दिल्ली दंगा: चोट और कोविड-19 के आधार पर दाख़िल इशरत जहां की ज़मानत अर्ज़ी ख़ारिज

कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में इस साल फरवरी में हुए दंगों से जुड़े एक मामले में 26 फरवरी को गिरफ़्तार किया गया था. उनके ख़िलाफ़ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है.

इशरत जहां. (फोटो साभार: फेसबुक)

कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में इस साल फरवरी में हुए दंगों से जुड़े एक मामले में 26 फरवरी को गिरफ़्तार किया गया था. उनके ख़िलाफ़ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है.

कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां. (फोटो: फेसबुक/ इशरत जहां)
कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां. (फोटो: फेसबुक/इशरत जहां)

नई दिल्ली: रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी से जुड़े एक मामले में जिस दिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपराधिक न्याय प्रक्रिया का आधारभूत नियम ‘बेल है, न कि जेल’, ठीक उसी दिन दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में इस साल फरवरी में हुए दंगों से जुड़े एक मामले में कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया, जबकि उनके वकील ने अदालत के संज्ञान में यह बात लाई थी कि मंडोली जेल में गिरने के कारण उनकी रीढ़ की हड्डी में चोट लग गई है.

इशरत जहां ने दिल्ली की मंडोली जेल में कोविड-19 के फैलने और अन्य चिकित्सा संबंधी परेशानी का उल्लेख करते हुए जमानत के लिए याचिका दायर की थी.

26 फरवरी को गिरफ्तार की गईं इशरत ने जुलाई में ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें जांच को पूरा करने का समय दो महीने बढ़ा दिया गया था (यूएपीए के तहत निर्धारित 90 दिन की अवधि से अधिक) और अंतरिम जमानत के लिए अपील की थी. हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था.

बीते 26 नवंबर को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘आरोपी पर लगे गैरकानूनी गतिविधि (निरोधक) अधिनियम, 1967 समेत अपराध की गंभीरता पर विचार करते हुए पूर्व में हुई जिरह और जेल रिपोर्ट के मद्देनजर मैं आरोपी इशरत जहां को अंतरिम जमानत देने के लिए उपयुक्त स्थिति नहीं पाता.’

इशरत जहां को सीएए विरोधी प्रदर्शन के लिए दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था. दिल्ली पुलिस ने उन्हे फरवरी में पूर्वोत्तर दिल्ली के दंगों से जोड़ने की मांग की है, जो कि एक पक्षपातपूर्ण जांच बन गई है. जून में उन्हें शादी करने के लिए कुछ दिन की जमानत दी गई थी.

इशरत जहां की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने अदालत को बताया था कि जेल में होने से उनकी मानसिक स्थिति पर असर पड़ रहा है और जेल में कुछ कैदी कोविड-19 से पीड़ित पाए गए हैं.

वकील ने अदालत को बताया कि आवेदक की गिरफ्तारी से पहले उन्हें गर्दन संबंधी, रीढ़ की हड्डी में चोट (पीठ के निचले हिस्से में दर्द) और माइग्रेन जैसी समस्याएं रही हैं और वह उक्त बीमारियों के लिए अतीत में लगातार दवाएं लेती रही हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि लगभग 15 दिन पहले आवेदक फिसलकर जेल के बाथरूम के अंदर गिर गई थीं और उनकी रीढ़ में चोट लग गई थी.

अपने आवेदन में इशरत जहां ने यह भी तर्क दिया था कि वह वकालत करती हैं और उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा है.

अभियोजन ने जमानत अर्जी का यह कहते हुए विरोध किया कि आवेदक से संबंधित 14 जून, 2020 के मेडिकल प्रेस्क्रिप्शन की अस्पताल से पुष्टि की गई है और एक रिपोर्ट मंगाई गई जिससे पता चलता है कि आवेदन को तत्काल किसी मेडिकल जांच की आवश्यकता नहीं है.

आगे कहा गया कि तिहाड़ जेल के पुलिस महानिरीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 संबंधित सावधानियों के बारे में सभी आवश्यक प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है और स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है.

अभियोजन पक्ष ने अदालत में कहा, ‘जेल के अंदर कोविड-19 का कोई भय नहीं है. आवेदक को उसके छोटे-मोटे स्वास्थ्य संबंधित मुद्दों के लिए उचित उपचार भी दिया जा रहा है और उसकी हालत स्थिर है. वास्तव में उनका कोविड-19 के लिए दो बार टेस्ट किया गया था और निगेटिव पाया गया था.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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