केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा आहूत भारत बंद का देश में मिला-जुला असर रहा. कुछ राज्यों में जनजीवन प्रभावित हुआ, वहीं कुछ राज्यों में सामान्य बना रहा.
नई दिल्ली: केंद्र के नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसान संगठनों के आह्वान पर बुलाए गए ‘भारत बंद’ के समर्थन में मंगलवार को देश के कई हिस्सों में दुकानें और कारोबारी प्रतिष्ठान बंद रहे और परिवहन पर असर पड़ा.
प्रदर्शनकारी सड़क पर उतरे और ट्रेन समेत यातायात को बाधित किया.
बंद से आपात सेवाओं और बैंकों को दूर रखा गया था. अखिल भारतीय बंद को अधिकतर विपक्षी दलों और कई ट्रेड यूनियनों का समर्थन मिला है. पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों और किसानों के प्रदर्शन का केंद्र बनी दिल्ली में बंद का असर दिखा.
बंद को देखते हुए देश भर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. कई जगहों पर प्रदर्शन का असर दिखा. दिल्ली की सीमाओं पर बहुत बड़ी संख्या में किसान पिछले 13 दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा में प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर ट्रेनें रोकीं.
कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन का केंद्र बने दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर मंगलवार को ‘भारत बंद’ के दौरान जोरदार भाषण और नारेबाजी देखने को मिली.
किसानों ने प्रदर्शन के दौरान ‘जय किसान’, ‘हमारा भाईचारा जिंदाबाद, किसान एकता जिंदाबाद, तानाशाही नहीं चलेगी’ जैसे नारे लगाए.
बीकेयू के एक नेता ने किसानों से अपील करते हुए कहा, ‘यह हमारे ‘आंदोलन’ का अंतिम चरण है और यह आवश्यक है कि अपने आंदोलन को सफल बनाने के लिए हम अनुशासित बने रहें.’
एक नेता ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज हमारे देश में अगर कोई अपनी आवाज उठाता है और देश की भलाई के बारे में बात करता है तो उसे देशद्रोही करार दिया जाता है.’
हालांकि, किसानों ने भारत बंद के समर्थन में दुकानें बंद रखने का आग्रह किया था लेकिन प्रदर्शन स्थल के आसपास लगभग सभी दुकानें खुली थीं। बहरहाल, हिंसा की कोई घटना नहीं हुई.
दिल्ली में टीकरी उन सीमाओं में शामिल है जहां पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित अलग-अलग राज्यों के हजारों किसान पिछले 13 दिनों से जमा हैं.
देश के अधिकतर हिस्सों में प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अधिकतर मुख्य बाजार खुले रहे, लेकिन ऐप आधारित कैब सेवा सड़कों पर नहीं दिखी. हालांकि, सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी द्वारा दिल्ली पुलिस पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नजरबंद करने का आरोप लगाए जाने के बाद तनाव पैदा हो गया था.
आप के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया, ‘गृह मंत्रालय के निर्देश पर, दिल्ली पुलिस ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को सिंघू बॉर्डर पर किसानों से मिलने के बाद से ही नजरबंद कर दिया है. किसी को भी उनके आवास पर जाने या वहां से किसी को बाहर आने की अनुमति नहीं है. हमारे विधायकों की पिटाई की गई. वहां कई अवरोधक लगाए गए हैं और घरेलू सहायिका को भी घर के अंदर नहीं जाने दिया जा रहा.’
हालांकि, दिल्ली पुलिस ने पार्टी के दावों को खारिज किया है.
‘भारत बंद’ के समर्थन में शहर में कुछ ऑटो और टैक्सी संघों ने भी भाग लिया और सड़कों पर वाहनों को नहीं उतारने का फैसला किया, वहीं कुछ ने हड़ताल से दूरी बनाई.
‘बंद’ के तहत किसान यूनियनों ने मंगलवार सुबह 11 बजे से दिन में तीन बजे तक चक्काजाम करने के दौरान देशभर में राजमार्गों को बाधित करने और टोल प्लाजा को घेरने की चेतावनी दी थी. नए कानून को लेकर जारी गतिरोध पर बुधवार को केंद्र सरकार की किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता होने वाली है.
अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के महासचिव हन्नान मोल्ला ने कहा कि ‘भारत बंद’ किसानों की ताकत दिखाने का एक जरिया है और उनकी जायज मांगों को देशभर के लोगों का समर्थन मिला है.
मौला ने कहा, ‘हम तीनों कानूनों की पूरी तरह वापसी की अपनी मांग पर अडिग हैं और किसी तरह के संशोधनों पर राजी नहीं होंगे. ये ऐसे कानून हैं, जिसमें संशोधन से कोई फर्क नहीं पड़ेगा.’
बंद के मद्देनजर पंजाब में अनेक स्थानों पर दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे. राज्य में पेट्रोल डीलरों ने भी बंद के समर्थन में पेट्रोल पंप बंद रखे. राज्य में ईंधन भरने वाले पंपों की संख्या 3,400 से अधिक है.
पड़ोसी राज्य हरियाणा में विपक्षी दल कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोक दल ने भारत बंद को समर्थन दिया. दोनों ही राज्यों में सुबह से ही किसान राजमार्गों तथा अन्य महत्वपूर्ण मार्गों पर एकत्रित होने लगे थे.
हरियाणा पुलिस ने यात्रा परामर्श जारी किया, जिसमें गया कि लोगों को कई मार्गों एवं राजमार्गों पर दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक यातायात की समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
किसान संगठनों द्वारा आहूत ‘भारत बंद’ का मंगलवार को राजस्थान के अनेक इलाकों में शुरुआती असर मिला-जुला रहा. प्रदेश की राजधानी जयपुर में मंडियां बंद थीं, लेकिन दुकान खुली थीं. प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प की खबरें हैं.
भारत बंद का उत्तर प्रदेश में मिला-जुला असर दिखा. विभिन्न विपक्षी राजनीतिक दल इसका समर्थन कर रहे हैं.
राज्य की राजधानी लखनऊ में बंद का कोई खास असर नहीं दिख रहा है. वहीं प्रदेश के अन्य विभिन्न जिलों में बंद का कहीं कम, तो कहीं ज्यादा असर दिखाई दे रहा है.
प्रदेश के बस्ती, बहराइच, गोरखपुर, चंदौली, सोनभद्र, इटावा तथा कुछ अन्य जिलों से सपा कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प और नोकझोंक की खबरें मिली हैं.
भारत बंद का समर्थन कर रही कांग्रेस के प्रदेश मीडिया समन्वयक ललन कुमार ने बताया कि सरकार इस बंद को दबाने पर पूरी तरह उतारू है. पुलिस ने गोरखपुर, आज़मगढ़, ग़ाज़ीपुर, चित्रकूट, सहारनपुर और कानपुर नगर में बड़ी संख्या में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार तथा नजरबंद किया है.
राष्ट्रीय किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने कहा कि उनके संगठन के पदाधिकारियों को उन्नाव, सीतापुर, हरदोई ,औरैया, कन्नौज, इलाहाबाद, गाजियाबाद तथा अन्य शहरों में पुलिस ने नजरबंद किया है, जो लोकतंत्र की हत्या जैसा है.
बंद का बुंदेलखंड के सभी सात जिलों में आंशिक असर दिखा.
भारत बंद का उत्तराखंड में मिलाजुला असर रहा, जहां चमोली, पौड़ी, उत्तरकाशी तथा रुद्रप्रयाग जिलों में इसका बहुत कम प्रभाव देखने को मिला, जबकि पिथौरागढ़ जिले में पूर्ण हड़ताल रही.
राजधानी देहरादून में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने राज्य पार्टी मुख्यालय से पल्टन बाजार तक जुलूस निकाला और बंद लागू कराने का प्रयास किया. इसे लेकर उनकी दुकानदारों से झड़प हो गई और उन्होंने दुकानें बंद करने से मना कर दिया. शहर में ज्यादातर बाजार और दुकानें खुले रहे.
उधमसिंह नगर जिले में हालांकि किसान संगठन बंद लागू कराने के लिए सड़कों पर उतरे लेकिन कोई अप्रिय या शांति भंग की स्थिति नहीं पैदा हुई.
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस और वाम दलों के साथ ‘भारत बंद’ का समर्थन किया है. प्रदर्शनकारियों ने राज्य में कई स्थानों पर रेल पटरियों को जाम किया और सड़कों पर धरना दिया.
बंद का असर राज्य में देखने को मिला, जहां निजी वाहन सड़कों से नदारद रहे और बस, टैक्सी जैसे सार्वजनिक वाहनों का परिचालन सामान्य से कम है.
इसके अलावा किसानों के ‘भारत बंद’ के आह्वान का झारखंड में मंगलवार को मिला-जुला असर दिखा. राज्य में लगभग सभी सरकारी कार्यालय खुले रहे, लेकिन निजी संस्थान एवं दुकानें आंशिक तौर पर बंद रहीं. राज्य में स्थानीय यातायात अधिकतर सामान्य है, लेकिन अंतरराज्यीय यातायात ठप है.
छत्तीसगढ़ में सत्ताधारी दल कांग्रेस ने भारत बंद का समर्थन किया है. सत्ताधारी दल के नेता और कार्यकर्ता बंद को सफल बनाने के लिए सड़क पर निकले तथा लोगों से समर्थन का अनुरोध किया.
मध्य प्रदेश में ‘भारत बंद’ के समर्थन में प्रदर्शनकारियों ने राज्य के होशंगाबाद जिले के सिवनी-मालवा क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन किया. क्रांतिकारी किसान मजदूर संगठन के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी की और नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की.
महाराष्ट्र में मुंबई और अधिकतर हिस्सों में उपनगरीय ट्रेनों और बसों सहित सार्वजनिक परिवहन सेवाएं मंगलवार को किसानों द्वारा आहूत ‘भारत बंद’ के बावजूद लगभग सामान्य रहीं.
महाराष्ट्र के अनेक हिस्सों में कृषि उपज विपणन समितियां (एपीएमसी) बंद रहीं. भाजपा शासित गोवा में मंगलवार सुबह बाजार खुले रहे और सार्वजनिक परिवहन भी सामान्य रहा.
शैक्षणिक संस्थानों का कामकाज भी सामान्य है. बाजार खुले हैं और सार्वजनिक परिवहन भी अन्य दिनों की तरह सामान्य है.
भाजपा शासित गोवा में मंगलवार सुबह बाजार खुले रहे और सार्वजनिक परिवहन भी सामान्य रहा. विभिन्न दलों ने केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा बुलाए गए ‘भारत बंद’ को समर्थन दिया है.
शैक्षणिक संस्थानों का कामकाज भी सामान्य है. बाजार खुले हैं और सार्वजनिक परिवहन भी अन्य दिनों की तरह सामान्य है. कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, गोवा फॉरवर्ड पार्टी, आम आदमी पार्टी और शिवसेना ने बंद का समर्थन किया है.
असम में हजारों प्रदर्शनकारियों ने ‘भारत बंद’ में हिस्सा लिया. कांग्रेस और वाम दलों समेत 14 विपक्षी दलों और कई सामाजिक संगठनों ने बंद को समर्थन दिया है. हालांकि, राज्य में अधिकतर कार्यालयों में कामकाज सामान्य रहा. कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया. राज्य में पेट्रोल पंपों के संघों द्वारा बंद को समर्थन देने के कारण तेल टैंकरों की आवाजाही बाधित रही.
मेघालय में मंगलवार को जनजीवन सामान्य रहा. यहां ‘भारत बंद’ का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा. राज्य में दुकानें और बाजार खुले रहे तथा निजी और सार्वजनिक वाहन चलते रहे.
किसान संगठनों की ओर से मंगलवार को बुलाए गए बंद का त्रिपुरा में कोई असर नहीं दिखा. सड़कों पर रोज की तरह वाहन चलते रहे और राज्य में बाजार व दुकानें खुली रहीं.
सरकारी कार्यालय, बैंक और वित्तीय संस्थानों में कर्मचारियों की मौजूदगी देखी गई.
अरुणाचल प्रदेश में भी इसका असर कम दिखा और जनजीवन सामान्य रहा. निजी कारों और सार्वजनिक परिवहन की सड़कों पर आवाजाही सामान्य रही.
सभी बाजार और कारोबारी प्रतिष्ठान खुले रहे और बैंक समेत सरकारी एवं निजी कार्यालयों में कामकाज सामान्य रहा.
वहीं, हिमाचल प्रदेश में बंद का अधिक असर नहीं दिखा. राज्य में अधिकतर दुकानें, कारोबारी संस्थान खुले रहे. हालांकि, कांग्रेस और सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीआईटीयू) ने राज्य की राजधानी शिमला एवं अन्य जिलों में अलग-अलग धरना दिया.
देशव्यापी बंद के दौरान कांग्रेस और वामपंथी दलों के समर्थकों द्वारा सड़कों और रेल पटरियों को अवरुद्ध किए जाने से मंगलवार को ओडिशा में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ.
‘भारत बंद’ के समर्थकों ने राजमार्गों और बड़ी सड़कों पर जाम लगाया और प्रदर्शन किया. बंद के कारण सड़कों पर वाहन भी कम निकले.
किसान संगठनों, ट्रेड यूनियन और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने भुवनेश्वर, कटक, भद्रक और बालासोर में रेल पटरियों पर धरना दिया जिससे ट्रेन सेवाएं भी प्रभावित हुईं.
तेलंगाना में सत्तारूढ़ टीआरएस, विपक्षी दल कांग्रेस सहित कई राजनीतिक पार्टियों और विभिन्न यूनियनों ने किसानों द्वारा मंगलवार को आहूत ‘भारत बंद’ के समर्थन में राजग सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया.
किसान पिछले कई दिनों से इन नए कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और आज उन्होंने ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है. टीआरएस ने इस बंद का समर्थन करते हुए राज्य में सक्रिय रूप से प्रदर्शन करने का फैसला किया है ताकि यह सफल हो सके.
आंध्र प्रदेश में भारत बंद शांतिपूर्वक तरीके से खत्म हो गया. राज्य सरकार ने सार्वजनिक बस सेवाओं पर रोक लगाकर बंद का समर्थन किया.
बंद समर्थकों ने अपना प्रदर्शन ज्यादातर बस स्टेशनों तथा राजमार्गों तक ही सीमित रखा. ऐसे में आम जन-जीवन पर खास प्रभाव नहीं पड़ा. हालांकि, राजमार्गों पर यातायात अवरुद्ध रहा.
राज्य सरकार के परामर्श पर शिक्षण संस्थान बंद रहे जबकि बैंक तथा केंद्र सरकार के अन्य कार्यालयों में कामकाज सामान्य रहा.
तमिलनाडु में द्रमुक और कांग्रेस समेत उसके सहयोगी दलों ने मंगलवार को भारत बंद में हिस्सा लिया. पुदुचेरी में भी द्रमुक और कांग्रेस ने प्रदर्शन किया.
कांग्रेस के शासन वाले केंद्र शासित प्रदेश पुदुचेरी में बंद का असर दिखा. बसें, टैक्सियां और ऑटो सड़कों पर नहीं दिखे. बंद के समर्थन में दुकानें और कारोबारी प्रतिष्ठान बंद रहे और राज्य सरकार के कार्यालयों में भी कर्मचारियों की उपस्थिति कम रही.
तमिलनाडु में सार्वजनिक एवं निजी परिवहन पर असर कम दिखा और जनजीवन भी सामान्य रहा. हालांकि प्रदर्शन स्थलों के आस पास यातायात जाम दिखा.
चेन्नई, तिरुचिरापल्ली, तंजावुर, कुड्डालूर समेत कई जगहों पर प्रदर्शन हुए. पुडुचेरी में भी प्रदर्शन का असर दिखा. किसान संगठनों, द्रमुक, कांग्रेस, वाम दल समेत अन्य सहयोगी दलों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया.
मंगलवार को कर्नाटक में किसानों और कामगारों के प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतरने से जनजीवन प्रभावित हुआ.
कर्नाटक राज्य रैयता संघ और हसिरू सेना (ग्रीन ब्रिगेड) द्वारा आहूत बंद का राज्य में कई संगठनों और दलों ने समर्थन किया है.
बेंगलुरु, मैसुरू, बेलगावी, हुब्बली-धारवाड, रायचुर, तुमकुरु, मंगलुरु, बीदर, विजयपुरा, हासन, चिकमंगलुरु, चामराजनगर, कोप्पल, कोलार, चिकबल्लापुर और अन्य स्थानों पर प्रदर्शन मार्च, रैलियां निकाली गईं.
गुजरात में भी विपक्षी कांग्रेस ने बंद का समर्थन किया. इसके समर्थन में मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने कुछ जगहों पर राजमार्ग बाधित करने का प्रयास किया और मार्ग पर जलते हुए टायर रख दिए.
हालांकि दोपहर तक राज्य में बंद का अधिक असर नहीं दिखा. राज्य में कुछ जगहों को छोड़कर सभी बाजार, दुकानें, सरकारी एवं निजी कार्यालयों समेत कारोबारी प्रतिष्ठान खुले रहे.
राज्य के प्रमुख शहरों में जनजीवन पर बंद का असर नहीं दिखा और सड़कों पर बसों की आवाजाही सामान्य रही. अहमदाबाद, राजकोट और सूरत समेत राज्य के प्रमुख शहरों में बीआरटीएस (बस रैपिड टांजिट सिस्टम) का कामकाज तय समय के अनुसार चला.
राज्य में करीब 5,000 पेट्रोल पंप भी खुले रहे क्योंकि उनके संगठनों ने बंद को समर्थन नहीं दिया था.
राज्य पुलिस नियंत्रण कक्ष के एक अधिकारी ने बताया, ‘राज्य में बंद का अधिक असर नहीं दिखा. किसी भी तरह की हिंसा या किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है. बंद से जनजीवन प्रभावित नहीं हुआ है.’
प्रमुख मार्गों एवं राजमार्गों पर पुलिस की तैनाती होने के बावजूद गुजरात के ग्रामीण इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने सुबह तीन राजमार्गों को बाधित किया और मार्ग पर जलते हुए टायर रख दिए. इससे मार्ग पर वाहनों की आवाजाही प्रभावित हुई.
भारत बंद: कुछ ऑटो, टैक्सी संघ बंद में शामिल हुए
केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों के ‘भारत बंद’ में मंगलवार को कुछ ऑटो और टैक्सी संघों ने भी भाग लिया और सड़कों पर वाहनों को नहीं उतारने का फैसला किया, वहीं कुछ ने हड़ताल से दूरी बनाई.
दिल्ली सर्वोदय चालक संघ के अध्यक्ष कमलजीत गिल ने दावा किया कि उनके अधिकतर सदस्य हड़ताल पर हैं. यह संगठन ओला और उबर जैसी ऐप आधारित टैक्सी के चालकों का प्रतिनिधित्व करता है.
गिल ने कहा, ‘दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में करीब चार लाख ऐप आधारित कैब हैं. हमारे अधिकतर सदस्य हड़ताल पर हैं.’
दिल्ली टैक्सी टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सम्राट ने कहा कि दिल्ली राज्य टैक्सी सहकारी समिति और कौमी एकता कल्याण संघ समेत अनेक संघों से जुड़े वाहन चालक हड़ताल पर हैं.
हालांकि कुछ अन्य ऑटो और टैक्सी संघों ने दावा किया कि हड़ताल से दिल्ली में परिवहन सुविधाओं पर असर नहीं पड़ेगा.
दिल्ली ऑटो रिक्शा संघ और दिल्ली प्रदेश टैक्सी संघ के महासचिव राजेंद्र सोनी ने कहा, ‘हमारे सभी ऑटो और टैक्सियां सामान्य तरीके से चल रहे हैं और हड़ताल का बिल्कुल भी असर नहीं पड़ा है. हम किसानों और उनकी मांगों का समर्थन करते हैं लेकिन हड़ताल से आम आदमी को समस्या होगी.’
आईजीआई हवाईअड्डा टैक्सी संघ के अध्यक्ष किशनजी ने भी कहा कि काली-पीली टैक्सियों का परिचालन सामान्य है और ये हड़ताल में शामिल नहीं हैं.
अमेरिका के कई सांसदों ने भारत में आंदोलनरत किसानों का समर्थन किया
अमेरिका के कई सांसदों ने भारत में नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों का समर्थन किया है और उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने की अनुमति देने का अनुरोध किया है.
किसानों के प्रदर्शन पर विदेशी नेताओं के बयानों को भारत ने ‘भ्रामक’ और ‘अनुचित’ बताया है और कहा है कि यह एक लोकतांत्रिक देश का आंतरिक मामला है.
अमेरिकी कांग्रेस के सांसद डग लामाल्फा ने बीते सोमवार को कहा था, ‘भारत में अपनी आजीविका बचाने की खातिर और सरकार के भ्रामक, अस्पष्ट नियम-कायदों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पंजाबी किसानों का मैं समर्थन करता हूं.’
कैलिफोर्निया से रिपब्लिकन सांसद ने कहा, ‘पंजाबी किसानों को अपनी सरकार के खिलाफ हिंसा के भय के बगैर शांतिपूर्ण प्रदर्शन की इजाजत होनी चाहिए.’
डेमोक्रेट सांसद जोश हार्डर ने कहा, ‘भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. उसे अपने नागरिकों को शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने की अनुमति देनी चाहिए. मैं इन किसानों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सार्थक बातचीत की अपील करता हूं.’
सांसद टीजे कॉक्स ने कहा कि भारत को शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार को बरकरार रखना चाहिए और अपने नागरिकों की रक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए.
‘न्यूयार्क टाइम्स’ ने लिखा है, ‘प्रदर्शन दिल्ली के बाहर तक फैल गया है. किसानों ने दक्षिणी राज्यों केरल और कर्नाटक तथा पूर्वोत्तर के राज्य असम में भी मार्च निकाला और बैनरों के साथ प्रदर्शन किया. उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों ने भी एकजुटता दिखाते हुए दिल्ली से लगी राज्य की सीमा पर प्रदर्शन किया.’
‘सीएनएन’ की एक खबर के मुताबिक हजारों किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं. इन किसानों को आशंका है कि नए कानूनों से उनकी रोजी-रोटी पर असर पड़ेगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)