किसानों के प्रदर्शन से दिल्ली में दूसरे राज्यों से आने वाले फल-सब्ज़ियों की आपूर्ति प्रभावित

आजादपुर में कृषि उत्पाद विपणन समिति के अध्यक्ष ने बताया कि दिल्ली के सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर मार्ग बाधित होने के कारण पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर से सब्ज़ियों और फलों की आपूर्ति पर असर पड़ा है. आम दिनों में दूसरे राज्यों से क़रीब 2500 ट्रक आते हैं. अब यह संख्या घटकर 1,000 रह गई है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

आजादपुर में कृषि उत्पाद विपणन समिति के अध्यक्ष ने बताया कि दिल्ली के सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर मार्ग बाधित होने के कारण पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर से सब्ज़ियों और फलों की आपूर्ति पर असर पड़ा है. आम दिनों में दूसरे राज्यों से क़रीब 2500 ट्रक आते हैं. अब यह संख्या घटकर 1,000 रह गई है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: पिछले छह दिनों से दिल्ली के हरियाणा से लगे सिंघू और टिकरी बॉर्डर के पास किसानों के प्रदर्शन के कारण दूसरे राज्यों से दिल्ली में सब्जियों और फलों की आपूर्ति पर असर पड़ा है और आजादपुर मंडी में भी इसकी आपूर्ति आधी रह गई है.

दिल्ली के दूसरे हिस्सों के विक्रेताओं ने भी कहा कि आपूर्ति सीमित होने के कारण मौसमी सब्जियों की कीमत 50 रुपये से 100 रुपये तक चली गई है.

उन्होंने बताया कि सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर मार्ग बाधित होने के कारण पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर से सब्जियों और फलों की आपूर्ति पर असर पड़ा है.

आजादपुर में कृषि उत्पाद विपणन समिति के अध्यक्ष आदिल खान ने बताया कि दिल्ली की सबसे बड़ी थोक मंडी आजादपुर में सब्जियों और फलों की आपूर्ति घटकर आधी रह गई है.

खान ने कहा, ‘आम दिनों में आजादपुर मंडी में दूसरे राज्यों से सब्जियों और फलों के करीब 2500 ट्रक आते हैं. अब यह संख्या घटकर 1,000 रह गई है. अगले कुछ दिनों तक बॉर्डर बंद रहने से स्थिति और खराब होगी.’

हालांकि, उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पादों के कारण कीमतों में कोई उल्लेखनीय बढ़ोतरी नहीं हुई है और पहले से भंडारित उत्पाद बेचे जा रहे हैं.

इस बीच कुछ विक्रेताओं ने कहा कि कम आपूर्ति के कारण मौसमी सब्जियों की थोक कीमत 50 से 100 रुपये तक चली गई है.

उन्होंने कहा कि सीमा पर अवरोध के कारण ट्रकों को दिल्ली तक पहुंचने में मुश्किलें हो रही हैं और कुछ ट्रक आ भी रहे हैं तो उन्हें काफी देरी हो रही है.

आजादपुर मंडी में हरे मटर के आढ़ती गोपाल ने कहा कि सर्दियों में पंजाब के अमृतसर-होशियारपुर क्षेत्र से मटर के 40-45 ट्रक आते हैं लेकिन अब 15-20 ट्रक ही आ रहे हैं.

ओखला मंडी में थोक विक्रेता हकीम रहमान ने कहा, ‘दिल्ली में आलू और प्याज की मुख्य रूप से आपूर्ति महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश से होती है और किसानों के आंदोलन के कारण इन राज्यों के मार्ग प्रभावित नहीं हुए हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हालांकि, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर से सब्जियों और फलों की आपूर्ति प्रभावित हुई है.’

आजादपुर मंडी के थोक फल विक्रता आरके भाटिया ने कहा कि सेब जैसे फलों की आपूर्ति बाधित हुई है, लेकिन कीमत कमोबेश समान है. इस बार कश्मीर में सेब की अच्छी पैदावार नहीं हुई, इसलिए कीमत पहले से ही ज्यादा है और मांग कम है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण कपूर ने दावा किया कि दिल्ली में सब्जियों और फलों की उपलब्धता कम हो रही है और उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से इस मुद्दे पर ध्यान देने का अनुरोध किया है.

बता दें कि किसानों का विरोध प्रदर्शन दिल्ली बॉर्डर पर लगातार जारी है और उन्होंने सरकार से बिना शर्त किसानों से बातचीत करने की मांग की थी. आज किसानों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत हो रही है.

मालूम हो कि केंद्र सरकार की ओर से कृषि से संबंधित तीन विधेयक– किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को बीते 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी, जिसके विरोध में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.

किसानों को इस बात का भय है कि सरकार इन अध्यादेशों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है और यदि इसे लागू किया जाता है तो किसानों को व्यापारियों के रहम पर जीना पड़ेगा.

दूसरी ओर केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने बार-बार इससे इनकार किया है. सरकार इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही है. उसका कहना है कि वे कृषि उपजों की बिक्री के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बना रहे हैं. 

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)