राजस्थान और हरियाणा के साथ कई अन्य स्थानों के किसानों का एक बड़ा समूह पिछले कई दिनों से केंद्र सरकार के तीन नए कृषि क़ानूनों का जयपुर-दिल्ली हाईवे पर विरोध कर रहा है. वहीं, दिल्ली के विभिन्न बॉर्डरों पर हज़ारों की संख्या में किसान जुटे हैं. उनका कहना है कि तीनों कृषि क़ानूनों के वापस होने तक वे वापस नहीं लौटेंगे.
चंडीगढ़/नई दिल्ली: हरियाणा पुलिस द्वारा दिल्ली की तरफ जा रहे किसानों के एक समूह पर रेवाड़ी जिले के मसानी बांध के पास रविवार की शाम को आंसू गैस के गोले छोड़े जाने का मामला सामने आया है.
किसानों ने बुधला सांगवारी गांव के पास पहले पुलिस बैरीकेड तोड़ डाले और फिर शाम में वे दिल्ली की तरफ बढ़ने लगे.
पुलिस ने बताया कि वे पिछले कुछ दिनों से दिल्ली-जयपुर राजमार्ग के सर्विस लेन पर डेरा डाले हुए हैं.
किसानों का समूह जब मसानी बांध पर पहुंचा तो पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े. बांध पर पुलिस ने बैरीकेड लगा रखे थे.
रेवाड़ी के पुलिस अधीक्षक अभिषेक जोरवाल ने फोन पर बताया, ‘हमने उन्हें (किसानों को) मसानी पर रोक दिया है.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जय किसान आंदोलन की नूह इकाई के प्रमुख रमजान चौधरी ने कहा, ‘आज (रविवार को) करीब 15-20 ट्रैक्टर रेवाड़ी में प्रवेश किए. हालांकि, संयुक्त किसान यूनियन के निर्देशों का पालन करने वाले हम अभी भी सीमा पर डटे हैं और आगे भी बने रहेंगे. सरकार के साथ कल की बैठक के परिणाम के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी. यदि वे हमारी मांगों को पूरा नहीं करते हैं, तो हम 6 जनवरी के बाद दिल्ली की ओर रुख करेंगे.’
बता दें कि इससे पहले बीते 31 दिसंबर को दिल्ली में दाखिल होने का प्रयास कर रहे किसानों के एक समूह ने राजस्थान से लगे शाहजहांपुर बॉर्डर पर पुलिस बैरिकेड तोड़ दिया था.
इसके बाद उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया था.
राजस्थान और हरियाणा के साथ कई अन्य स्थानों के किसानों का एक बड़ा समूह पिछले कई दिनों से केंद्र सरकार के तीन नए और विवादित कृषि कानूनों का जयपुर-दिल्ली हाईवे पर विरोध कर रहा है.
किसानों के दिल्ली चलो मार्च के दौरान पुलिस ने उन्हें राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर पर ही रोक दिया था, जिसके बाद उन्होंने वहीं पर कैंप लगा लिया.
वहीं, दिल्ली के विभिन्न बॉर्डरों पर हजारों की संख्या में किसान जुटे हैं और उनका कहना है कि तीनों कृषि कानूनों के वापस होने तक वे वापस नहीं लौटेंगे.
बता दें कि सोमवार को होने जा रही केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच सातवें दौर की बातचीत से पहले किसानों पर आंसू गैस छोड़े जाने की घटना हुई है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)