सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट ने 13 शीर्ष ब्रांड के साथ-साथ कई छोटे ब्रांड के प्रसंस्कृत और कच्चे शहद में शुद्धता की जांच की थी. इसके अध्ययन में कहा गया था कि डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडू, हितकारी और एपिस हिमालय जैसे प्रमुख ब्रांड के शहद के नमूने परीक्षण में विफल रहे.
नई दिल्ली: केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) से कुछ ब्रांडेड शहद में मिलावट को लेकर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. साथ ही वर्गीकृत कार्रवाई करने के लिए जांच में सहयोग की भी पेशकश की है.
पिछले हफ्ते पर्यावरण संबंधी गतिविधियों पर निगरानी रखने वाली एक संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने दावा किया था कि भारत में बेचे जा रहे कई ब्रांडेड शहद में चीनी की मिलावट पाई गई है. हालांकि कंपनियों ने इन दावों को खारिज कर दिया.
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी कर शहद में मिलावट की खबरों पर चिंता व्यक्त की है.
मंत्रालय ने कहा कि विभाग को खबर मिली है कि बाजार में बेचे जा रहे अधिकतर ब्रांडेड शहद में चीनी की मिलावट है. यह गंभीर मसला है और कोविड-19 महामारी के दौर में लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर सकता है. यह कोविड-19 को लेकर जोखिम को बढ़ाने वाला है.
मंत्रालय ने सीसीपीए को मामले में दखल देने का निर्देश दिया है. सीसीपीए ने मामले में एफएसएसएआई को उचित कार्रवाई करने के लिए कहा है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सीसीपीए ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 19(2) के अनुसार प्रारंभिक परीक्षण के बाद मामले को उचित कार्रवाई करने के लिए एफएसएसएआई, खाद्य नियामक को भेज दिया है.
बयान में कहा गया कि अधिनियम की धारा 10 में परिकल्पित नियमों के अनुरूप कार्रवाई करने के लिए मामले की जांच में सहयोग बढ़ाने की पेशकश की गई है.
सीएसई अध्ययन जारी होने के एक दिन बाद, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने परीक्षणों का विवरण मांगा था और यह भी सवाल उठाया कि इसके निर्धारित परीक्षण क्यों नहीं किए गए थे.
बता दें कि सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने 13 शीर्ष ब्रांड के साथ-साथ कई छोटे ब्रांड के प्रसंस्कृत और कच्चे शहद में शुद्धता की जांच की थी.
जांच में पाया गया कि 77 प्रतिशत नमूनों में चीनी शरबत की मिलावट थी. जांच किए गए 22 नमूनों में से केवल पांच सभी परीक्षण में सफल हुए थे.
अध्ययन में कहा गया था कि डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडू, हितकारी और एपिस हिमालय जैसे प्रमुख ब्रांड के शहद के नमूने एनएमआर (न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस) परीक्षण में विफल रहे.
इस रिपोर्ट के आने के बाद इमामी (झंडू), डाबर, पतंजलि आयुर्वेद और एपिस हिमालय ने सीएसई द्वारा किए गए दावों का खंडन किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)