पाकिस्तान की लाल शाहबाज़ क़लंदर दरगाह में फिदायीन हमला

गुरुवार देर शाम दक्षिणी सिंध की मशहूर दरगाह शाहबाज़ कलंदर की दरगाह पर हुए एक हमले में 76 लोगों की मौत हो गई.

लाल शाहबाज कलंदर दरगह (पीटीआई)

गुरुवार देर शाम दक्षिणी सिंध प्रांत की मशहूर दरगाह शाहबाज़ क़लंदर की दरगाह पर हुए एक आत्मघाती हमले में  76 लोगों की मौत हो गई.

लाल शाहबाज कलंदर दरगह (पीटीआई)
लाल शाहबाज कलंदर दरगाह (पीटीआई)

पाकिस्तान के दक्षिणी सिंध इलाके के सहवान स्थित लाल शाहबाज क़लंदर की दरगाह में एक आत्मघाती हमलावर द्वारा किए विस्फोट में  करीब 70 लोगों की मौत हो गई और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए.

दरगाह में हुए इस हमले की ज़िम्मेदारी आईएसआईएस ने ली है. हमले में 12 महिलाएं और 4 बच्चों की भी मौत हुई है. यह हमला गुरुवार के दिन हुआ, जिस दिन को ज़ायरीन पाक़ मानते हैं और इसलिए इस दिन बाकी दिनों की तुलना में भीड़ भी ज़्यादा होती है. हमलावर ‘सुनहरे गेट’ से दरगाह में दाखिल हुआ और ग्रेनेड फेंका. जब ग्रेनेड नहीं फटा तब उसने ख़ुद को बम से उड़ा लिया.  मीडिया में आई कुछ ख़बरों के अनुसार हमलावर कोई महिला भी हो सकती है क्योंकि जिस जगह हमला हुआ वहां ज़्यादातर महिला ज़ायरीन ही जमा थीं.

जब ये विस्फोट हुआ तब दरगाह में सालाना जलसा जिसे धमाल कहते हैं, वो चल रहा था. यह इलाका शहर से दूर होने की वजह से घायलों को अस्पताल पहुंचाने में ख़ासी मुश्किल सामने आई. इस स्थिति में नज़दीकी इलाकों हैदराबाद, जमशोरो, मोरो, दादू और नवाबशाह से एंबुलेंसऔर चिकित्सा दलों को मौके पर भेजा जा रहा है. हैदराबाद के आयुक्त काजी शाहिद ने बताया कि अस्पतालों में इमरजेंसी घोषित कर दी गई है और बचाव अभियान जारी है.

सिंध प्रांत के गवर्नर सैयद मुराद अली शाह ने पाकिस्तानी सेना से आग्रह किया है कि वह हेलीकॉप्टर मुहैया कराए ताकि घायलों को जल्द से जल्द इलाज के लिए आस-पास के शहरों तक ले जाया जा सके.

हमले के चलते सभी दरगाहों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. पुलिस के अनुसार इस  हमले की ज़िम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ट्विटर पर ली है. गौरतलब है कि चार महीने पहले नवंबर 2016 में बलूचिस्तान की एक दरगाह पर भी हमला हुआ था, जिसमें 52 लोग मारे गए थे और सौ के करीब घायल हुए थे.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने हमले की निंदा की है और कहा है कि ऐसा करने वाले इस्लामिक चरमपंथियों को बख्शा नहीं जाएगा.

गौरतलब है कि पाकिस्तान में सूफी दरगाहों पर हमले होते रहे हैं.  साल 2005 के बाद से 25 से ज्यादा सूफी दरगाहों पर हमले हुए हैं, जिनमें से ज़्यादातर की ज़िम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान ने ली थी.

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