कर्नाटक में कक्षा छह की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक के कुछ अंशों पर लोगों ने आपत्ति जताई थी. प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री एस. सुरेश कुमार ने कमिश्नर फॉर पब्लिक इंस्ट्रक्शन को पत्र लिखकर इन विवादित अंशों को हटाने का निर्देश दिया है.
बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने कक्षा छह की सामाजिक विज्ञान पाठ्यपुस्तक से कुछ सामग्री हटाने का निर्देश दिया है. पाठ्यपुस्तक के कुछ अंशों को लेकर ब्राह्मण समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत करने का विरोध जताने के कुछ दिनों बाद राज्य सरकार ने गुरुवार को यह कदम उठाया है.
ब्राह्मण विकास बोर्ड ने शिकायत दर्ज कराई थी कि पुस्तकों में लिखी उक्त सामग्री में ब्राह्मणों के लिए अपमानजनक बातें कही गई हैं.
निर्देश में 15 दिन के भीतर रिपोर्ट सौंपने और आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री एस. सुरेश कुमार ने कमिश्नर फॉर पब्लिक इंस्ट्रक्शन (सीपीआई) को पत्र लिखकर कक्षा छह की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक से इन विवादित अंशों को हटाने के निर्देश दिए हैं.
आदेश में कहा गया, ‘सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में ‘नए धर्मों के उद्भव’ शीर्षक के तहत पेज नंबर 82 और 83 के पैराग्राफ अप्रासंगिक हैं और इतनी कम उम्र के बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं हैं. सीपीआई को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए कि इन्हें तत्काल प्रभाव से पाठ्यक्रम से हटाया जाए.’
कर्नाटक ब्राह्मण विकास बोर्ड के प्रतिनिधिमंडल ने बीते 15 दिसंबर को इस मुद्दे को प्रशासन के समक्ष उठाया था. इन्होंने पाठ्यपुस्तक में इन अंशों पर आपत्ति जताते हुए इन्हें हटाने को कहा था.
I have directed officials for removal of a chapter from Science textbook of state govt schools of Class 6 as it hurts the sentiments of Brahmin community: Karnataka Education Minister S Suresh Kumar (file photo) pic.twitter.com/xQpuwt4nd4
— ANI (@ANI) December 17, 2020
इन विवादित अंशों में कथित तौर पर कहा गया था कि ब्राह्मणों द्वारा किए गए हवन के दौरान कृषि संबंधी पशुओं की बलि देने और दूध एवं घी चढ़ाए जाने से वैदिक काल में भोजन की कमी हो गई थी.
यह कदम उठाए जाने से पहले ब्राह्मण विकास बोर्ड ने इस संबंध में मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा से शिकायत की थी और कहा था कि पुस्तक में लिखी सामग्री ब्राह्मण समुदाय के लिए अपमानजनक है.
एक फेसबुक पोस्ट में सुरेश कुमार ने लिखा कि मंत्रालय मठ के महंत ने उन्हें फोन कर ब्राह्मण समुदाय की भावनाओं से अवगत कराया था.
कुमार ने स्पष्ट किया कि वर्तमान सरकार के सत्ता में आने के बाद पाठ्यपुस्तक में संशोधन नहीं किया गया था और न ही कुछ नया जोड़ा गया था.
उन्होंने कहा, ‘मैंने महंत को आश्वासन दिया है कि पहले जो गलती हो गई वह अब सामने आई है और उसे तत्काल सुधारा जाएगा.’
प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री कुमार ने अपने विभाग के उच्च अधिकारियों को लिखे एक नोट में यह भी निर्देश दिया है कि शिक्षकों और विशेषज्ञों की एक समिति बनाई जाए, ताकि कक्षा एक से दस तक की पाठ्यपुस्तकों में इस प्रकार की सामग्री की जांच की जा सके.
उन्होंने कहा, ‘इस समिति में शिक्षक और विषय विशेषज्ञ शामिल होंगे, जो कक्षा एक से 10वीं तक की सामाजिक विज्ञान और भाषाओं से संबंधित सभी पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा करेंगे और इस संबंध में रिपोर्ट बनाकर पंद्रह दिनों के भीतर जमा करेंगे.’
पुस्तक में लिखे ऐसे ही अन्य हिस्सों को उद्धृत करते हुए सुरेश कुमार ने अपने नोट में कहा कि ज्यादातर लोगों का मानना है कि इस प्रकार की सामग्री अनावश्यक रूप से लिखी गई है और यह उस वर्ग के बच्चों के लिए नहीं है, जिनके लिए यह लिखी गई है.
उन्होंने कहा कि इस प्रकार की भड़काऊ सामग्री से समाज में भ्रम पैदा होगा और एक वर्ग के लोगों की भावनाएं भी आहत होंगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)