मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई विशेष बैठक में इसे हरी झंडी दी गई. विधेयक में सामूहिक धर्म परिवर्तन कराए जाने पर कम से कम पांच साल और अधिकतम दस साल के कारावास और एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है. इस अधिनियम के तहत दर्ज मामले ग़ैर-ज़मानती होंगे.
भोपालः मध्य प्रदेश में तथाकथित लव जिहाद रोकने के लिए शनिवार को कैबिनेट ने धर्म स्वतंत्रता विधेयक 2020 को मंजूरी दे दी.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई विशेष बैठक में इसे हरी झंडी दी गई. विधेयक को 28 दिसंबर से शुरू हो रहे राज्य विधानसभा के सत्र में पारित कराया जाएगा.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रस्तावित कानून के तहत किसी भी तरह के जबरन धर्म परिवर्तन पर एक से पांच साल तक की कैद और न्यूनतम 25,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.
Under the new MP Freedom of Religion Bill 2020, forced conversion of a minor, woman or a person from Scheduled Caste or Scheduled Tribe, would draw a minimum jail term of 2-10 years with a minimum penalty of Rs 50,000: Madhya Pradesh Home Minister Narottam Mishra https://t.co/yYErFH85fH pic.twitter.com/rJM0lfZU3p
— ANI (@ANI) December 26, 2020
राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘नए विधेयक के तहत जबरदस्ती किसी का धर्म परिवर्तन कराने पर एक से पांच साल की कैद और न्यूनतम 25,000 रुपये का जुर्माना लगेगा.’
नए मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता विधेयक 2020 के तहत किसी नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति एवं जनजाति के शख्स का जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर न्यूनतम दो से दस साल की सजा और न्यूनतम 50,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है. इस अधिनियम के तहत दर्ज मामले गैर-जमानती होंगे.
विधेयक में सामूहिक धर्म परिवर्तन कराए जाने पर कम से कम पांच साल और अधिकतम दस साल के कारावास और एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश का यह कानून देश का सबसे सख्त कानून है.
गृहमंत्री ने कहा कि अब इस विधेयक को विधानसभा में पेश किया जाएगा. 28 दिसंबर से मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र प्रस्तावित है.
नए कानून के तहत राज्य फैमिली कोर्ट को यह अधिकार है कि वह शादी के लिए कराए गए धर्म परिवर्तन को अमान्य घोषित कर सकता है. इस तरह के मामलों में गुजारा भत्ता सीआरपीसी की धारा 125 के तहत दिया जाएगा.
बता दें कि इससे पहले भाजपा शासित उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने यह कानून लागू किया है.
बीते 24 नवंबर को उत्तर प्रदेश सरकार तथाकथित ‘लव जिहाद’ को रोकने के लिए शादी के लिए धर्म परिवर्तन पर लगाम लगाने के लिए ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपविर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020’ ले आई थी.
इसमें विवाह के लिए छल-कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर विभिन्न श्रेणियों के तहत अधिकतम 10 वर्ष कारावास और 50 हजार तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है. उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य है, जहां लव जिहाद को लेकर इस तरह का कानून लाया गया है.
प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 28 नवंबर को इस अध्यादेश को मंजूरी दी थी.
वहीं, बीते हफ्ते ही भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश में जबरन या बहला-फुसलाकर धर्मांतरण या शादी के लिए धर्मांतरण के खिलाफ कानून को लागू किया था. इसका उल्लंघन करने के लिए सात साल तक की सजा का प्रावधान है.