मानवाधिकार आयोग का कहना है कि मीडिया में आई कई ख़बरों के मुताबिक़ महामारी के दौरान मानव तस्करी की घटनाओं में वृद्धि हुई है. आयोग ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से आग्रह किया है कि कोविड-19 महामारी के संदर्भ में मानव तस्करी रोकने के लिए एंटी ट्रैफिकिंग यूनिट को सक्रिय करें.
नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी के दौरान मानव तस्करी के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने विभिन्न राज्यों और मंत्रालयों को परामर्श जारी किए हैं. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
आयोग की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि मीडिया में आई कई खबरों के मुताबिक महामारी के दौरान मानव तस्करी की घटनाओं में वृद्धि हुई है.
आयोग ने कहा कि देशभर में अभूतपूर्व स्थिति के मद्देनजर और कोविड-19 से प्रभावित, समाज में हाशिये पर मौजूद लोगों के अधिकारों की गंभीरता से चिंता करते हुए आयोग ने मानवाधिकार पर महामारी के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया है.
NHRC issue Advisory on Combating Human Trafficking in context of the Covid-19 pandemic. For details, please see press release at https://t.co/Lof9mW8ZSR or the link:https://t.co/kNDLkbfbo4@PTI_News @ANI #HumanTrafficking pic.twitter.com/OZpGtoXToL
— NHRC India (@India_NHRC) December 11, 2020
आयोग ने समिति में नागरिक समाज संगठनों, स्वतंत्र डोमेन विशेषज्ञों और संबंधित मंत्रालयों/विभागों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है. समिति को लोगों के अधिकारों, विशेष रूप से सीमांत/कमजोर वर्गों पर महामारी के प्रभाव का आकलन करने का काम सौंपा गया, जिन पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक आयोग ने बयान में कहा, ‘मानव तस्करी को रोकने के लिए यह परामर्श केंद्रीय मंत्रालयों और सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के कार्यान्वयन और कार्रवाई रिपोर्ट भेजने के लिए भेजी गई है. यह कोविड-19 महामारी के संदर्भ में आयोग द्वारा जारी किए परामर्शों की श्रृंखला में 12वीं परामर्श है.’
आयोग ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकार से आग्रह किया है कि कोविड-19 महामारी के संदर्भ में मानव तस्करी को रोकने के लिए मानव तस्करी रोधी यूनिटों (एंटी-ह्यूमन ट्रैकिंग यूनिट्स) को सक्रिय करें.
रिपोर्ट के मुताबिक, महिला और बाल विकास मंत्रालय को महामारी के दौरान 27 लाख शिकायतें फोन कॉल के द्वारा प्राप्त हुए, जिनमें से 1.92 लाख मामलों में कार्रवाई की गई.
इन कार्रवाइयों में करीब 32,700 मानव तस्करी के थे. इसके अलावा बाल विवाह, यौन शोषण, भावनात्मक शोषण, जबरन भीख मंगवाना और साइबर अपराधों के मामले थे.
एनएचआरसी ने अपने पहले के परामर्श में राज्यों को गांवों से बाहर जाने वाले प्रवासियों का विवरण दर्ज करने और तस्करी के मामलों को रोकने का निर्देश दिया था.
सलाहकारों ने यह भी कहा किया था कि ग्रामीण स्तर पर उन बच्चों की पहचान करने की व्यवस्था की जाए जो बीच में स्कूल छोड़ चुके हैं या स्कूल नहीं जा पा रहे हैं.
एनएचआरसी ने सरकार से कहा कि वह मनरेगा, प्रधानमंत्री कौशल कल्याण योजना (पीएम-जीकेवाई) और दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (डीडीयू-जीकेवाई) जैसी योजनाओं के माध्यम से आजीविका के अवसर प्रदान करने के लिए पर्याप्त कदम उठाए.
बता दें कि बीते मई महीने में कोरोना महामारी के मद्देनजर लगे लॉकडाउन के दौरान बाल तस्करी बढ़ने से रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया था.
गैर सरकारी संगठन ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि कोरोना महामारी संकट के बीच बाल तस्करी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि वह न केवल इसे रोकने के लिए एक नीति तैयार करे, बल्कि प्रभावित बच्चों के बचाव और पुनर्वास को सुनिश्चित करे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)