साल 2010 के विधेयक में संशोधन करते हुए कर्नाटक की मौजूदा बीएस येदियुरप्पा सरकार ने गाय और बछड़ों के अलावा भैंस एवं उनके बच्चों की हत्या को भी प्रतिबंधित किया है. इसके लिए सात साल की सज़ा से लेकर पांच लाख के जुर्माने तक का प्रावधान किया गया है.
नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा में बीते बुधवार को हंगामे के बीच गोहत्या रोधी विधेयक पारित हुआ. इसके विरोध में कांग्रेस के विधायक सदन की कार्यवाही छोड़कर चले गए.
‘कर्नाटक मवेशी वध रोकथाम एवं संरक्षण विधेयक-2020’ के तहत राज्य में गोहत्या पर पूर्ण रोक का प्रावधान है. साथ ही गाय की तस्करी, अवैध ढुलाई, अत्याचार एवं गोहत्या में लिप्त पाए जाने वाले व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भी प्रावधान किया गया है. यह साल 2010 में भाजपा सरकार द्वारा लाए गए कानून का संशोधित संस्करण है.
कर्नाटक के संसदीय कार्य मंत्री जेसी मधुस्वामी ने कहा, ‘हां, विधानसभा में विधेयक पारित हो गया.’
गाय और बछड़ों के अलावा विधेयक में भैंस एवं उनके बच्चों के संरक्षण का भी प्रावधान है. आरोपी व्यक्ति के खिलाफ तेज कार्यवाही के लिए विशेष अदालत गठित करने का भी प्रावधान है.
विधेयक में गोशाला स्थापित करने का भी प्रावधान किया गया है. साथ ही पुलिस को जांच करने संबंधी शक्ति प्रदान की गई है.
सदन में हंगामे के चलते विधेयक बिना बहस के ही पारित किया गया.
इससे पहले, बुधवार शाम को पशुपालन मंत्री प्रभु चव्हाण ने जैसे ही विधेयक पेश किया, विपक्ष के नेता सिद्धरमैया के नेतृत्व में कांग्रेस के विधायक अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए.
उन्होंने आरोप लगाया कि विधेयक को पेश करने के संबंध में कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में चर्चा नहीं की गई.
.@INCKarnataka will boycott assembly session tomorrow in protest against anti-democratic act of @BJP4Karnataka.@CMofKarnataka quickly passed anti-cow slaughter bill without any discussion.
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— Siddaramaiah (@siddaramaiah) December 9, 2020
सिद्धरमैया ने कहा, ‘हमने कल (मंगलवार) इस बारे में चर्चा की थी कि नए विधेयक पेश नहीं किए जाएंगे. हम इस बात को लेकर सहमत हुए थे कि केवल अध्यादेश पारित किए जाएंगे. अब उन्होंने (प्रभु चव्हाण) अचानक यह गोहत्या रोधी विधेयक पेश कर दिया.’
विपक्ष के नेता ने इस कदम को लोकतंत्र की हत्या बताया है.
हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े केगेरी ने कहा कि उन्होंने बैठक में यह साफ तौर पर कहा था कि महत्वपूर्ण विधेयक बुधवार और बृहस्पतिवार को पेश किए जाएंगे.
.@BSYBJP had told in the advisory committee that no new bill will be presented in the assembly. Anti-Cow slaughter bill was not there in today's agenda also.
But, all of a sudden, the bill was introduced and passed without any discussion. This is the murder of democracy.
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— Siddaramaiah (@siddaramaiah) December 9, 2020
इस जवाब से संतुष्ट नहीं होने के बाद कांग्रेस विधायकों ने हंगामा किया और भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.
मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि बुधवार को विधानसभा में विधेयक पारित होना आवश्यक था क्योंकि इसे विधान परिषद द्वारा गुरुवार शाम को मंजूरी देनी होगी, इस दिन विधायी सत्र समाप्त होने वाला है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 2010 के कानून को राज्यपाल से मंजूरी नहीं मिलने के कारण साल 2013 में कांग्रेस सरकार द्वारा खत्म कर दिया गया था. इसके बाद कांग्रेस सरकार कम कड़ा कानून ‘गोहत्या और पशु संरक्षण अधिनियम, 1964’ पर वापस चली गई, जो कुछ प्रतिबंधों के साथ गोहत्या की अनुमति देता है.
1964 के कानून ने ‘किसी भी गाय या बछड़े’ की हत्या पर रोक लगाई थी लेकिन इसमें भैस, बैल इत्यादि के हत्या की इजाजत दी गई थी. जबकि इस नए कानून में इनमें से सभी की हत्या पर रोक लगाई गई है.
साल 1964 और 2010 के कानूनों की तरह ही राज्य विधानसभा में पारित नए कानून में मवेशियों के वध को एक संज्ञेय अपराध माना गया है, जहां अदालत के वारंट के बिना गिरफ्तारी की जा सकती है. हालांकि सजा को बढ़ाकर तीन से सात साल की जेल या 50,000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों कर दिया गया है.
साल 2010 के कानून, जो कि लागू नहीं हो पाया था, में एक से सात साल की सजा या 25,000 रुपये से एक लाख रुपये तक का जुर्माने का प्रावधान किया गया था. वहीं 1964 के कानून में छह महीने की जेल और 1,000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है.
नए कानून में मवेशियों को ले जाने, मांस बेचने एवं खरीदने या मांग के लिए मवेशियों की सप्लाई करने पर तीन से पांच साल तक की सजा और 50,000 से पांच लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)