मध्य प्रदेश: शिवराज सरकार का कैबिनेट विस्तार, सिंधिया के दो क़रीबियों की मंत्रिमंडल में वापसी

बीते साल मार्च में शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री बनने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर आए तुलसीराम सिलावट और गोविंद राजपूत को मंत्री बनाया था, पर विधानसभा सदस्य न होने के कारण उन्हें अक्टूबर में इस्तीफ़ा देना पड़ा था. उपचुनाव में जीत के बाद वे फिर कैबिनेट का हिस्सा बने हैं.

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शपथ लेते गोविंद राजपूत. (फोटो साभार: ट्विटर/@ChouhanShivraj)

बीते साल मार्च में शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री बनने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर आए तुलसीराम सिलावट और गोविंद राजपूत को मंत्री बनाया था, पर विधानसभा सदस्य न होने के कारण उन्हें अक्टूबर में इस्तीफ़ा देना पड़ा था. उपचुनाव में जीत के बाद वे फिर कैबिनेट का हिस्सा बने हैं.

शपथ लेते गोविंद राजपूत. (फोटो साभार: ट्विटर/@ChouhanShivraj)
शपथ लेते गोविंद राजपूत. (फोटो साभार: ट्विटर/@ChouhanShivraj)

भोपाल: मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने रविवार को कैबिनेट का विस्तार किया और इस दौरान भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के दो करीबियों को कैबिनेट में दोबारा शामिल किया गया.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने तुलसीराम सिलावट और गोविंद राजपूत को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई.

राजभवन में हुए इस छोटे कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा और राज्य कैबिनेट के कई अन्य मंत्री मौजूद थे.

पिछले साल मार्च में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के गिरने के बाद चौथी बार मुख्यमंत्री बनने वाले शिवराज सिंह चौहान की सरकार का यह तीसरा कैबिनेट विस्तार है.

मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर तीन नवंबर को हुए उपचुनाव के 11 नवंबर को परिणाम आने के बाद से ही मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चा राजनीतिक गलियारों में चल रही थी.

दरअसल, राज्यसभा टिकट न मिलने से नाराज होकर बीते 10 मार्च को कांग्रेस इस्तीफा देने के बाद सिंधिया ने 11 मार्च को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी.

इसके बाद 22 कांग्रेस विधायकों के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के कारण ही बीते 20 मार्च को प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई थी.

इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च को राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. मालूम हो कि चौहान ने पिछले साल 23 मार्च को अकेले मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के बीच मुख्यमंत्री चौहान 29 दिनों तक अकेले ही सरकार चलाते रहे.

इसके बाद 21 अप्रैल को उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में पांच कैबिनेट मंत्रियों को शामिल किया था. इस दौरान सिलावट और राजपूत को भी कैबिनेट में शामिल किया गया था, लेकिन तब वे विधायक नहीं थे.

पिछले साल अक्टूबर में संवैधानिक बाध्यता के कारण छह माह पूरे होने से एक दिन पहले मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. उन्होंने तीन नवंबर को 28 विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव से ठीक पहले इस्तीफा दिया था. उपचुनाव में अपनी-अपनी सीट जीतकर अब वे दोनों विधायक बन गये हैं.

उपचुनाव में भाजपा ने 19 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि विपक्षी कांग्रेस को नौ सीटों पर संतोष करना पड़ा था. इसके साथ ही 230 सदस्यीय सदन में अब भाजपा के विधायकों की संख्या 107 से बढ़कर 126 हो गई है, जबकि कांग्रेस के विधायकों की संख्या 87 से बढ़कर 96 हो गई है.

कुल 230 सदस्यीय मध्यप्रदेश विधानसभा में मंत्रिमंडल में कुल 35 सदस्य हो सकते हैं. वर्तमान में मुख्यमंत्री चौहान सहित कुल 29 सदस्य हैं. इस हिसाब से चौहान इसमें चार और मंत्रियों को रख सकते हैं.

उपचुनावों से पहले मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री सहित 34 सदस्य थे. तुलसीराम सिलावट एवं गोविन्द सिंह राजपूत के मंत्री पद से त्यागपत्र देने के बाद इनकी संख्या घटकर 32 रह गई और इस उपचुनाव में तीन मंत्री एदल सिंह कंषाना, इमरती देवी एवं गिर्राज दंडोतिया चुनाव हार गये, जिसकी वजह से उन्हें अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)