शादी की उम्र न होने पर भी बालिग युवक-युवती को साथ जीने का हक़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पुलिस सुरक्षा की मांग करने वाले युवक-युवती की याचिका पर कहा कि विवाह योग्य उम्र का न होने पर भी बालिग लड़के और लड़की को साथ रहने के उनके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता. हर वयस्क को अपनी शर्तों पर ज़िंदगी जीने का अधिकार है.

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(फोटो साभार: indialegallive.com)

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पुलिस सुरक्षा की मांग करने वाले युवक-युवती की याचिका पर कहा कि विवाह योग्य उम्र का न होने पर भी बालिग लड़के और लड़की को साथ रहने के उनके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता. हर वयस्क को अपनी शर्तों पर ज़िंदगी जीने का अधिकार है.

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चंडीगढः पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पुलिस सुरक्षा की मांग करने वाले युक-युवती की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि विवाह योग्य उम्र का न होने पर भी बालिग लड़के और लड़की को एक साथ रहने के उनके अधिकारों से वंचित नहीं रखा जा सकता.

हाईकोर्ट के समक्ष इस मामले में अदालत को बताया गया कि दोनों याचिकाकर्ता बालिग हैं. लड़की की उम्र 19 साल और लड़के की उम्र 20 साल है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, जस्टिस अलका सरीन ने अपने आदेश में कहा, ‘मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता लड़की उम्र 18 साल से अधिक है और वह बालिग है. वह यह जानती है कि उसके लिए क्या ठीक है और क्या नहीं. लड़की ने अपनी मर्जी से लड़के के साथ लिव इन में रहने का फैसला किया. लड़का भी बालिग है, बेशक उसकी उम्र शादी योग्य नहीं है. दोनों ही याचिकाकर्ता बालिग हैं और उन्हें अपनी शर्तों पर उनकी जिंदगी जीने का हक है.’

अदालत ने कहा, ‘याचिकाकर्ता लड़की के परिवार के सदस्य यह नहीं कह सकते कि वह (लड़की) कैसे और किसके साथ अपना जीवन बिताए. माता-पिता अपनी शर्तों पर बच्चे को जिंदगी जीने के लिए बाध्य नहीं कर सकते. हर वयस्क शख्स को अपनी शर्तों पर जिंदगी बिताने का अधिकार है.’

लड़के और लड़की ने पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए अपनी याचिका में कहा कि उनका यह रिश्ता लड़की के परिवार को स्वीकार्य नहीं है और लड़की के घरवाले उन्हें इसका खामियाजा भुगतने की धमकी दे रहे हैं.

याचिका में कहा गया था कि जब लड़की के माता-पिता को उनके संबंध के बारे में पता चला तो दोनों परिवारों के बीच लड़ाई हुई, लड़की के परिजनों ने लड़की की बेरहमी से पिटाई की और उसकी इच्छा के खिलाफ उसकी शादी करने का फैसला किया।

यह भी बताया गया था कि लड़की को एक कमरे में बंद करके मोबाइल फोन छीन लिया गया और धमकाया गया कि अगर उसने लड़के के साथ संबंध रखा तो उसे जान से मार दिया जाएगा.

लड़की के वकील का कहना है कि लड़की ने लड़के के साथ रहने के लिए 20 दिसंबर को घर छोड़ दिया था और अब दोनों लिव इन रिलेशनशिप में है.

हाईकोर्ट ने यह कहते हुए कि माता-पिता बच्चों को उनकी शर्तों पर जीने के लिए बाध्य नहीं कर सकते, फतेहगढ़ साहिब के एसएसपी को निर्देश दिया कि वे लड़के और लड़की को पुलिस सुरक्षा दिए जाने पर फैसला करें.

जस्टिस सरीन ने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि लड़के की शादी करने योग्य उम्र नहीं है लेकिन यकीनन वह बालिग है. इसे ध्यान में रखते हुए भी उन्हें संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले उनके मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं रखा जा सकता. दोनों याचिकाकर्ता बालिग हैं और दोनों ने एक साथ रहने का फैसला किया है और इस पर आपत्ति करने के लिए प्रतिवादियों के पास संभवतः कोई कानूनी कारन नहीं हो सकता…’