कृषि क़ानूनों के विरोध में एनडीए से अलग हुई राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि तीनों कृषि क़ानून किसान-विरोधी हैं और देश के अन्नदाताओं के सम्मान में उनकी पार्टी ने एनडीए से अलग होने का निर्णय लिया है.

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हनुमान बेनीवाल. (फोटो: पीटीआई)

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि तीनों कृषि क़ानून किसान-विरोधी हैं और देश के अन्नदाताओं के सम्मान में उनकी पार्टी ने एनडीए से अलग होने का निर्णय लिया है.

हनुमान बेनीवाल. (फोटो: पीटीआई)
हनुमान बेनीवाल. (फोटो: पीटीआई)

जयपुर: केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में शनिवार को राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अलग हो गई.

आरएलपी के संयोजक और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने शाहजहांपुर में किसान रैली को संबोधित करते हुए यह घोषणा की. बेनीवाल ने केंद्र के तीनों कृषि कानूनों को किसानों के खिलाफ बताया है.

अलवर के शाहजहांपुर में किसान रैली में उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार द्वारा लाए गए कृषि विरोधी कानूनों के कारण आज आरएलपी एनडीए गठबंधन से अलग होने की घोषणा करती है.’

बेनीवाल ने कहा, ‘मैं एनडीए के साथ ‘फेविकोल’ से नहीं चिपका हुआ हूं. आज मैं खुद को एनडीए से अलग करता हूं.’

उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘देश के अन्नदाताओं के सम्मान में आज आरएलपी ने एनडीए से अलग होने का निर्णय लिया है. तीनों कृषि कानून किसान विरोधी हैं.’

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार उन्होंने यह भी कहा कि वे एनडीए से अलग हुए हैं लेकिन कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेंगे.

उल्‍लेखनीय है कि बेनीवाल ने कृषि कानूनों के विरोध में शुक्रवार को किसानों के समर्थन में दिल्ली कूच का ऐलान किया था. जयपुर-दिल्ली राजमार्ग पर राजस्थान-हरियाणा की सीमा के पास शाहजहांपुर में किसान पिछले 14 दिन से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं.

बेनीवाल ने इससे पहले 19 दिसंबर को किसान आंदोलन के समर्थन में संसद की तीन समितियों, उद्योग संबंधी स्थायी समिति, याचिका समिति व पेट्रो‍लियम व गैस मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति के सदस्य पद से त्यागपत्र देने की घोषणा की थी और कहा था कि वे 26 दिसंबर दो लाख किसानों के साथ दिल्ली की ओर कूच करेंगे.

तब बेनीवाल ने कहा था कि उन्होंने सदस्य के रूप में जनहित से जुड़े अनेक मामलों को उठाया, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, इसलिए वह किसान आंदोलन के समर्थन में और लोकहित के मुद्दों को लेकर संसद की तीन समितियों के सदस्य पद से इस्तीफ़ा दिया.

बेनीवाल ने यह भी कहा था, ‘दिल्ली में सरकार को किसानों के विरोध को हल्के में नहीं लेना चाहिए. अगर आंदोलन पूरे देश में फैल गया तो भाजपा को उस पर काबू पाना मुश्किल हो जाएगा.’

गौरतलब है कि  बेनीवाल लंबे समय से वसुंधरा राजे के आलोचक रहे हैं और इसी कारण 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा छोड़कर आरएलपी बना ली थी.

हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में आरएलपी और भाजपा साथ आ गए, जहां भाजपा ने राज्य में 25 में से एक सीट आरएलपी को दी थी. जिसमें बेनीवाल की नागौर सीट पर ही जीत हुई. विधानसभा में आरएलपी के तीन विधायक हैं.

कृषि कानूनों को लेकर केंद्र में सत्‍तारूढ़ एनडीए से अलग होने वाली आरएलपी दूसरी पार्टी है. इससे पहले शिरोमणि अकाली दल भी इसी मुद्दे को लेकर एनडीए से अलग हो चुका है.

इस बीच, कृ‍षि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन भी और जोर पकड़ गया है. किसान 14 दिन से शाहजहांपुर के पास जयपुर-दिल्‍ली राष्‍ट्रीय राजमार्ग पर डेरा डाले हुए हैं.

अब तक इस मार्ग पर दिल्ली से जयपुर आने वाली लेन खुली थीं लेकिन शनिवार को किसानों ने राजमार्ग को पूरी तरह बंद कर दिया.

किसानों के आंदोलन को देखते हुए पुलिस व प्रशासन ने इस राजमार्ग पर आ रहे वाहनों को पावटा बानसूर व बहरोड़ खैरथल मार्ग से निकालना शुरू किया है.

अलवर की पुलिस अधीक्षक तेजस्विनी गौतम ने कहा, ‘राजमार्ग को शनिवार को दोनों तरफ से बंद कर दिया गया. दिल्‍ली से वाहनों को भिवाड़ी-धारूहेड़ा मार्ग पर भेजा जा रहा है. वाहनों के वैकल्पिक मार्गों से संचालन की व्‍यवस्‍था की गई है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)