उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर में स्थित केएस साकेत डिग्री कॉलेज का मामला. कॉलेज प्रिंसिपल ने आरोप लगाया कि 16 दिसंबर को परिसर में ‘ले के रहेंगे आजादी’ जैसे अभद्र और देशविरोधी नारे लगाए गए. छात्रों ने छात्रसंघ चुनाव न कराए जाने का विरोध कर रहे थे.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के सरकार द्वारा संचालित केएस साकेत डिग्री कॉलेज के छात्रों समेत छह लोगों पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है. इन लोगों पर यह मामला कॉलेज प्रिंसिपल द्वारा आजादी के लिए देशविरोधी नारे लगाने की शिकायत दर्ज कराने के बाद दर्ज हुई है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, प्रिंसिपल डीएन पांडे ने कहा, ‘16 दिसंबर को परिसर में ‘ले के रहेंगे आजादी’ जैसे अभद्र और देशविरोधी नारे लगाए गए.’
उन्होंने कहा, ‘रामजन्मभूमि स्थल के करीब होने के कारण उन्हें ऐसी देशविरोधी गतिविरोधियों को देखने की जरूरत होती है और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में लगाए गए नारे को मंजूरी नहीं दे सकते हैं.’
छात्रों ने कहा कि वे केवल कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव नहीं कराए जाने का विरोध कर रहे थे और उनके नारे प्रिंसिपल और चीफ प्रॉक्टर के लिए थे.
1991 में स्थापित केएस साकेत कॉलेज में करीब 10 हजार छात्र हैं.
सुमित तिवारी, शेष नारायण पांडे, इमरान हाशमी, सात्विक पांडे, मोहित यादव और मनोज मिश्रा के खिलाफ 18 दिसंबर को एक एफआईआर दर्ज की गई थी. उन पर आईपीसी की धाराओं 124-ए (राजद्रोह), 147 (दंगा) और 506 (आपराधिक धमकी) के साथ लोकसेवकों के काम में बाधा डालने के भी आरोप लगाए गए हैं.
अयोध्या पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर आशुतोष मिश्रा ने कहा कि वे मामले की जांच कर रहे हैं. हम सीसीटीवी फुटेज, वीडियोज की जांच कर रहे हैं. अगर कोई अपराध हुआ है तो उस अनुसार कार्रवाई की जाएगी.
प्रिंसिपल की शिकायत में कहा गया, ‘बीते सात दिसंबर से एडमिशन प्रॉसेस और क्लासेज चल रही हैं. इस दौरान कुछ बाहरी लोगों, असामाजिक तत्वों और तथाकथित नेताओं ने छात्र चुनावों की मांग करते हुए विरोध शुरू कर दिया. 16 दिसंबर को ये छात्र कॉलेज में घुसे और मेन गेट को बंद कर दिया और टीचरों, कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन और छात्रों के साथ दुर्व्यवहार किया. उन्होंने क्लासेज में बाधा डाली. वे ‘ले के रहेंगे आजादी’ जैसे अभद्र और देशविरोधी नारे लगाने लगे. घटना के कारण कॉलेज के छात्रों में गुस्सा और भय पैदा हो गया.’
एम. कॉम कर रहे आभास कृष्ण यादव 2018 में छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए थे. उन्होंने कहा, ‘प्रदर्शनकारी छात्र केवल यह कह रहे थे कि वे प्रिंसिपल और चीफ प्रॉक्टर से आजादी चाहते हैं. अब प्रिंसिपल ने इसे इस्तेमाल करके कहा है कि वे देशविरोधी नारे लगा रहे थे.’
आभास ने छात्रसंघ चुनाव रद्द करने के प्रशासन के तर्क पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, ‘पिछले साल राम मंदिर मुद्दे के कारण चुनाव नहीं कराए गए और किसी ने भी आवाज नहीं उठाई क्योंकि वह एक संवेदनशील मसला था. इस साल चुनाव रद्द होने के कारण छात्र विरोध कर रहे हैं क्योंकि देशभर में चुनाव हो रहे हैं. जब कक्षाएं आयोजित हो सकती हैं, तब छात्र संघ के लिए चुनाव क्यों नहीं हो सकते हैं?’
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए प्रिंसिपल पांडे ने कहा, ‘छात्रों ने देशविरोधी नारे लगाए जो कि दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में लगाए गए थे कि वे आजादी के लिए लड़ेंगे. वे किस तरह की आजादी चाहते हैं? वे चुनाव चाहते हैं जबकि हम अभी भी एडमिशन की प्रक्रिया में हैं. चुनाव कैसे हो सकते हैं?’
मामले को राम मंदिर से जोड़ते हुए पांडे ने कहा, ‘यह अयोध्या में एक संवेदनशील जगह है जो कि जन्मभूमि से मुश्किल से 500 मीटर दूर है. हमें देशविरोधी गतिविधियों को देखने की जरूरत है.’
उन्होंने यह साफ करने से इनकार कर दिया कि जिन छह लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई उनमें से कौन कॉलेज के छात्र थे. पांडे ने कहा, ‘मैं आपको यह नहीं बता सकता हूं कि कौन मौजूदा छात्र हैं, लेकिन छह में कुछ छात्र हैं जबकि कुछ पूर्व छात्र हैं और कुछ बाहरी हैं.’