नगालैंड सरकार ने बीते जुलाई महीने में कुत्तों के मांस के वाणिज्यिक आयात और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस फैसले के खिलाफ मांस बेचने वाले कारोबारियों ने गुवाहाटी हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि इस फैसले से उनकी आजीविका और कारोबार प्रभावित हुआ है.
गुवाहाटीः असम के गुवाहाटी हाईकोर्ट की कोहिमा पीठ ने कुत्ते के मांस की व्यावसायिक बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के नगालैंड सरकार के फैसले पर रोक लगा दी है.
लाइसेंसधारी कुत्ते के मांस के व्यापारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एस. हुकातो स्वू ने शुक्रवार को कहा कि यह रोक अगली तारीख तक जारी रह सकती है, क्योंकि राज्य सरकार ने अभी तक अपनी जवाब दाखिल नहीं किया है.
कुत्ते के मांस पर प्रतिबंध लगाने वाला नगालैंड सरकार का फैसला चार जुलाई को प्रभावी हो गया था.
मुख्य सचिव तेमजेन टॉय द्वारा हस्ताक्षर की गई अधिसूचना में सरकार ने बाजार में कुत्तों की खरीद-फरोख्त और व्यावसायिक आयात पर रोक लगा दी थी. इसके साथ ही रेस्तरां में कुत्तों का मांस परोसे जाने को लेकर भी पाबंदी लगाई गई थी.
सरकार ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) विनियमन 201 को इस पाबंदी का प्रमुख कारण बताया था.
The State Government has decided to ban commercial import and trading of dogs and dog markets and also the sale of dog meat, both cooked and uncooked. Appreciate the wise decision taken by the State’s Cabinet @Manekagandhibjp @Neiphiu_Rio
— Temjen Toy- Archived (@temjentoy) July 3, 2020
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई महीने में राज्य सरकार का यह आदेश सांसद और पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी के नगालैंड में कुत्तों की बर्बर हत्या और खाने को लेकर बयान जारी करने के बाद आया है.
मेनका गांधी ने लोगों से आग्रह किया था कि वे नगालैंड के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर राज्य में डॉग मार्केट और डॉग रेस्तरां को बंद करने का अनुरोध करें.
दो जुलाई को भारतीय पशु संरक्षण संगठनों के संघ ने बयान जारी कर सरकार से इस पर पाबंदी लगाने को कहा था.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, उस वक्त नगालैंड के दिमापुर स्थित एक बाजार में कुत्तों को एक बैग में बांधकर रखे जाने से जुड़ी तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी साझा की गई थी. इस तस्वीर में कुत्तों के मुंह रस्सी से बंधे हुए थे.
तब गैर सरकारी संगठन द फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशंस (एफआईएपीओ) ने कुत्तों के मीट के व्यापार को बंद करने के संबंध में राज्य सरकार को एक याचिका दी थी.
सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने की घोषणा के बाद नगालैंड के कुछ वर्गों के लोगों ने सोशल मीडिया के जरिये इस पाबंदी का विरोध करते हुए कहा कि यह राज्य की पारंपरिक संस्कृति पर रोक है.
कोहिमा म्यूनिसिपल काउंसिल के तहत लाइसेंसधारी कुत्ता व्यापारी याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस प्रतिबंध से उनकी आजीविका और कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि खाद्य सुरक्षा मानकों के तहत प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया.
याचिकाकर्ताओं ने कहा, ‘अगर बिक्री के लिए उपलब्ध कोई खाद्य मानक नियमों के अनुरूप नहीं है तो उसकी वैज्ञानिक जांच की जा सकती है और अगर वह खाने के योग्य है तो ही उसे बिक्री की मंजूरी मिलनी चाहिए. ‘
मामले की अगली सुनवाई शीतकालीन अवकाश के बाद होगी.
बता दें कि कुत्ते का मांस नगालैंड और उत्तर-पूर्व के कुछ राज्यों में एक विशेष व्यंजन है, जिसे कई दशकों से पारंपरिक तौर पर लोगों द्वारा खाया जा रहा है. नगालैंड के कुछ चुनिंदा समुदाय दवाओं में कुत्ते के मांस का इस्तेमाल करते हैं.
मालूम हो कि बीते मार्च महीने में मिजोरम में भी कुत्तों के मीट पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.