बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ये बयान ऐसे मौके पर आया है जब कुछ दिन पहले ही अरुणाचल प्रदेश में जदयू के सात में से छह विधायक भाजपा में शामिल हो गए. इस पर जदयू के महासचिव केसी त्यागी ने कहा है कि साझेदारों को वैसी गठबंधन राजनीति का पालन करना चाहिए जैसा अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल या पिछले 15 वर्षों से बिहार में किया गया.
पटना: बिहार में राजनीतिक उठापटक के बीच राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीते रविवार को कहा कि मुख्यमंत्री बनने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी और भाजपा चाहे तो अपना मुख्यमंत्री बना सकती है.
मालूम हो कि बिहार में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और भाजपा गठबंधन में सरकार चला रहे हैं.
जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान नीतीश कुमार ने कहा, ‘मुख्यमंत्री बनने की मेरी कोई इच्छा नहीं थी. मैंने कहा था कि जनता ने अपना मत दिया है और कोई भी मुख्यमंत्री बन सकता है, भाजपा अपना मुख्यमंत्री बना सकती है.’
नीतीश कुमार का ये बयान ऐसे मौके पर आया है जब कुछ दिन पहले ही अरुणाचल प्रदेश में जदयू के सात में से छह विधायक भाजपा में शामिल हो गए.
हालांकि कुमार ने इसे लेकर कहा था कि अरुणाचल प्रदेश में हो रहे राजनीतिक परिवर्तन से बिहार की राजनीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि यहां गठबंधन को लेकर कोई विवाद नहीं है.
I had no desire to become the Chief Minister. I had said that the public had given its mandate and anyone can be made the Chief Minister, BJP could make its own Chief Minister: Bihar CM Nitish Kumar (27.12.2020)
(file photo) pic.twitter.com/yiQsCTXaEw
— ANI (@ANI) December 28, 2020
हाल ही में नीतीश कुमार ने जदयू के अध्यक्ष का भी पद छोड़ दिया है और उनके करीबी रामचंद्र प्रसाद सिंह (आरसीपी) को नया जदयू अध्यक्ष चुना गया है.
मालूम हो कि बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से प्रदेश में सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) यानी कि एनडीए ने 125 सीटें जीती हैं. राजग को बहुमत के आंकड़े से तीन सीटें अधिक मिली हैं, वहीं राजद के नेतृत्व वाले विपक्षी महागठबंधन ने 110 सीट जीती हैं.
बिहार में सत्ताधारी राजग (एनडीए) में शामिल भाजपा ने 74 सीटों पर, जदयू ने 43 सीटों पर, विकासशील इंसान पार्टी ने 4 सीटों पर और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने 4 सीटों पर जीत दर्ज की है. बिहार चुनाव में अपने बल पर भाजपा करीब दो दशक के बाद राजग में जदयू को पीछे छोड़ वरिष्ठ सहयोगी बनी है.
जदयू इस बार 71 सीटों से सीधे 43 सीटों तक सिमट कर रह गई. 2005 के बाद से विधानसभा चुनाव में यह उसका सबसे खराब प्रदर्शन था.
वहीं, विपक्षी महागठबंधन में शामिल राजद ने 75 सीटों पर, कांग्रेस ने 19 सीटों पर, भाकपा माले ने 12 सीटों पर, भाकपा एवं माकपा ने दो-दो सीटों पर जीत दर्ज की है.
जदयू ने अरुणाचल प्रदेश के घटनाक्रम पर नाराजगी जताई
जदयू ने अरुणाचल प्रदेश में अपने विधायकों के पाला बदलकर भाजपा में जाने को लेकर रविवार को नाराजगी जताई और कहा कि यह गठबंधन राजनीति का कोई अच्छा संकेत नहीं है.
जदयू ने साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी के समय पालन किए जाने वाले गठबंधन धर्म पर जोर दिया. जदयू की ओर से इस घटना को लेकर नाराजगी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद उसके महासचिव केसी त्यागी की ओर जताई गई.
उन्होंने हालांकि स्पष्ट किया कि अरुणाचल प्रदेश के घटनाक्रम का बिहार की राजनीति पर कोई प्रभाव नहीं होगा, क्योंकि यहां उसकी गठबंधन सरकार में कोई विवाद नहीं है.
नीतीश कुमार बिहार में गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं जिसमें जदयू, भाजपा, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) उसके घटक के तौर पर शामिल हैं.
पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में छह विधायकों के जदयू छोड़कर भाजपा में शामिन होने के बाद राज्य में जदयू का एक विधायक बचा है.
त्यागी ने संवाददाताओं से कहा, ‘पार्टी ने अरुणाचल प्रदेश के घटनाक्रम पर नाराजगी, विरोध जताया है. यह गठबंधन की राजनीति के लिए अच्छा संकेत नहीं है.’
त्यागी ने कहा, ‘साझेदारों को वैसी ‘गठबंधन राजनीति’ का पालन करना चाहिए जैसा अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल या पिछले 15 वर्षों से बिहार में किया गया.’
उन्होंने कहा, ‘गठबंधन सहयोगियों को गठबंधन सरकार चलाते हुए ‘अटल धर्म’ का पालन करना चाहिए.’
यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी भाजपा नेतृत्व को अपनी नाराजगी से अवगत कराएगी, उन्होंने कहा कि उन्हें नाराजगी के बारे में मीडिया के माध्यम से अवगत कराया जाएगा.
त्यागी ने नीतीश कुमार द्वारा पार्टी की बैठक में दिए गए भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद कुमार मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे और उन्होंने (कुमार) इस बारे में अपनी पार्टी और सहयोगी भाजपा दोनों को बताया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)