मानवाधिकार कार्यकर्ता और नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित नादिया मुराद ने संयुक्त राष्ट्र की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं बढ़ गई हैं. यहां तक कि कई महिलाओं की स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच भी बाधित हो गई है.

संयुक्त राष्ट्र: नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित नादिया मुराद ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के कारण महिलाओं के खिलाफ हिंसा और तस्करी की घटनाएं बढ़ गई हैं. इससे महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं भी पैदा हुई हैं.
इराक में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के सदस्यों द्वारा जबरन यौन दासता में धकेली गईं 27 वर्षीय मानवाधिकार कार्यकर्ता नादिया मुराद ने कहा कि वायरस को फैलने से रोकने के लिए सरकारों ने कर्फ्यू, लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंध लगाए थे, जिसका दुनियाभर में महिलाओं को खामियाजा भुगतना पड़ा.
उन्होंने कहा, ‘मानव तस्करी, महिलाओं के खिलाफ हिंसा कम होने के बजाय महामारी के दौरान उनके खिलाफ बर्बरता और शोषण का जोखिम और बढ़ ही गया है.’
Strengthening global commitment at a time when women & girls are #LockedDownLockedIn, rendering them further exposed to violence & harassment, or at greater risk of being trafficked. @GhadaFathiWaly @NadiaMuradBasee @UN_Women @phumzileunwomen ➡️ https://t.co/n2PIpL0hpx
— UN Office on Drugs & Crime (@UNODC) December 1, 2020
उन्होंने कहा, ‘महामारी शुरू होने के बाद कई देशों से महिलाओं के खिलाफ हिंसा बढ़ने की खबरें सामने आने लगीं.’
मुराद ने कहा कि महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं बढ़ गई हैं. यहां तक कि कई महिलाओं की स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच भी बाधित हो गई.
इराक के अल्पसंख्यक यजीदी समुदाय से आने वालीं मुराद ऐसी उन हजारों महिलाओं और लड़कियों में शामिल हैं, जिन्हें 2014 में इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने जबरन यौन दासता में धकेल दिया था. आईएस के आतंकियों ने उनकी मां और छह भाइयों का कत्ल कर दिया था.
आईएस के चंगुल से छूटने के बाद उन्होंने महिलाओं और लड़कियों के लिए काम करना शुरू किया और मानवाधिकार कार्यकर्ता बन गईं. उन्होंने जर्मनी में शरण ली थी और 2018 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित हुईं.
Women at greater risk of violence & trafficking in COVID -we need to safeguard their rights, support their access to justice, invest in education & jobs for women &girls. 🙏@phumzileunwomen @NadiaMuradBasee @MiraSorvino @AshleyJudd @OzarkHenry 🇩🇪M. Müntefering #LockedDownLockedIn pic.twitter.com/goRsu5pyHp
— GhadaFathiWaly (@GhadaFathiWaly) November 30, 2020
मुराद ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये कोविड-19 महामारी के दौरान लॉकडाउन में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा और मानव तस्करी के खिलाफ जंग के विषय पर संयुक्त राष्ट्र की बैठक को संबोधित किया.
मादक पदार्थों एवं अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओडीसी) की कार्यकारी निदेशक गादा वैली ने कहा कि जब लॉकडाउन या प्रतिबंध लगाया जाता है तो महिलाओं और लड़कियों को हिंसा, उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है या तस्करी होने का खतरा अधिक होता है.
उन्होंने कहा, ‘दुनिया के हर हिस्से में हम देख रहे हैं कि कोविड-19 ने जोखिम वाली महिलाओं और लड़कियों की दुर्दशा को और बदतर कर दिया है, साथ ही आपराधिक न्याय प्रक्रियाओं और पीड़ितों को मदद पहुंचाने पर बाधाएं डाली है.’
बता दें कि इससे पहले संयुक्त राष्ट्र ने विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 पर काबू पाने के प्रयासों के तहत दुनिया के कई देशों में लागू लॉकडाउन के दौरान महिलाओं व लड़कियों के प्रति घरेलू हिंसा के मामलों में ‘भयावह बढ़ोतरी’ दर्ज किए जाने पर चिंता जताई थी और सरकारों से ठोस कार्रवाई का आह्वान किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)