बीते सात दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को सिर्फ़ सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत नए संसद भवन के आधारशिला कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति इस शर्त पर दी थी कि परियोजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा होने तक निर्माण कार्य या इमारतों को गिराने जैसा कोई काम नहीं किया जाएगा.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को भूमि पूजन कर नए संसद भवन की आधारशिला रखी. चार मंजिला नए संसद भवन का निर्माण कार्य भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ तक पूरा कर लिए जाने की संभावना है. सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत नए संसद भवन का निर्माण किया जाएगा.
वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भूमि पूजन कार्यक्रम आरंभ हुआ और इसके संपन्न होने के बाद शुभ मुहुर्त में प्रधानमंत्री ने परम्परागत विधि विधान के साथ आधारशिला रखी.
नए संसद भवन का निर्माण 971 करोड रुपये की अनुमानित लागत से 64,500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में किए जाने का प्रस्ताव है.
#WATCH Prime Minister Narendra Modi lays foundation stone of New Parliament Building in Delhi pic.twitter.com/gF3w7ivTDe
— ANI (@ANI) December 10, 2020
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई केंद्रीय मंत्री, बड़ी संख्या में सांसद और कई देशों के राजदूत इस ऐतिहासिक अवसर के गवाह बने.
ज्ञात हो कि नए संसद भवन के निर्माण का प्रस्ताव उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू एवं लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने क्रमशः राज्यसभा और लोकसभा में 5 अगस्त 2019 को किया था.
नए संसद भवन का डिजाइन अहमदाबाद के मैसर्स एचसीपी डिजाइन और मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा तैयार किया गया है और इसका निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा किया जाएगा.
नए भवन को सभी आधुनिक दृश्य-श्रव्य संचार सुविधाओं और डाटा नेटवर्क प्रणालियों से सुसज्जित किया जाएगा. यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि निर्माण कार्य के दौरान संसद के सत्रों के आयोजन में कम से कम व्यवधान हो और पर्यावरण संबंधी सभी सुरक्षा उपायों का पालन किया जाए.
लोकसभा सचिवालय के मुताबिक, नए संसद भवन के लोकसभा कक्ष में 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी, जिसमें संयुक्त सत्र के दौरान 1224 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था भी होगी. इसी प्रकार राज्यसभा कक्ष में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी.
नए संसद भवन में भारत की गौरवशाली विरासत को भी दर्शाया जाएगा. देश के कोने-कोने से आए दस्तकार और शिल्पकार अपनी कला और योगदान के माध्यम से इस भवन में सांस्कृतिक विविधता का समावेश करेंगे.
संसद भवन से सटी त्रिकोणीय आकार की यह नई इमारत सुरक्षा सुविधाओं से लैस होगी. नई लोकसभा मौजूदा आकार से तीन गुना बड़ी होगी और राज्यसभा के आकार में भी वृद्धि की गई है.
नई इमारत में ज्यादा सांसदों के लिए जगह होगी, क्योंकि परिसीमन के बाद लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की संख्या बढ़ सकती है. करीब 1400 सांसदों के बैठने की जगह होगी. इसमें लोकसभा के लिए 888 (वर्तमान में 543) और राज्यसभा के लिए 384 ( वर्तमान में 245) सीट होगी.
नया संसद भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा: मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन के शिलान्यास को ऐतिहासिक और भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में मील का पत्थर बताते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि नया भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा और 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाएं पूरी करेगा.
नए संसद भवन का भूमि पूजन कर शिलान्यास करने के बाद प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, ‘पुराने संसद भवन ने स्वतंत्रता के बाद के भारत को दिशा दी तो नया भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा. पुराने संसद भवन में देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काम हुआ तो नए भवन में 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाएं पूरी की जाएंगी.’
उन्होंने कहा कि आज जैसे इंडिया गेट से आगे नेशनल वॉर मेमोरियल ने नई पहचान बनाई है, वैसे ही संसद का नया भवन अपनी पहचान स्थापित करेगा.
उन्होंने कहा, ‘आने वाली पीढ़ियां नए संसद भवन को देखकर गर्व करेंगी कि यह स्वतंत्र भारत में बना है और आजादी के 75 वर्ष का स्मरण करके इसका निर्माण हुआ है.’
नए संसद भवन के शिलान्यास को ऐतिहासिक बताते हुए उन्होंने कहा कि आज का दिन भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में मील के पत्थर की तरह है.
उन्होंने कहा, ‘भारतीयों द्वारा, भारतीयता के विचार से ओतप्रोत भारत के संसद भवन के निर्माण का प्रारंभ हमारी लोकतांत्रिक परंपराओं के सबसे अहम पड़ाव में से एक है. हम भारत के लोग मिलकर अपनी संसद के इस नए भवन को बनाएंगे. और इससे सुंदर क्या होगा, इससे पवित्र क्या होगा जब भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर पर्व मनाएगा, उस पर्व के साथ-साथ प्रेरणा हमारे संसद की नई इमारत बने.’
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर उस दिन को भी याद किया जब 2014 में पहली बार एक सांसद के तौर पर वह संसद भवन पहुंचे थे और उस वक्त उन्होंने लोकतंत्र के इस मंदिर में कदम रखने से पहले माथा टेक कर नमन किया था.
उन्होंने कहा, ‘हमारे वर्तमान संसद भवन ने आजादी के आंदोलन और फिर स्वतंत्र भारत को गढ़ने में अपनी अहम भूमिका निभाई है. आजाद भारत की पहली संसद भी यहीं बैठी. इसी संसद भवन में हमारे संविधान की रचना हुई है.
बाबा साहेब आंबेडकर और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने सेंट्रल हॉल में गहन मंथन के बाद हमें अपना संविधान दिया. संसद की मौजूदा इमारत स्वतंत्र भारत के हर उतार-चढ़ाव, हमारी हर चुनौतियों और समाधान, हमारी आशा और आकांक्षाओं और हमारी सफलता का प्रतीक रही है.’
सभी प्रांतों की उत्कृष्ट कला, संस्कृति और विविधताओं से परिपूर्ण होगा: बिड़ला
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने संसद के नए भवन के शिलान्यास के अवसर पर बृहस्पतिवार को कहा कि यह भवन सभी प्रांतों की उत्कृष्ट कला, संस्कृति और विविधताओं से परिपूर्ण होगा तथा देश की जनता के लिए प्रेरणा का केंद्र भी होगा.
उन्होंने कहा, ‘आज देश के लिए गौरव का दिन है. भारत के लोकतंत्र की मजबूती के स्तंभ संसद के नए भवन के शिलान्यास के मौके पर समस्त देशवासियों का स्वागत करता हूं.’
वर्तमान संसद भवन का उल्लेख करते हुए बिड़ला ने कहा हमारे वर्तमान संसद भवन का निर्माण 1927 में हुआ था. हमारी संसद लोगों के विश्वास और आकांक्षाओं का प्रतीक है. संसद भवन देश की आजादी, संविधान सभा और अनेक कानूनों के बनने की साक्षी रही है.’
उनके अनुसार, संसद के दोनों सदनों के सदस्यों की इच्छा थी कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए नए भवन की जरूरत है और प्रधानमंत्री ने उनकी इच्छा का सम्मान किया.
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘नया संसद भवन सभी प्रांतों की उत्कृष्ट कला, संस्कृति और विविधताओं से परिपूर्ण होगा और सभी देशवासियों के लिए प्रेरणा का केंद्र भी होगा.’
इस अवसर पर आवास एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप पुरी ने कहा, ‘यह सिर्फ भारत के लोकतंत्र के लिए नहीं, विश्व में लोकतंत्र की परंपरा के लिए बड़ा दिवस माना जाएगा.’
पुरी ने इस बात पर जोर दिया, ‘हम 2022 में इस भवन का निर्माण पूरा करेंगे और उस साल का शीतकालीन सत्र इस नए संसद भवन में होगा.’
परियोजना को रोकने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में मामला
बता दें कि केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय की विशेष मूल्यांकन समिति (ईएसी) ने 22 अप्रैल को मौजूदा संसद भवन के विस्तार और नवीकरण को पर्यावरण मंजूरी देने की सिफारिश की थी.
हालांकि इस योजना का विभिन्न स्तरों पर विरोध हो रहा है. देश के 60 पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर केंद्र की सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना पर चिंता व्यक्त की थी.
उन्होंने कहा था कि ऐसे वक्त में जब जन स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए भारी भरकम धनराशि की जरूरत है तब यह कदम ‘गैर-जिम्मेदारी’ भरा है.
पूर्व नौकरशाहों ने कहा था कि संसद में इस पर कोई बहस अथवा चर्चा नहीं हुई, लेकिन सरकार की दलील है कि वे सभी तय प्रक्रियाओं का पालन कर रहे हैं और इस योजना को बनाते वक्त कई लोगों से राय-सलाह की गई है.
इससे पहले एक याचिका में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के लिए निर्धारित लैंड यूज को चुनौती दी गई थी, इसमें आरोप लगाया था कि इस काम के लिए लुटियंस जोन की 86 एकड़ भूमि इस्तेमाल होने वाली है और इसके चलते लोगों के खुले में घूमने का क्षेत्र और हरियाली खत्म हो जाएगी.
याचिका में ये दलील दी गई थी कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा 19 दिसंबर 2019 को जारी किए गए पब्लिक नोटिस को अमान्य करार देने के लिए सरकार द्वारा 20 मार्च 2020 को जारी किया गया नोटिफिकेशन कानून और न्यायिक प्रोटोकॉल के नियम का दमन है, क्योंकि 2019 वाले नोटिस को चुनौती दी गई है और खुद सुप्रीम कोर्ट इसकी सुनवाई कर रहा है.
हालांकि मई महीने में शीर्ष अदालत ने इस प्रोजेक्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
बीते सात दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 10 दिसंबर को ‘सेंट्रल विस्टा परियोजना’ के आधारशिला कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति इस शर्त पर दी थी कि इस परियोजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा होने तक निर्माण कार्य या इमारतों को गिराने जैसा कोई काम नहीं किया जाएगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)