किसान आंदोलन: खाप नेताओं ने हरियाणा के डिप्टी सीएम और भाजपा सांसद का सामाजिक बहिष्कार किया

हरियाणा के जींद के उचाना इलाके के कई खाप नेताओं ने किसानों के विरोध के बारे में कथित विवादित बयानों के लिए हरियाणा के कृषि और किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल और अभिनेत्री कंगना रनौत का भी विरोध किया. केंद्र सरकार के तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में बीते 26 नवंबर से किसानों का प्रदर्शन जारी है.

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हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला. (फाइल फोटो: पीटीआई)

हरियाणा के जींद के उचाना इलाके के कई खाप नेताओं ने किसानों के विरोध के बारे में कथित विवादित बयानों के लिए हरियाणा के कृषि और किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल और अभिनेत्री कंगना रनौत का भी विरोध किया. केंद्र सरकार के तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में बीते 26 नवंबर से किसानों का प्रदर्शन जारी है.

New Delhi: Jannayak Janata Party leader Dushyant Chautala before a meeting with newly elected party MLAs, at his residence in New Delhi, Friday, Oct. 25, 2019. (PTI Photo/Manvender Vashist) (PTI10_25_2019_000024)
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला. (फोटो: पीटीआई)

चंडीगढ़: जींद के उचाना इलाके के कई खाप नेताओं ने भाजपा का समर्थन करने के कारण शनिवार को हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और हिसार से भाजपा सांसद बृजेंद्र सिंह के सामाजिक बहिष्कार की घोषणा की.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, विवादित कृषि कानूनों को लाए जाने से नाराज खाप नेताओं ने शनिवार को उचाना में मुलाकात की और किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया.

दुष्यंत उचाना विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं जो कि हिसार संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है. वहीं, भाजपा सांसद बृजेंद्र सिंह के पिता चौधरी बीरेंदर सिंह इससे पहले कई बार हरियाणा विधानसभा में उचाना विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

बृजेंद्र सिंह के साथ खाप नेताओं ने उनके पिता और वरिष्ठ भाजपा नेता बीरेंद्र सिंह के भी सामाजिक बहिष्कार की घोषणा की है.

एक खाप नेता बलवान पहलवान ने कहा, ‘हमने सर्वसम्मति से भाजपा सरकार का समर्थन करने वाले बांगर (जींद इलाके का हिस्सा) के सभी नेताओं का बहिष्कार करने का फैसला किया है. अगर वे हमारे क्षेत्र में आते हैं तो हम उन्हें काले झंडे दिखाएंगे.’

उन्होंने कहा, ‘सामाजिक बहिष्कार के तहत हम इन नेताओं से बात नहीं करेंगे.’

बता दें कि अगर किसी व्यक्ति का सामाजिक बहिष्कार किया जाता है तो उसे पारंपरिक हुक्का पीने के लिए आमंत्रित नहीं किया जाता है.

खाप नेताओं ने किसानों के विरोध के बारे में कथित विवादित बयानों के लिए हरियाणा के कृषि और किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल और अभिनेत्री कंगना रनौत का भी विरोध किया.

एक अन्य खाप नेता ने कहा, ‘ये कानून उन किसानों को नष्ट कर देंगे, जो पहले से ही कर्ज में हैं. हम सरकार से इन कानूनों को जल्द से जल्द वापस लेने का आग्रह करते हैं क्योंकि ये किसान विरोधी हैं.’

बता दें कि जींद जिले के हजारों किसान पहले ही दिल्ली की सीमा में पहुंच चुके हैं और आने वाले दिनों में राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल होंगे.

जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) प्रमुख और दुष्यंत चौटाला के पिता अजय सिंह ने हाल ही में कहा था कि केंद्र सरकार को कृषि कानून में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को शामिल करने पर विचार करना चाहिए.

अजय चौटाला ने कहा था, ‘(केंद्रीय) कृषि मंत्री और स्वयं प्रधानमंत्री का एक बयान है कि हम एमएसपी जारी रखेंगे, फिर इसे जोड़ा जाना चाहिए (दस्तावेज में). एक लाइन लिखने में क्या दिक्कत है.’

उन्होंने आगे कहा था, ‘मैं किसानों के लिए प्रतिबद्ध हूं. मैं किसान कल्याण के अलावा कुछ नहीं सोच सकता. अगर किसान संघर्ष करते हैं, तो सबसे पहले उन्हें हाथ मिलाना चाहिए. बिहार के किसानों की अलग-अलग मांगें हैं, जबकि बंगाल और उत्तर प्रदेश के किसानों की अलग-अलग मांगें हैं.’

खाप के फैसले पर भाजपा सांसद बृजेंद्र सिंह ने कहा, ‘वे (खाप नेता) किसानों की समस्या से चिंतित नहीं हैं. वे राजनीतिक व्यवस्था में नौसिखिए हैं. वे इस आंदोलन से लाभ हासिल करना चाहते हैं.’

इससे पहले बृजेंद्र सिंह ने कहा था कि किसानों को सरकार से बात करनी चाहिए. विधेयक पास होने से पहले बातचीत बेहतर होती. हालांकि, ऐसा नहीं है कि ये (नीतियां) अचानक लाई गई हैं.

शनिवार को किसानों ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दो शीर्ष कारोबारियों (अंबानी और अडानी) का पुतला भी जलाया.

बता दें कि केंद्र सरकार के तीन विवादित कृषि कानूनों के विरोध में बड़ी संख्या में पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली की सीमाओं पर बीते 11 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. यह प्रदर्शन 26 नवंबर को शुरू हुआ था.

मौजूदा समय में किसान नेता अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार से बातचीत कर रहे हैं. हालांकि शनिवार तक हुई पांच दौर की वार्ता के बाद अभी तक इस संबंध में कोई समाधान नहीं निकल सका है. इस बीच किसानों ने आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है.