कर्नाटक के कृषि मंत्री ने कहा, आत्महत्या करने वाले किसान कायर होते हैं

कांग्रेस और जेडीएस के नेताओं ने कृषि मंत्री बीसी पाटिल के इस बयान की आलोचना की है. कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि किसान स्वाभिमान और सम्मान के साथ जन्म लेते हैं. जब उन्हें चरम परिस्थितियों की ओर ढकेल दिया जाता है तो वे अपना जीवन ख़त्म करने के लिए बाध्य हो जाते हैं.

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बीसी पाटिल (फोटो साभारः फेसबुक)

कांग्रेस और जेडीएस के नेताओं ने कृषि मंत्री बीसी पाटिल के इस बयान की आलोचना की है. कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि किसान स्वाभिमान और सम्मान के साथ जन्म लेते हैं. जब उन्हें चरम परिस्थितियों की ओर ढकेल दिया जाता है तो वे अपना जीवन ख़त्म करने के लिए बाध्य हो जाते हैं.

बीसी पाटिल (फोटो साभारः फेसबुक)
बीसी पाटिल (फोटो साभारः फेसबुक)

बेंगलुरु: केंद्र सरकार के तीन विवादित कृषि कानूनों को लेकर हो रहे किसानों के प्रदर्शन के बीच कर्नाटक के कृषि मंत्री बीसी पाटिल ने आत्महत्या कर रह किसानों को लेकर एक बयान दे दिया है, जिसकी विपक्ष दलों ने निंदा की है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक उन्होंने कर्नाटक के कोडागु जिले के पोनमपेट में किसानों को संबोधित करते हुए आत्महत्या करने वाले किसानों को कायर कहा.

पाटिल ने कहा, ‘जो किसान आत्महत्या करते हैं, वे कायर हैं. सिर्फ एक कायर ही जो अपनी पत्नी और बच्चों की देखभाल नहीं कर सकता, आत्महत्या करता है. जब हम पानी में गिर जाते हैं तो हमें तैरना होता है और (उस परिस्थिति से) जीतना होता है.’

कांग्रेस और जेडीएस के नेताओं ने उनके इस बयान की आलोचना की है.

कृषि मंत्री ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब वह पोनमपेट के बांस उत्पादकों को समझा रहे थे कि कृषि व्यवसाय कितना फायदेमंद है, लेकिन कुछ कायर इसे नहीं समझते और आत्महत्या कर लेते हैं.

पाटिल ने अपनी बात के समर्थन में एक महिला का उदाहरण दिया, जिसने सोने की चूड़ियां पहने हुई थीं.

कृषि मंत्री ने कहा, ‘जब मैंने इस बात की जानकारी ली कि उनके हाथों में सोने की चूड़ियां कहां से आई हैं, आप जानते हैं कि उन्होंने क्या कहा? उन्होंने कहा कि इस धरती मां ने मुझे 35 साल की मेहनत के लिए यह दिया है.’

पाटिल ने पूछा, ‘यह सब सुनकर आपको प्रसन्नता नहीं होती है. जब पूरी तरह से कृषि पर निर्भर महिला सफलता प्राप्त कर सकती है तो दूसरे किसान ऐसा क्यों नहीं कर सकते हैं.’

पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कृषि मंत्री के इस बयान को कृषि समुदाय का अपमान करने वाला बताया है.

उन्होंने इस संबंध में कई ट्वीट कर कहा कि स्वाभिमानी किसानों को जब चरम परिस्थितियों की ओर ढकेल दिया जाता है तो वे अपना जीवन खत्म करने के लिए बाध्य हो जाते हैं.

उन्होंने कहा, ‘किसान स्वाभिमान और सम्मान के साथ जन्म लेते हैं. जब कर्ज देने वाला उनके दरवाजे पर उन्हें परेशान करने के लिए पहुंचता है तो उन्हें कोई दूसरा विकल्प नजर नहीं आता और वे आखिरी कदम उठा लेते हैं. जैसा कि कृषि मंत्री ने कहा, किसान कायर नहीं होते.’

कर्नाटक कांग्रेस के प्रवक्ता वीएस उग्रप्पा ने पाटिल के बयान की निंदा कर उनसे माफी मांगने की मांग की है. उन्होंने कहा, ‘यह किसानों का अपमान है. उन्हें माफी मांगनी चाहिए.’

उग्रप्पा ने कहा, ‘कोई किसान मरना नहीं चाहता. बाढ़ और सूखा ऐसे कई कारण हैं, जिनका अभी कोई समाधान नहीं निकल पाया है. इन समस्याओं की गंभीरता को समझने के बजाय मंत्री इस तरह का गैर-जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ‘विवाद बढ़ने के बाद कृषि मंत्री पाटिल ने एक बयान जारी कर कहा, ‘मैंने कभी किसानों को कायर नहीं कहा. मैंने केवल उन्हें कायर कहा, जो आत्महत्या करते हैं.’

उन्होंने आगे कहा कि किसानों को मुश्किलों और नुकसान जैसी समस्याओं से सुरक्षित पार पाना चाहिए. उनके अनुसार, किसानों को व्यापक कृषि नीति का उपयोग करना चाहिए.

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हवाले से बताया है कि 2019 में महाराष्ट्र के बाद कर्नाटक दूसरा ऐसा राज्य है, जहां किसानों ने सबसे ज्यादा आत्महत्या की.

2019 में महाराष्ट्र में 3,900 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की. इसके बाद कर्नाटक में 1,992, आंध्र प्रदेश में 1,029, मध्य प्रदेश में 541, तेलंगाना में 499 और पंजाब में 302 किसानों ने आत्महत्या की.