राजस्थान में चार महीने पहले अपनी सरकार पर आए संकट को टालने में सफल रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को आरोप लगाया है कि भाजपा के लोग कहते हैं महाराष्ट्र की बारी आने वाली है और राजस्थान में वापस खेल शुरू होने वाला है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि शासन चलाने में विफल रहने से मुख्यमंत्री ऐसे अमर्यादित आरोप लगा रहे हैं.
जयपुर: राजस्थान में चार महीने पहले अपनी सरकार पर आए संकट को टालने में सफल रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को आरोप लगाया कि भाजपा एक बार फिर से राज्य में उनकी सरकार गिराने की कोशिश कर रही है.
मुख्यमंत्री ने सिरोही जिले के शिवगंज ब्लॉक (सिरोही) द्वारा नगर कांग्रेस कार्यालय के उद्घाटन के अवसर पर यह बात कही. कार्यक्रम में कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी अजय माकन, प्रदेश कांग्रेस सचिव गोविंद सिंह डोटासरा और अन्य कांग्रेस नेता मौजूद थे.
वहीं, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने गहलोत के आरोपों को अप्रमाणित बताते हुए कहा कि शासन चलाने में विफल रहे मुख्यमंत्री ऐसे अमर्यादित आरोप लगा रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘यह षड्यंत्र (सरकार गिराने का) भाजपा हर राज्य में कर रही है. लोग कहते हैं महाराष्ट्र की बारी आने वाली है और राजस्थान में वापस खेल शुरू होने वाला है. यह भाजपा के लोगों की सोच है. वे लोग निर्वाचित सरकार को गिराने का षड्यंत्र करते हैं, लेकिन राजस्थान की जनता ने उन्हें सबक सिखा दिया.’
गहलोत ने कहा कि कुछ महीने पहले राज्य में राजनीतिक संकट के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य के बागी विधायकों से मुलाकात की थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट की अनुसार, गहलोत ने आगे कहा, अजय माकन जी हमारे साथ 34 दिनों तक होटल में थे. उन्हें पता है कि राजस्थान में क्या हुआ था. हमारे विधायकों की जब अमित शाह से मुलाकात हुई थी तब वहां धर्मेंद्र प्रधान (केंद्रीय मंत्री) बैठे हुए थे और सैयद जाफर इस्लाम भी थे जो कि अब भाजपा के राज्यसभा सदस्य हैं और सिंधिया को भाजपा में लेकर गए थे.
उन्होंने आगे कहा कि यह संकट तब टला जब अजय माकन, केसी वेणुगोपाल, रणदीप सिंह सुरजेवाला और अविनाश राय जैसे कांग्रेस नेताओं ने हस्तक्षेप कर कांग्रेस नेताओं को निलंबित करने का फैसला किया.
गहलोत ने धर्मेंद्र प्रधान पर कांग्रेस विधायकों का मनोबल बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों से बात करने का नाटक करने का भी आरोप लगाया.
गहलोत ने कहा, ‘उनकी एक घंटे मुलाकात चली थी. विधायकों ने आकर मुझसे कहा कि सर, मुझे शर्म आ रही थी, कहां सरदार पटेल गृहमंत्री थे और अब गृह मंत्री अमित शाह… मिठाई-नमकीन खिला रहे थे. वहीं, धर्मेंद्र प्रधान हमारा मनोबल बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों से बात करने का नाटक कर रहे थे. और ऐसा माहौल बनाने की कोशिश कर रहे थे कि चिंता करने की जरूरत नहीं है. मैंने चार सरकारें गिराई हैं और यह छठी सरकार भी गिर जाएगी, थोड़ा धैर्य रखो.’
इस पर पलटवार करते हुए भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा, ‘आज राजस्थान के मुख्यमंत्री जी के बयान से साफ जाहिर हो गया कि यह सरकार दो साल से शासन चलाने में विफल है. मुझे लगता है कि गहलोत अपना मनोबल एवं नैतिक साहस खो चुके हैं.’
उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य का मुख्यमंत्री होने के बावजूद बिना किसी सबूत के उन्होंने देश के गृहमंत्री और केंद्रीय मंत्री का नाम लिया, जो कि राजनीतिक शुचिता के बाहर है. हर कोई जानता है कि उनकी पार्टी में अंदरूनी राजनीतिक लड़ाई चल रही है और कांग्रेस के अंदर असंतोष की एक आग है. गहलोत और कांग्रेस नेतृत्व इसे नियंत्रित करने में विफल रहे हैं और वह इसके लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराते हैं.’
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, दो दिन के मध्य प्रदेश दौरे पर गए धर्मेंद्र प्रधान ने इस मुद्दे पर सवालों से बचने की कोशिश की.
इससे पहले कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने 18 विधायकों के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत करते हुए बीते 12 जुलाई को दावा किया था कि उनके साथ 30 से अधिक विधायक हैं और अशोक गहलोत सरकार अल्पमत में है.
इसके बाद अशोक गहलोत ने दो बार विधायक दल की बैठक बुलाई, जिसमें पायलट और उनके समर्थक विधायक नहीं आए. इसके बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री पद के साथ-साथ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया था.
पायलट के दो सहयोगी विश्वेंदर सिंह और रमेश मीणा को भी कैबिनेट के साथ ही पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी निलंबित कर दिया गया था.
इस दौरान कांग्रेस ने एक ऑडियो टेप का हवाला देते हुए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को गिरफ्तार करने की मांग की थी और आरोप लगाया था कि वह पार्टी के एक बागी विधायक भंवरलाल शर्मा के साथ मिलकर अशोक गहलोत सरकार को गिराने की साजिश में शामिल हैं.
इन दोनों टेप में कथित रूप से गहलोत सरकार को गिराने के लिए किए गए षड्यंत्र से जुड़ी बातचीत रिकॉर्ड होने का दावा किया गया था. राजस्थान पुलिस के भ्रष्टाचार निरोधी ब्यूरो (एसीबी) ने दोनो ऑडियो क्लिप के मामले में भ्रष्टाचार निरोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया था.
हालांकि शेखावत ने कहा था कि ऑडियो में उनकी आवाज नहीं है और वह किसी भी जांच के लिए तैयार हैं. शर्मा एवं भाजपा ने इस ऑडियो को फर्जी बताया था. भाजपा ने इन टेपों की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी.
करीब एक महीने चली सियासी खींचतान के बाद अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 14 अगस्त को विधानसभा में विश्वास मत जीत लिया था और सदन ने सरकार द्वारा लाए गए विश्वास मत प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया था.
पायलट के मीडिया प्रबंधक व पत्रकार के खिलाफ नहीं मिले सबूत
राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के मीडिया प्रबंधक और एक राष्ट्रीय समाचार चैनल के पत्रकार के खिलाफ दर्ज मामलों में पुलिस ने शनिवार को अंतिम रिपोर्ट (एफआर) दायर कर दी.
जयपुर के पुलिस आयुक्त आनंद श्रीवास्तव ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि पायलट के मीडिया प्रबंधक लोकेंद्र सिंह के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला. इसलिए पुलिस ने मामलें में अंतिम रिपोर्ट (एफआर) दायर कर दी है. यह पाया गया कि संदेश उन्हें फॉरवर्ड किया गया था.
राजस्थान उच्च न्यायालय ने 16 अक्टूबर को पायलट के जनसम्पर्क का काम देखने वाले सिंह को राहत प्रदान करते हुए पुलिस को उनके खिलाफ गिरफ्तारी सहित कोई कार्रवाई करने से रोक दिया था.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सत्ता को लेकर हुए विवाद के दौरान अगस्त में कथित फर्जी खबर पोस्ट करने के आरोप में लोकेंद्र सिंह के खिलाफ विधायकपुरी थाने में दर्ज की गई एफआईआर को लेकर उच्च न्यायालय का रुख किया था.
एक्सवाईजेड समाचार एजेंसी चलाने वाले सिंह और राजस्थान तक (आज तक) के शरत कुमार के खिलाफ एक अक्टूबर को एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें विशेष अपराध और साइबर अपराध-आयुक्तालय के थानाधिकारी ने उस दौरान जैसलमेर के होटल में ठहरे कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों के गैर कानूनी रूप से जयपुर के मानसरोवर के होटल में फोन टैपिंग संबंधी एक झूठी खबर बनाने का आरोप लगाया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)