लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ जर्नल में स्टेट लेवल डिसीज़ बर्डेन इनिशिएटिव के ‘वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर असर’ शीर्षक से प्रकाशित हुए पेपर के अनुसार देश में घरों के भीतर वायु प्रदूषण कम होने की वजह से बीमारियों का ग्राफ गिरा है, वहीं बाहरी वायु प्रदूषण के चलते बीमारियां बढ़ी हैं.
नई दिल्लीः एक नए अध्ययन से पता चला है कि वायु प्रदूषण की वजह से हुई असमय मौतों और बीमारियों के कारण 2019 में भारत में 2.6 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.4 फीसदी है.
अध्ययन में यह भी कहा गया है कि पिछले साल देश में 17 लाख मौतों (कुल मौतों का 18 फीसदी) की वजह वायु प्रदूषण थी.
वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य एवं आर्थिक प्रभाव पर ‘लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ’ में मंगलवार को प्रकाशित एक वैज्ञानिक पत्र के मुताबिक, भारत में घरेलू वायु प्रदूषण में कमी आई है जिससे 1990 से 2019 के बीच इसके कारण होने वाली मृत्यु दर में 64 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
इस दौरान बाहरी वायु प्रदूषण की वजह से होने वाली मृत्यु दर में 115 फीसदी का इजाफा हुआ.
वैज्ञानिक पत्र के मुताबिक, वायु प्रदूषण के कारण हुआ आर्थिक नुकसान उत्तरी और मध्य भारत के राज्यों की जीडीपी से कहीं ज्यादा है.
और उत्तर प्रदेश में यह सबसे ज्यादा (जीडीपी का 2.2 फीसदी ) और उसके बाद बिहार में (जीडीपी का दो फीसदी ) है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, विश्लेषण से पता चला है कि वायु प्रदूषण से हर राज्य में होने वाली कुल मौतें में से सबसे अधिक राजस्थानमें 21.2 फीसदी,पश्चिम बंगाल में 20.8 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 19.5 फीसदी, हरियाणा में 19 फीसदी, बिहार में 18.8 फीसदी, गुजरात में 18.9 फीसदी, उत्तराखंड में 18.6 फीसदी और दिल्ली में 18.2 फीसदी हैं.
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रोफेसर ललित डंडोना का कहना है कि अगर प्रदूषण पर लगाम लगाई जाए तो इससे होने वाली 18 फीसदी मौतों से बचा जा सकता है.
नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर विनोद पॉल का कहना है कि यह वैज्ञानिक पत्र भारत में वायु प्रदूषण पर नवीनतम साक्ष्य पेश करता है, जो स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान के आर्थिक प्रभाव को व्यक्त करता है.
उन्होंने कहा, ‘वायु प्रदूषण कम करने के लिए भारत ने कई अहम पहल की हैं. यह पत्र प्रवृत्तियों और प्रत्येक राज्य की मौजूदा स्थिति का मजबूत आकलन पेश करता है और इस बात पर प्रकाश डालता है कि प्रत्येक राज्य की विशिष्ट स्थिति के आधार पर मौजूदा वायु प्रदूषण नियंत्रण प्रयासों को बढ़ाना उपयोगी होगा.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)