महाराष्ट्र सरकार ने बीते एक अक्टूबर को मेट्रो परियोजना के लिए कांजूर मार्ग साल्ट पैन में 102 एकड़ की भूमि आवंटित करने का आदेश दिया था. केंद्र सरकार ने दावा किया है कि यह ज़मीन उसके अधीन आती है. पहले यह कार शेड आरे कॉलोनी में बनाए जाने का प्रस्ताव था, जिसका लोगों ने विरोध किया था.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र सरकार को झटका देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को एक अंतरिम आदेश जारी कर मेट्रो कार शेड के लिए कांजूर मार्ग साल्ट पैन में 102 एकड़ भूमि आवंटित करने के आदेश पर रोक लगा दी है.
महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले पर केंद्र सरकार ने आपत्ति जताई थी. बहरहाल महाराष्ट़ की उद्धव ठाकरे सरकार ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने के संकेत दिए हैं.
राज्य सरकार ने बीते एक अक्टूबर को मुंबई उपनगर जिला कलेक्टर के जरिये मेट्रो के लिए 102 एकड़ की भूमि आवंटित करने का आदेश दिया था.
इसे छह अक्टूबर को मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) को सौंप दिया गया था. इसके बाद एमएमआरडीए ने आठ अक्टूबर को दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएमआरसीएल) को भूमि हस्तांतरित कर दी थी.
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्त और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की खंडपीठ ने अधिकारियों के वहां निर्माण कार्य करने पर भी रोक लगा दी है.
भाजपा नीत पूर्व महाराष्ट्र सरकार ने कई पर्यावरणविद और कार्यकर्ताओं के विरोध के बावजूद मुंबई मेट्रो लाइन-3 के कार शेड को आरे कॉलोनी में बनाने का फैसला किया था. कार शेड के निर्माण के लिए वहां बहुत सारे पेड़ों को काटा जाना था, जिसका विरोध किया जा रहा था.
इसके चलते मौजूदा महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार ने हाल में इसे आरे से कांजूर मार्ग स्थानांतरित करने का फैसला किया था. शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस एमवीए में शामिल हैं.
Hon’ble HC has granted a stay to Kanjurmarg work. We await the detailed written order to decide the future course of action.
This land is crucial for Metro Line 6, 4 and 14, apart from 3, as it will save almost ₹5500 crores of Govt and be a nodal point for 1 crore citizens.— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) December 16, 2020
केंद्र सरकार का दावा है कि महाराष्ट्र कांजूर मार्ग की भूमि केंद्र के सॉल्ट विभाग के अधीन आती है और महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए उसने एक अक्टूबर 2020 को उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी.
इस मामले की अगली सुनवाई अब फरवरी 2021 में होगी.
महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार ने मुंबई उपनगर जिला कलेक्टर के मेट्रो कार शेड के लिए कांजूर मार्ग साल्ट पैन में 102 एकड़ भूमि आवंटित करने के आदेश पर बॉम्बे उच्च न्यायालय के रोक लगाने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख करने के बुधवार को संकेत दिए हैं.
पवार ने भाजपा का नाम लिए बिना पत्रकारों से कहा कि महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के गोरेगांव उपनगर के आरे में बनने वाले मेट्रो कार शेड को कांजूर मार्ग स्थानांतरित करने का फैसला लगता है कि कई लोगों को पसंद नहीं आया और इसलिए ही केंद्र ने इतना ‘बड़ा कदम’ उठाया है.
उप मुख्यमंत्री ने कहा, ‘संविधान और कानून में अदालत के आदेश के खिलाफ अपील करने का प्रावधान है. इसलिए हम इस पर विचार करेंगे.’ पवार ने कहा, ‘चाहे केंद्र हो या राज्य सरकार’ किसी को भी विकास कार्य में बाधा नहीं डालनी चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘मैंने (राकांपा प्रमुख शरद) पवार साहेब का 50 से 55 साल का राजनीतिक करिअर देखा है. मैं खुद भी पिछले 30 साल से राजनीति में हूं. मैंने कभी विकास कार्यों को लेकर राजनीति नहीं की, बल्कि हमने उनमें मदद ही की है.’
महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने कहा कि वह अदालत के आदेश की विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं और उसके मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई पर विचार करेंगे.
उन्होंने कहा कि यह भूमि मेट्रो परियोजना के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे सरकार के लगभग 5,500 करोड़ रुपये बचेंगे.
इसे लेकर भाजपा ने कहा कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार को करारा झटका लगा है.
भाजपा नेता अतुल भातखलकर ने संवाददाताओं से कहा कि भाजपा को ‘नीचा दिखाने’ के इरादे से शिवसेना नेतृत्व वाली सरकार ने मेट्रो कार शेड परियोजना आरे कॉलोनी से कांजूर मार्ग स्थानांतरित करने का फैसला किया था.
भाजपा नेता और पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने परियोजना को कांजूर मार्ग ले जाने पर जोर देने के लिए मुख्यमंत्री के बेटे और राज्य के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे का इस्तीफा मांगा.
मेट्रो कार शेड के निर्माण के लिए राज्य द्वारा चिह्नित जमीन के मालिकाना हक को लेकर केंद्र और शिवसेना नेतृत्व वाली एमवीए गठबंधन सरकार के बीच तकरार चल रही है.
अतुल भातखलकर ने कहा कि भाजपा सरकार ने काफी सोच विचार करने के बाद आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड के निर्माण का फैसला किया था.
बहरहाल, शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में कहा गया कि कुछ भी हो ‘बुलेट ट्रेन को पीछे छोड़कर कांजूर मार्ग का मेट्रो शेड’ आगे बढ़ेगा. मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है.
भाजपा का नाम लिए बिना शिवसेना ने कहा है कि विपक्षी दल ने मुंबई के विकास में अड़चन डालने का एक भी मौका नहीं छोड़ा है.
संपादकीय में कहा गया, ‘अगर कांजूर मार्ग में कार शेड परियोजना बन जाएगी तो केंद्र सरकार पर आसमान नहीं गिर जाएगा.’
इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार ने आरे जंगल से परियोजना को स्थानांतरित कर शहर की ‘रक्षा’ की और इसके लिए उसकी तारीफ होनी चाहिए.
वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना के नेतृत्व वाली राज्य सरकार से कहा है कि वह अपने ‘अहं’ को छोड़ दे और आरे कॉलोनी की जमीन पर निर्माण फिर से शुरू करे.
विधानसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि उद्धव ठाकरे सरकार ने सिर्फ अपने अहं को संतुष्ट करने के लिए कार शेड को आरे कॉलोनी से कांजूर मार्ग में स्थानांतरित कर दिया था.
उन्होंने कहा, ‘उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार ने कार शेड को स्थानांतरित करने को अपने अहं का मुद्दा बना लिया था. यह (कांजूर मार्ग में कार शेड का निर्माण) आर्थिक रूप से अव्यवहार्य है.’
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘यहां तक कि मनोज सौनिक समिति ने भी कहा था कि अगर मेट्रो कार शेड को कांजूर मार्ग में स्थानांतरित किया जाता है तो इससे राज्य को 5,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ सकता है.’
साल 2019 के सितंबर महीने में बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ट्री अथॉरिटी ने मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल) को मेट्रो-3 कॉरिडोर के लिए प्रस्तावित कार शेड के निर्माण के लिए आरे कॉलोनी में 2,646 पेड़ों की कटाई और प्रत्यारोपण के लिए मंजूरी दे दी थी, जिसका पर्यावरणविद् और स्थानीय लोग ने विरोध किया था.