नए क़ानून के तहत उल्लंघनकर्ताओं पर सात साल की अधिकतम सज़ा और पांच लाख रुपये का जुर्माने का प्रावधान है. इससे कर्नाटक में गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा और पशुओं की तस्करी, अवैध परिवहन, गायों पर अत्याचार और पशुवध करने वालों के लिए सख़्त सज़ा का प्रावधान है.
बेंगलुरुः कर्नाटक मंत्रिमंडल ने बीते सोमवार को गोहत्या पर रोक लगाने से संबंधित अध्यादेश को मंजूरी दे दी. इस अध्यादेश पर राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद कर्नाटक में गोहत्या दंडनीय अपराध बन जाएगा.
कर्नाटक विधानसभा में इससे संबंधित विधेयक को नौ दिसंबर को पारित किया गया था, लेकिन वह विधान परिषद में लंबित है, इसलिए देर न करते हुए राज्य सरकार ने अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी दी है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के पशुपालन मंत्री प्रभु चव्हाण ने कहा, ‘कुछ दिनों में एक कानून होगा. राज्य में पशुवध नहीं होगा. भाजपा गायों की रक्षा को लेकर दृढ़ है, इसलिए बिल को अध्यादेश के जरिये लागू किया जा रहा है.’
इस महीने की शुरुआत में कर्नाटक की भाजपा सरकार ने विधानसभा में कर्नाटक प्रिवेंशन ऑफ स्लॉटर एंड प्रिजरवेशन ऑफ कैटल बिल 2020 को मंजूरी दी थी, लेकिन यह विधान परिषद में पारित नहीं हुआ.
इस बिल के तहत राज्य में गाय, बछड़ों, बैल और भैंस के वध पर रोक है. इस बिल के पूर्ण क्रियान्वयन पर कर्नाटक में बीफ पर पूर्ण प्रतिबंध हो जाएगा.
नए कानून के तहत उल्लंघनकर्ताओं पर सात साल की अधिकतम सजा और पांच लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.
इससे राज्य में गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा और पशुओं की तस्करी, अवैध परिवहन, गायों पर अत्याचार और पशुवध करने वालों के लिए सख्त सजा का प्रावधान है.
गाय और बछड़ों के अलावा विधेयक में भैंस एवं उनके बच्चों के संरक्षण का भी प्रावधान है. आरोपी व्यक्ति के खिलाफ तेज कार्यवाही के लिए विशेष अदालत गठित करने का भी प्रावधान है.
कैबिनेट की बैठक के बाद राज्य के कानून एवं संसदीय मामलों के मंत्री जेसी मधुस्वामी ने कहा, ‘हालांकि, बूचड़खाने पहले की तरह चालू रहंगे और भैंस का मांस खाने पर प्रतिबंध नहीं होगा, लेकिन जब नया कानून आएगा, तब राज्य में गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध होगा.’
मधुस्वामी ने कहा, ‘कर्नाटक में गोहत्या पर रोक लगाने वाला कानून नया नहीं है. हमारे यहां यह दशकों से लागू है. इसके तहत 13 साल तक की गाय की हत्या पर पहले से रोक थी. मौजूदा सरकार इसे बढ़ाकर हर उम्र की गाय के लिए लागू कर रही है. चूंकि इस प्रतिबंध में भैंसों को शामिल नहीं किया गया है, इसलिए उसका मांस खाने पर प्रतिबंध नहीं रहेगा.’
उन्होंने आगे कहा, ‘पहले के कानून को लेकर भ्रम की स्थिति थी. गायों की उम्र को लेकर विवाद की स्थिति थी. नया कानून इस तरह के भ्रम को खत्म करेगा. सरकार गोशाला बनाने पर भी विचार कर रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दूध नहीं दे पाने वाली उम्रदराज गायें किसानों पर बोझ न बनें.’
बता दें कि 2020 का यह बिल 2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की सरकार द्वारा पारित कराए गए कानून से अधिक सख्त है.
2010 के कानून को राज्यपाल से मंजूरी नहीं मिलने के कारण साल 2013 में कांग्रेस सरकार द्वारा खत्म कर दिया गया था. इसके बाद कांग्रेस सरकार कम कड़ा कानून ‘गोहत्या और पशु संरक्षण अधिनियम, 1964’ पर वापस चली गई, जो कुछ प्रतिबंधों के साथ गोहत्या की अनुमति देता है.
(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)