए और इंतजार कीजिए.’

जेल महानिरीक्षक ने जांच के आदेश दिए

झारखंड के जेल महानिरीक्षक वीरेंद्र भूषण ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं. भूषण ने बताया कि इस मामले में उन्होंने रांची स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार के अधीक्षक और रांची के उपायुक्त एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को जांच के आदेश दिए हैं.

उन्होंने कहा कि मामले की जांच रिपोर्ट आने के बाद नियमसंगत कार्रवाई की जाएगी.

भूषण ने कहा कि हिरासत में फोन या मोबाइल का उपयोग अवैध है. ऐसे में यदि यह मामला सच साबित होता है तो पहले यह पता लगाया जाएगा कि मोबाइल फोन लालू प्रसाद के पास पहुंचा कैसे और इसके लिए कौन दोषी हैं?

उन्होंने कहा कि न्यायिक हिरासत से किसी भी तरह की राजनीतिक बातचीत जेल नियमावली का उल्लंघन है. ऐसे में इस ऑडियो के सही साबित होने पर जेल नियमावली के अनेक प्रावधानों के तहत कार्रवाई संभव है.

महानिरीक्षक ने हालांकि स्पष्ट किया कि जब सजायाफ्ता कैदी इलाज के लिए किसी अस्पताल में भर्ती होता है तो उसकी सुरक्षा और उसके द्वारा जेल नियमावली का पालन कराने की जिम्मेदारी स्थानीय जिला प्रशासन की होती है और लालू के मामले में यह जिम्मेदारी रांची जिला प्रशासन की है.

उल्लेखनीय है कि लालू की सुरक्षा और देखरेख में रिम्स में पांच दर्जन से अधिक सुरक्षाकर्मी और अधिकारी तैनात हैं, फिर भी उन पर लगातार जेल के नियमों के उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं.

जेल महानिरीक्षक ने कहा कि मूल जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होने के बावजूद जेल प्रशासन ने अपनी तरफ से मामले की जांच के आदेश दिए हैं और शीघ्र ही इसमें रिपोर्ट आ जाने की संभावना है.

इससे पहले हाईकोर्ट ने जेल प्रशासन को जारी किया था नोटिस

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले झारखंड हाईकोर्ट ने बिरसा मुंडा जेल अधीक्षक और महानिरीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी कर लालू यादव से लोगों के मिलने पर जवाब मांगा था.

चारा घोटाला से जुड़े मामलों में रांची के बिरसा मुंडा जेल में बंद लालू प्रसाद यादव बीमारी के कारण लंबे समय से राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) में भर्ती हैं. चारा घोटाले से जुड़े दुमका मामले में उनकी जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई है.

दुमका मामले में जमानत मिलने पर लालू यादव फिलहाल जेल से बाहर आ सकेंगे, क्योंकि अब तक चारा घोटाले के जिन चार मामलों में उन्हें सजा मिली है, उनमें से तीन में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है.

चारा घोटाले के तहत दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपये के गबन के मामले में लालू को विशेष सीबीआई अदालत ने 14 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी और फिलहाल यह मामला हाईकोर्ट में चल रहा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)